स्मार्ट सिटी प्लानिंग कमेटी से महापौर का नाम गायब..कांग्रेस नेता ने कहा-अधिनियम को बनाया मजाक

BHASKAR MISHRA
5 Min Read

town hall 1SMART_CITY_BITE_SHAILENDRA 005बिलासपुर—स्मार्ट सिटी प्लानिंग कमेटी में महापौर को नहीं रखा गया है। स्पेशल परपेज कमेटी में राज्य और केन्द्र सरकार प्रतिनिधि और कर्मचारियों को रखा गया है। नगर निगम महापौर को कमेटी से दूर रखा गया है। जबकि स्मार्ट सिटी का दायरा नगर निगम ही है। कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि  एसपीव्ही में महापौर को शामिल नहीं किया जाना निकाय अधिनियम के साथ मजाक है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

डाउनलोड करें CGWALL News App और रहें हर खबर से अपडेट
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cgwall

निकाय अधिनियम का मजाक

                                                   शैलेन्द्र ने बताया कि निकाय अधिनियम में स्थानीय प्रतिनिधिय़ों को विशेष स्थान है। लेकिन केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार ने निकाय अधिनियम के साथ खिलवाड़ कर स्थानीय जन प्रतिनिधियों को किनारे लगा दिया है। शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। लेकिन एसपीव्ही से महापौर को बाहर रखा गया है। जबकि महापौर निगम क्षेत्र का प्रथम नागरिक और मुखिया होता है। महापौर को एसपीव्ही में शामिल नहीं कर सरकार ने निकाय को ठेंगा दिखाने का काम किया है। महापौर के पास इतना भी अधिकार नहीं है कि वह शहर के खम्भो में लाइट भी लगवा सके।

                      शैलेन्द्र ने बताया कि नगर निगम प्रतिनिधि अब दिखावा मात्र बनकर रह गए हैं। यद्यपि निकाय अधिनियम में स्थानीय निकाय प्रशासन को असीमित अधिकार दिए गए हैं। लेकिन महापौर को आज तक अधिकारों का प्रयोग करने का अवसर नहीं दिया गया। कहने को तो निगम आटोनामी है बावजूद इसके अग्निशमन और बिजली का अधिकार छीन लिया गया है। 18 विभागों में भी कमोबेश यही हालत है।

लाचार महापौर..

kishor ray            शैलेन्द्र के अनुसार कुछ दिन पहले बिलासपुर में प्रदेश के सबसे बड़े व्यापारिक संस्थान में आग लगी। करोड़ों का सामान जलकर खाक हो गया। निगम अधिकारी और नेता हाथ मलते हुए घटना स्थल पर पहुंच गए। निगम के पास इतना भी अधिकार नहीं है कि अग्निशमन सेवा के लिए मुंह खोल सके। यही कारण है कि देखते ही देखते करोड़ों का नुकसान हो गया। शैलेन्द्र के अनुसार शहर की बिजली व्यवस्था भी निगम से छीन लिया गया है। महापौर चाहे भी तो एक खम्भे में बल्ब नहीं लगा सकते हैं।

                        कांग्रेस नेता ने बताया कि देश के छ राज्यों में बिजली व्यवस्था की जिम्मेदारी ईईएसएल कम्पनी के हाथों में है। प्रदेश में बिलासपुर समेत छः नगर निगम में बिजली व्यवस्था ईईएसएल के पास है। ईईएसएल कम्पनी केन्द्र सरकार की ईकाई है। महापौर चाहें भी तो बिजली व्यवस्था को लेकर कम्पनी पर दबाव नहीं बना सकते हैं। पार्षदों की पूछ परख तो दूर की बात है।

जमीन बेचकर बनेगा स्मार्ट शहर

                      कांग्रेस नेता ने बताया कि स्मार्ट योजना से महापौर को दूर रखा गया है। जबकि महापौर निगम का मुखिया होता है। स्मार्ट सिटी योजना को प्रायवेट हाथों में दिया गया है। बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाने में करीब चार सौ सौ करोड़ खर्च होंगे। केन्द्र सरकार पांच किश्तों में 500 हजार करोड़ देगी। राज्य सरकार से स्मार्ट सिटी को 250 सौ हजार करोड़ मिलेंगे। इसी तरह निगम को स्मार्ट सिटी योजना में 250 हजार करोड़ देना है। जानते हुए भी कि बिलासपुर निगम के खजाने में एक रूपए भी नहीं है। जाहिर सी बात है कि 250 हजार करोड़ के लिए निगम क्षेत्र में खाली कीमती सरकारी जमीनों को बेचा जाएगा। बाकी तीन सौ करोड़ रूपए की व्यवस्था पीपीपी माडल से होगी। इन सबमें महापौर की राय…स्मार्ट सिटी प्रायवेट लिमिटेड में कोई मायने नहीं रखता है।

क्या है एसपीव्ही

                                    कांग्रेस नेता के अनुसार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट स्पेशल टीम की निगरानी में होगी। स्पेशल टीम का नाम एसपीव्ही यानि स्पेशल परपज व्हीकल है। इसमें केन्द्र और राज्य के कुल दस अधिकारियों को रखा गया है। निगम महापौर को टीम में स्थान नहीं दिया गया है। महापौर का नाम 28 सदस्यीय परामर्शदात्री कमेटी में है। लेकिन कमेटी के पराममर्श को एसपीव्ही मानने को बाध्य नहीं है।

पार्षद निधि पर तिरछी नज़र

                    कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना शुरू होते ही एसपीव्ही के बिना इजाजत पार्षद लोग अपनी निधि का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। चाहे नाली टूटे या खंभा गिरे…। पार्षद निधि से काम करवाने से पहले पार्षदों को एसपीव्ही को बताना होगा। इजाजत मिलने के बाद ही निधि से काम होगा।

close