सुनियोजित अपराध ही रोक सकती है पुलिस

BHASKAR MISHRA
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IMG_20150705_104445बिलासपुर—- प्रत्येक देश काल में अपराध पर हमेशा से गहन विचार विमर्श हुआ है। प्रत्येक देश में अपराध को लेकर अलग-अलग परिभाषाएं हैं। सबके अपने तर्क हैं। भारतीय कानून को..अपराध को ब्रिटिश भारत की नज़र से तैयार किया गया है। समय के साथ बदलाव हो रहा है। लेकिन कड़वा सच है कि अपराध और सामाजिक परिवेश के बीच गहरा रिश्ता है। कोई व्यक्ति अपराधी क्यों बनता है। इस पर आदिकाल से लेकर आज तक शोध चल रहा है। रोज नए निष्कर्ष सामने आ रहे हैं। आने वाले समय में भी ऐसा होता रहेगा। बावजूद इसके कानून और पुलिस हमेशा इस बात को ध्यान में रखकर काम करती है कि अपराध बिना सोचे समझे हुआ है या फिर योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। यह बातें आज विचार मंच में बिलासपुर के सीएसपी हरीश यादव ने उपस्थित श्रोताओं के सामने कही।

             
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                         अपराध और मनोविज्ञान पर आयोजित विचारमंच के कार्यक्रम में आज सीएसपी हरीश यादव ने सूक्ष्मता के साथ अपराध जगत से जुड़े तथ्यों को सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि साक्षरता और शिक्षा में काफी अंतर है। देखने में आया है कि शिक्षित लोग साक्षर लोगों की तरह व्यवहार करते हैं। साक्षर लोग शिक्षितों जैसा रूतबा हासिल करना चाहते हैं। हम बेशक शिक्षित हो जाए लेकिन अपनी आदतों से बाज नहीं आते हैं। पुलिस में रहते हुए हमने देखा है कि अच्छे पढ़े लिखे लोग भी अपराध की घटना से जुड़ जाते हैं। हमने देखा है कि कुछ लोग अपराध जानबूझकर करते हैं तो कुछ लोग धोखे में अपराध कर जाते हैं।

                       हरीश यादव ने कहा कि वैज्ञानिकों का मानना है कि जीन और अपराध में सीधा संबध है। यदि ऐसा मान लिया जाए तो एक अपराधी की पूरी पीढ़ी अपराधी कहलाएगी। इस विचारधारा से हमारा सामाजिक ढांचा छिन्न भिन्न हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अपराध को लेकर पाश्चात्य देशों के अपने अलग सिद्धांत हैं। फ्रांस क्रांति के बाद कुछ जरूर स्पष्ट हुआ कि अपराध क्यों होता है और कौन अपराधी बनता है। बावजूद इसके यह सारे सिद्धांत भारत में आकर खत्म हो जाते हैं।

                       हरीश यादव ने कहा कि भारत में अपराध नाम का कोई जिक्र नहीं है। हमारे यहां पाप और पुण्य का लेखा चलता है। कहने का मतलब है हमारा समाज नैतिकता आधारित है। जो समाज के हित में नहीं है वह अनैतिक है…जो अनैतिक है वह देश और व्यक्ति के लिए हितकर नहीं हो सकता है। हरीश यादव ने कहा कि पुलिस केवल सुनियोजित अपराध पर ही लगाम लगा सकती है। अनियोजित अपराध के मसले सुलझा सकते हैं लेकिन रोकना असंभव है। क्योंकि अनियोजित अपराध को रोकना किसी के बस की बात नहीं है।

                                 सीएसपी यादव ने कहा कि समय के साथ नीतियों और नियमों में तेजी से बदलाव हो रहा है। पहले जेल को दण्ड देने का ठिकाना कहा जाता था। लेकिन समय के साथ जेल को सुधार गृह का रूप दिया गया है। आगे भी इसी प्रकार की प्रक्रिया चलती रहेगी। उन्होंने कहा हम भी और हमारा देश एक पते की बात अच्छी तरह से जानता है कि अपराध से घृणा करों अपराधी से नहीं।

                     विचार मंच से हरीश यादव ने पुलिसियां कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डाला। उपस्थित लोगों के सवालों का भी बेवाकी से जवाब दिया। कार्यक्रम के अंत में विचार मंच के प्रमुख साहित्यकार द्वारिका अग्रवाल ने आभार प्रदर्शित किया।

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