प्रोविजनल आईडी को ही GST नंबर मानना गलत, ARN जनरेट करना जरूरी

Chief Editor
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gst_file_marchरायपुर–वेट अधिनियम के तहत पंजीकृत ऐसे व्यवसायी जिनका अभी तक आईडी और पासवर्ड नहीं आया है और जिनका पंजीयन निरस्त हो चुका है और जिनका रीविजन करने पर भी पंजीयन बहाल नहीं हुआ है, उन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के अंतर्गत नया पंजीयन करवाना अनिवार्य है।राज्य शासन के वाणिज्यिक-कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आगत कर प्राप्त करने के लिए उन्हें नया आवेदन पत्र में पुराने टिन का हवाला देना होगा, ऐसा करने पर वेट अधिनियम के तहत आगत कर की मुजराई, जीएसटी अधिनियम के तहत भी मिलेगा। पंजीयन प्राप्त करने के लिये सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने के पश्चात ई-साईन के लिये नयी व्यवस्था की गयी है। इसके तहत व्यवसायी आसानी से ई-साईन के प्रक्रिया को प्रारंभ कर सकते हैं।ईव्हीसी  पर रिक्वेस्ट भेजने पर पंजीयन आवेदन में दिए गए ई-मेल आईडी और मोबाईल नंबर पर ओटीपी प्राप्त होता है।इसके माध्यम से ई-साईन करके एआरएन प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे डीलरों के लिए विभाग द्वारा विभाग के अंतर्गत सभी वृत्त कार्यालयों में संचालित जीएसटी सेवा केंद्र में सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

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                                            अधिकारियों ने बताया कि वेट अधिनियम के तहत पंजीकृत व्यवसाईयों में भ्रांति है कि उन्हें वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आईडी और पासवर्ड ही जीएसटी नंबर है। यह पूरी तरह गलत है। व्यवसाईयों को प्राप्त आईडी और पासवर्ड के आधार पर लॉगिन कर नया आईडी और पासवर्ड बनाने के पश्चात सारे आवश्यक कागजात ऑनलाईन अपलोड करने के पश्चात एआरएन जनरेट करने के लिए डीएससी, आधार कार्ड और ईव्हीसी से डिजीटल सिग्नेश्चर कर अपलोड़ करने पर एआरएन जनरेट होता है। तब यह माना जायेगा कि वह व्यवसायी जीएसटी नंबर प्राप्त करने के लिए पात्र होगा। अभी तक जिन व्यवसाईयों ने एआरएन के लिए आवश्यक दस्तावेज अपलोड नहीं कराए हैं, वे जल्द से जल्द आवेदन करें।

                                      अधिकारियों ने यह भी बताया कि 15 अगस्त  के पहले एआरएन नहीं होने पर व्यवसायी का पंजीयन एक जुलाई  से निरस्त माना जाएगा। विभागीय अधिकारियों द्वारा व्यवसायिक संघों, कर सलाहकारों एवं व्यवसाईयों से संपर्क करने पर यह ज्ञात हुआ कि अनेक व्यवसायी उन्हें प्राप्त प्रोविजनल आईडी को ही जीएसटी नंबर मान लिया है, जो गलत है। सभी व्यवसायिक संघों, उनके प्रतिनिधियों एवं व्यवसाईयों से कहा गया है कि अपने क्षेत्र के वाणिज्यिक कर अधिकारी कार्यालय में स्थापित जीएसटी सेवा केंद्र में जाकर अथवा अपने कर सलाहकार के सहयोग से पूर्ण दस्तावेज अपलोड कर एआरएन बनवा सकते हैं।

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