कानन पेन्डारीः जानवरों के खाने पर कमीशनखोरों की नजर…बेटे को टेन्डर दिलाने..वनकर्मी ने झोंकी ताकत

BHASKAR MISHRA
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kanan p.1बिलासपुर—कानन पेन्डारी मतलब विवादों का पिटारा। चीतल की मौत…या फिर अवैध शिकार का मामला…कानन पेन्डारी हमेशा चर्चा में रहा है। पर्यटन गतिविधियों से ज्यादा कानन पेन्डारी का नाम  प्रदेश में घोटालों और अवैध गतिविधियों को लेकर ज्यादा है। इस बार मामला जानवरों के खाने को लेकर है। जानकारी के अनुसार चहेतों को ठेका देने अधिकारी जमकर गुणा भाग कर रहे हैं।

             
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                         जून महीने में जानवरों को चिकन,पैरा कटिया, मटन, हरी घास सप्लाई के लिए टेन्डर निकाला गया। बीस लोगों ने टेन्डर फार्म जमा किए। अधिकारियों ने कुछ टेन्डर को अनाप शनाप तर्क देकर निरस्त कर दिया। विवाद को बढ़ते देख तात्कालीन डीएओ पैकरा ने वर्क आर्डर जारी नहीं किया। एक बार फिर टेन्डर में अनियमितता को लेकर बाजार गर्म है। जानवरों के खाने पर कमीशनखोर अधिकारियों की बुरी नजर है।

                     मिनी जू कानन पेन्डारी में साढ़े छः सौ से अधिक विभिन्न प्रजातियों के मांंसाहारी और शाकाहारी जानवर रहते हैं। शासन स्तर पर जानवरों की भोजन व्यवस्था को लेकर वन विभाग ने जून महीने में टेन्डर निकाला।  बीस से अधिक लोगों ने टेन्डर जमा किया। लेकिन ज्यादातर लोगों का टेन्डर किन्ही ना किन्ही कारणों से निरस्त कर दिया गया। हमेशा देखने में आया है कि कानन पेन्डारी में चहेतों को ही खाने पीने का ठेका दिया जाता है।

                              एक ठेकेदार ने बताया कि  किसी का टेन्डर पैन कार्ड नहीं होने के कारण तो कुछ का  एक करोड़ सलाना आय नहीं होने के चलते निरस्त किया गया है।

                                                 ठेकेदार ने बताया कि वन अधिकारी टेन्डर निरस्त करने का कारण नहीं बता रहे हैं। पैरा कटिया या हरी घास की सप्लाई करने वाले ठेकेदारों की सालाना आय एक करोड़ रूपए होना अनिवार्य है…वन अधिकारियों की बात गले नहीं उतर रही है। मटन और चिकन में सलाना आय एक करोड़ हो…बात समझ में आती है। पैरा कटिया या हरी घास की सप्लाई करने वाले ठेकेदार की सालना आय एक करोड़ हो…संभव नहीं है।

मटन ,चिकन,पैरा कटिया हरी घास की एक साथ सप्लाई करने वाले ठेकेदार की सालाना कमाई एक करोड़ से अधिक की शर्त समझ में आती है। लेकिन वन विभाग ने अलग अलग आहार के लिए अलग अलग टेन्डर मंगाया है। बावजूद इसके एक करोड़ की सालाना कमाई की शर्त पैरा कटिया और हरी घास सप्लाई करने वाले ठेकेदार पर थोपना अन्याय है।

वर्क आर्डर पर रोक

वर्क आर्डर जून में दिया जाना था। लेकिन विवाद को बढ़ते देख तात्कालीन डीएफओ पैकरा ने वर्क आर्डर जारी करने से मना कर दिया। उन्हें अंदेशा हो गया था कि जानवरों के खाने पर वन अधिकारियों की बुरी नजर है। कुछ रसूखदार अधिकारी चहेतों को  ठेका देना चाहते हैं।

वन अधिकारी के बेटे ने भरा है टेन्डर

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेका पाने के लिए वनकर्मी के बेटे ने भी टेन्डर भरा है।  वनकर्मचारी के बेटे को फायदा दिलाने अन्य ठेकेदारों के टेन्डर को जानबूझकर निरस्त किया गया है। डीएफओ पी.के.साहू ने बताया कि अभी वर्क आर्डर जारी नहीं किया गया है। पता लगाया जाएगा कि जिन ठेकेदारों का टेन्डर निरस्त किया गया है उसकी वजह क्या है।

साहू के अनुसार उन्हें जानकारी नहीं है कि टेन्डर भरने वालों में किसी महिला वनकर्मी का भी बेटा शामिल है। यदि ऐसा है तो महिला कर्मी को सारी प्रक्रिया से दूर रखा जाएगा।

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