तेन्दूपत्ता मजदूरो के बच्चों की मेडिकल-इंजीनियरिंग पढ़ाई का खर्च देगी छत्तीसगढ़ सरकार

Shri Mi
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tendupatta_shramikरायपुर।मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने रविवार को  विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में वन मड़ई का शुभारंभ किया।साथ ही सीएम ने तेंदूपत्ता श्रमिक परिवारों के बच्चों की मेडिकल, आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार की ओर से देने की भी घोषणा की और वनोपज श्रमिकों की कल्याण योजनाओं से संबंधित विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा-मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं, आप देश के किसी भी राज्य में चले जाइए, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए जितनी योजनाएं छत्तीसगढ़ में चल रही हैं, उतनी किसी भी राज्य में नहीं।

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                                                   डॉ. रमन ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा राज्य के  वनवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और अन्य जरूरी सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है। वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा सुविधाओं का लाभ उठाकर इन क्षेत्रों के बच्चे भी डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस जैसे प्रशासनिक अधिकारी बनेंगे और छत्तीसगढ़ सहित देश की सेवा करेंगे। वन मड़ई का आयोजन डॉ. रमन सिंह की सरकार के कल 14 अगस्त को 5000 दिन पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।

                                                 मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की गई है। बस्तर और सरगुजा में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। नये कॉलेजों और नये आईटीआई की भी स्थापना की गई है। प्रयास आवासीय विद्यालयों के जरिए इन क्षेत्रों के बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ आईआईटी जैसे संस्थानों में प्रवेश मिलने लगा है। प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में चल रहे प्रयास आवासीय विद्यालयों में सीटों की संख्या 1700 से बढ़ाकर तीन हजार करने का निर्णय लिया है। नईदिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार ने यूथ हॉस्टल की स्थापना की है। राज्य के आदिवासी क्षेत्रों की तीन युवाओं का चयन संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के जरिए प्रशासनिक पदों के लिए हुआ है। शिक्षा की गुणवत्ता पर भी छत्तीसगढ़ सरकार पूरा ध्यान दे रही है।

                                                डॉ. सिंह ने चरण पादुका योजना का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैंने इस योजना की शुरूआत की तो कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाया और कहा कि वनवासी लोग जूते नहीं पहनते, लेकिन राज्य सरकार ने इन श्रमिकों की समस्या को महसूस किया। वे गरीबी के कारण मजबूरी में जूते नहीं पहन पाते थे। इससे तेन्दूपत्ता संग्रहण के दौरान उनके पांवों में कांटे चुभ जाते थे फलस्वरूप उनके पैरों में जख्म हो जाता था। प्रदेश के तेरह लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका योजना का लाभ मिल रहा है। इसका बड़ा असर हुआ है। अब उनके पैरों में जख्म होने की घटनाएं कम हो गई हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए लगभग 59 लाख गरीब परिवारों को मात्र एक रूपए किलो में चावल दिया जा रहा है। वन क्षेत्रों के परिवारों को भी इसका लाभ मिल रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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