डाककर्मियों ने कहा..80 प्रतिशत आबादी की सेवा में…मिला शोषण का फल…

BHASKAR MISHRA
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IMG20170821151814बिलासपुर— ग्रामीण डाक सेवकों ने विभागीयकरण और 8 घंटे की कार्य अवधि मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। जिंदावाद मुर्दाबाद के नारे लगाए। कतार में खड़े होकर बैनर पोस्टर के साथ लोगों का ध्यान खींचा। ग्रामीण डाक कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष और सचिव ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री,वित्तमंत्री और संचार मंत्री के नाम मांग पत्र दिया । संघ पदाधिकारियों ने कहा कि एक लाख 32 हजार डाक सेवक देश की 80 प्रतिशत आबादी की सेवा करते हैं। लेकिन उनके साथ पिछले 160 सालों से शोषण किया जा रहा है।

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                                    अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवा संघ के बैनर तले ग्रामीण डाकियों ने सामुहिक प्रदर्शन किया। मुख्य डाक घर से नेहरू चौक के बीच कतारबद्ध होकर मांग के लिए आवाज को ऊंचा किया। ग्रामीण डाक संघ के संभागीय अध्यक्ष फूलचंद चन्द्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री से मांग है कि ग्रामीण डाककर्मियों के हित में जल्द से जल्द वेतन और सेवा शर्तों को लागू किया जाए । पिछले 160 साल से ग्रामीण डाक कर्मचारी आर्थिक दंश झेल रहे हैं।

                                     संभागीय सचिव मोहम्मद सलीम ने बताया कि  ग्रामीण डाक कर्मचारियों को सरकार ने कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। कम वेतन पर भरपूर काम लिया जाता है। सीमित संसाधनों में देश की 80 प्रतिशत आबादी की सेवा ग्रामीण डाक कर्मचारी करते हैं। कर्मचारियों को 8 घंटे का काम और विभागीयकरण प्रक्रिया में शामिल किया जाए।

                                 फूलचंद्र चन्द्रा ने बताया कि साल 2015 में कमलेश चन्द्रा की अध्यक्षता में जीडीएस के वेतनमान और सेवा शर्तों को निर्राधित करने कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने साल 2016 में सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी है। डाक विभाग ने  24 अप्रैल 2017 में आश्वासन दिया था कि सिफारिशों को जल्द लागू किया जाएगा। आज तक रिपोर्ट पर विचार नहीं किया गया। देश के ग्रामीण डाक कर्मचारियों में आक्रोश है। संगठन पदाधिकारियों ने समिति की रिपोर्ट लागू नहीं होने पर उग्र आंदोलन और भूख हड़ताल पर जाने का एलान किया है।

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