नईदिल्ली।निजता के अधिकार के बारे में उच्चतम न्यायालय के कल के फैसले के बावजूद बायोमैट्रिक पहचान वाले आधार को पैन नंबर से जोड़ने की प्रक्रिया जारी रहेगी। निजिता को मौलिक अधिकार करार देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्यकार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडेय ने कल यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आदेश में कई योजनाओं और आईटीआर भरने के लिए आधार के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगायी गयी है।आधार एक्ट जब बनाया गया था तो इस हिसाब से बनाया गया था कि प्राइवेशी एक फंडामेंटल राइट है और सु्प्रीमकोर्ट के कल के निर्णय में भी यह कहा गया है कि प्राइवेशी अगर फंडामेंटल राइट है भी अगर तो इस पर एक रिजिनेबल रिस्ट्रिक्शन लगाया जा सकता है और इसको सोशल बेलफेयर के बेनीफिट स्कीम में उपयोग किया जा सकता है।
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अगर जो भी फंडामेंटल राइट का सब्जेक्ट हो तो। जबकि आप आधार को देते हैं या बायोमेट्रिक देते हैं तो आपका इन्फॉर्मेशन कांफेडेंसियल रखा जाता है। किसी दूसरे को दिया नहीं जा सकता बिना आपसे सहमति के और यदि इसका उल्लंघन होता है तो यह एक गंभीर आपराध है जिसका तीन साल तक का कारावास भी सकता है।
आधार अधिनियम में व्यवस्था है कि रसोईगैस पर सब्सिडी पाने, बैंक खाता खोलने और नए फोन नंबर हासिल करने के लिए आधार का इस्तेमाल अनिवार्य किया जा सकता है। पांडेय ने बताया कि अधिनियम के खंड-7 में कहा गया है कि लाभ और सब्सिडी प्राप्त करने के लिए सरकार आधार संख्या की मांग कर सकती है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुख्यकार्यकारी अधिकारी ने कहा कि आधार अधिनियम मौलिक अधिकार के रूप में लोगों की निजता की सुरक्षा करता है और उसके प्रावधान निजी सूचना की सुरक्षा करते हैं।