बिलासपुर।पढ़ाई में कमजोर बच्चों को चिन्हांकित करें और शिक्षक ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान दें। शिक्षक अपने आचरण, अनुशासन और कर्तव्य का पालन कर बच्चों के सामने प्रेरणा बनें। अपने कार्य में शतप्रतिशत दें और शिक्षा की व्यवस्था सुधारें। कलेक्टर पी. दयानंद ने बुधवार को सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक में यह निर्देश दिया।बिलासपुर विश्वविद्यालय के आडिटोरियम में आयोजित बैठक में 285 प्राचार्य उपस्थित थे। कलेक्टर ने सभी प्राचार्यों से अपेक्षा की कि वे बेहतर तालमेल से अच्छे परिणाम लाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है।छत्तीसगढ़ में सवा दो करोड़ की आबादी में प्राईवेट स्कूलों के अनुपात में 80 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। किशोर अवस्था के बच्चे 12वीं पास करने के बाद अपना लक्ष्य तय करते हैं।
उन्हें मार्गदर्शन देने का काम शिक्षिकों का हैं। हम अपने कर्तव्य को अच्छी तरह पूरा कर पाते हैं या नहीं यह हमें देखना होगा। बच्चों को विभिन्न सुविधा देने के बाद भी स्कूलों का रिजल्ट संतोषजनक नहीं होता। गुणात्मक शिक्षा आज की जरूरत है। स्कूल में अनुशासन कायम करना प्राचार्य की प्रमुख जिम्मेदारी है।
शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचे और पढ़ाई की गुणवत्ता ठीक हो, यह ध्यान देने की जिम्मेदारी प्राचार्यों की है। शिक्षकों की उपस्थिति और अध्यापन के प्रति गंभीर होना होगा। छात्रों के शैक्षणिक प्रगति की साप्ताहिक जांच करें। स्कूलों में फर्नीचरों की व्यवस्था, पाठ्य पुस्तक वितरण आदि के संबंध में भी उन्होंने जानकारी ली।
जिला शिक्षा अधिकारी ने आनलाईन मानिटरिंग सिस्टम कासमास के संबंध में जानकारी दी। राज्य माध्यमिक शिक्षा मिशन के सहायक परियोजना अधिकारी मनोज राय ने स्कूलों में संचालित गतिविधियों के संबंध में जानकारी दी। बैठक में शिक्षण व्यवस्था से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।