यह तो हद हो गयी…रिजल्ट से पहले बांट दिया नए सत्र का प्रमाण पत्र…मुंह छिपाते शिक्षा अधिकारी डाल रहे पर्दा

BHASKAR MISHRA
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IMG-20170917-WA0005बिलासपुर—हमारा देश साधु संतो और ज्योतिष पर कुछ नहीं बहुत ज्यादा विश्वास करता है। ज्योतिषाचार्य तो जातक की भविष्य का लेखा जोखा चेहरा देख पलक झपकते बता देता है। ऐसा  माना जाता है कि ज्योतिषाचार्य सब सच बताता है। बिलासपुर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी किसी ज्योतिषाचार्य से कम नहीं है। 16 सितम्बर को आयोजित एक कार्यक्रम में सत्र 2017-18 में सर्वश्रेष्ठ परीक्षा परिणाम देने वाले सैकड़ों शिक्षकों को एक्सिलेंट प्रमाण पत्र बांट दिया। जबकि सत्र 2017-18 शिक्षा सत्र मिड टर्म में है। परीक्षा परिणाम मार्च अप्रैल या मई तक आएगा। लेकिन शिक्षकों को विषय में 100 प्रतिशत परिणाम देने के लिए प्रमाण पत्र बांट दिया।

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                         आश्चर्य की बात है कि प्रमाण पत्र में जिला कलेक्टर पी.दयानन्द और जिला शिक्षा अधिकारी के भी हस्ताक्षर हैं। इतनी बड़ी गलती क्यों हुई। शिक्षा विभाग के अधिकारी सवाल देने की वजाय मुंह छिपा रहे हैं। जवाब में एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं।

                             16 सितम्बर 2017 को सिम्स के आडिटोरियम हाल में शिक्षकों के सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ऐसे शिक्षकों को सम्मानित किया गया जिन्होने 2017-18 में अपने विषय में सौ प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया है। जबकि सत्र को खत्म होने में 6 महीना बाकी है। दरअसल प्रमाण पत्र में 2016-17 लिखा जाना था लेकिन शिक्षा सत्र 2017-18 लिख दिया गया है।

सैकड़ों प्रमाम पत्र का वितरण

                         ऐसे शिक्षक जिन्होंने अपने विषय में 2016-17 सत्र शिक्षण सत्र में बेहतर परिणाम दिया है। उन्हें जिला शिक्षा विभाग ने 16 सितम्बर को सिम्स के आडिटोरियम हाल में आयोजित कार्यक्रम मेंं सम्मानित किया। लेकिन शिक्षकों को बांटे गए प्रमाम पत्र में तथाकथित बुद्धिजीवियों ने भारी गलती की है। प्रमाण पत्र में शिक्षण सत्र 2016-17 की वजाय 2017-18 लिखा गया है। प्रमाण पत्र के अनुसार शिक्षक को माध्यमिक शिक्षा मण्डल व्दारा आयोजित बोर्ड परीक्षा सत्र 2017-18 में अपने विषयों में 100 प्रतिशत परिणाम देने और उत्कृष्ठ अध्यापन कार्य के लिए श्रेष्ठ शिक्षक के लिए सम्मानित किया जाता है।

 आखिर क्यों हुई गलतीcgvyapam

                प्रश्न उठता है कि आखिर इतनी बड़ी गलती कैसे हुई। जिस विभाग में एक से एक तथाकथित विद्वान विराजमान हों…वहां गलतियों की संभावनाओं का प्रश्न ही नहीं उठता है। प्रमाण पत्र में पिछले सत्र के परिणाम को 2017-18 का बताया जा रहा है। इससे जाहिर होता है कि जिला शिक्षा विभाग में अनेक ज्योतिषाचार्य बैंठे हैं। उन्हें मालूम है कि 6 महीने बाद वही शिक्षक अपने विषय में श्रेष्ठ परिणाम देंगा। जिन्हें उत्कृष्ठ  अध्यापन कार्य के लिए सम्मानित किया जा रहा है।

कलेक्टर को भी लपेटा

             सीजी वाल की टीम को रामबाबू गुप्ता का श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार प्रमाण पत्र हाथ लगा। राम बाबू गुप्ता शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक शाला कोटा विकासखण्ड के शिक्षक हैं। 2017-18 में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा सत्र 2017-18 में अपने विषय में 100 प्रतिशत परिणाम दिया है। इसलिए जिला शिक्षा विभाग राम बाबू गुप्ता को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित करता है।

                              मजेदार बात है कि 2017-18 का सत्र मिडटर्म में है। उसी टर्म के लिे शिक्षकों को सम्मानित किया गया। प्रमाण पत्र में जिला कलेक्टर पी.दयानन्द से हस्ताक्षर है। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी हस्ताक्षर किये है। जिला शिक्षा विभाग ने अपनी गलतियों में कलेक्टर को भी गवाह बना लिया है।

किसने गलती की दिखवाता हूं…सत्र अभी खत्म नहीं हुआ

                    जिला शिक्षा अधिकारी हेमन्त उपाध्याय ने बताया कि जिस प्रमाण पत्र का वितरण किया गया…उसमें यदि 2017-18 लिखा है तो गलत है। मेरा ध्यान भी नहीं गया। 2017-18 सत्र अभी चल रहा है। सत्र मिडटर्म में है। परीक्षा और परिणाम आने का सवाल ही नहीं उठता है। यदि प्रमाण पत्र में ऐसा लिखा गया है…तो बहुत बड़ी गलती है। मैं यह नहीं कहता कि प्रिंटिग मिसटेक है।जरूर कहूंगा कि गलती हुई है। किसने गलती की तत्काल दिखवाता हूं।

 गलती हुई है…क्यों हुई..पता लगाएंगे

                   सहायक जिला शिक्षा परियोजना अधिकारी मनोज राय ने बताया कि आपकी शिकायत के बाद प्रमाण पत्र को देखा।  गलती गंभीर है…बड़े अधिकारी के भी हस्ताक्षर हैं। प्रमाण पत्र के ऊपर में 2017 तो ठीक लिखा है। लेकिन नीचे 2017-18 माशिम में बेहतर परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने की बात कही गयी है। गलती के लिए जो भी जिम्मेदार हैं…जानकारी इकठ्ठा करेंगे। प्रमाण पत्र में जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। बावजूद इसके गलती हुई है। गलती बड़ी है…। जांच होगी…साहब को बताया जाएगा।

समझ में नहीं आता गलती क्यों हुई

 SHIVA MISHRA                            बिल्हा ब्लाक शिक्षा अधिकारी पटेल ने बताया कि बिल्हा ब्लाक के 142 शिक्षक और तीन शिक्षादूतों को सम्मानित किया गया है। प्रमाण पत्र में प्रिटिंग मिसटेक हुई है। लेकिन होनी नहीं चाहिए। क्योंकि प्रमाण पत्र सावधानी से बनाया जाता है। एक एक शब्दों का ध्यान रखा जाता है। विभाग प्रमुख की उपस्थिति में जिला कलेक्टर हस्ताक्षर करता है। क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी मामले को पेश करता है इसलिए विश्वास के साथ कलेक्टर हस्ताक्षर करता है। इसी तरह जिला शिक्षाधिकारी भी हस्ताक्षर करता है। समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी गलती कैसे हो गयी।

ये हद नहीं तो और क्या है

            वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिवा मिश्रा ने कहा कि 2017-18 सत्र अभी खत्म नहीं हुआ.. परीक्षा भी नहीं हुई..परिणाम निकलने का सवाल ही नहीं उठता है। सत्र के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान कर दिया जाता है। अनुमान लगाया जा सकता है कि शिक्षा देने वाले ही जब होश में नहीं है…तो शिक्षकीय गुणवत्ता पर कैसे विश्वास करें। प्रमाण पत्र देखने के बाद समझना आसान हो गया है कि प्रदेश का शिक्षा महकमा कितना लापरवाह है। मंत्री की पत्नी की जगह लोहंडीगुड़ा में परीक्षा कोई दूसरी महिला देती है। आज तक जांच चल रही है। अभी तक जांच का रिजल्ट नहीं आया। लेकिन जिला शिक्षा विभाग बिलासपुर ने एक साल पहले ही बोनस में शिक्षकों को सम्मानित कर दिया। वाह रे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था।

                              बहरहाल मामला धीरे धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। प्रमाम पत्र में की गयी गलतियों को फिलहाल दबाने का प्रयास किया जा रहा है। मामला कलेक्टर के सामने ना पहुंचे। भरसक प्रयास किया जा रहा है।

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