जब घर पहुंच गया बैंक…मैनेजर ने की बीमार ग्राहकों की सेवा…पति पत्नी को थमाया पेंशन

BHASKAR MISHRA
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IMG-20170920-WA0042बिलासपुर–बुधवार को बैंक खुद ग्राहक के घर पहुंच गया। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। लेकिन पंजाब नेशनल बैंक ने किया। गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग निराश्रित पति और पत्नी को पेंशन देने बैंक प्रबंधक ललित अग्रवाल टिकरापारा स्थित घर पहुच गए। पेंशन देने के बाद ललित अग्रवाल ने कहा कि सेवा ही हमारा धर्म है। जरूरत के अनुसार हम ऐसा बार बार करेंगे।

             
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                                   पंजाब नेशनल बैंक मैनेजर ललित अग्रवाल ने बैंक प्रबंधन की दुनिया को सेवा भाव की नई परिभाषा दी है। तमाम व्यस्तताओं के बीच बैंक मैनेजर ललित अग्रवाल ग्राहक के घर पहुंचकर ना केवल सेवा धर्म का निर्वहन किया। बल्कि पेंशन देने के बाद अपने ग्राहक से विनम्रता के साथ कहा कि पीएनबी बैंक से संबधित जब भी काम पड़ें…जरूर याद करें। क्योंकि हम आपके सेवक हैं।

                          बेहद संकोची स्वभाव के ललित अग्रवाल पेशे से पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंधक हैं। ग्राहकों की सेवा उनकी जुनूनीयत है। ललित अग्रवाल को जानकारी मिली कि पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक को रूपयोंं की जरूरत है। गंभीर रूप से बीमार होने के कारण बैंक तक नहीं आ सकता है। ललित अग्रवाल को यह भी जानकारी मिली कि बैंक के दोनों ग्राहक पति पत्नी है। दोनों की स्थिति बहुत नाजुक है। निराश्रित पेंशन लेने बैंक तक नहीं पहुच सकते। फिर क्या था… पीएनबी बैंक मैनेजर ललित अग्रवाल जरूरी दस्तावेजों के साथ टिकरापारा पहुंच गए। गंभीर रूप से बीमार टिकरापारा निवासी दोनों ग्राहकों को जरूरी प्रक्रिया के बाद  निराश्रित पेंशन योजना की राशि का भुगतान किया। इसके बाद ललित अग्रवाल बिना कुछ कहे मुस्कान लेकर बैंक लौट गए। जाते हुए उन्होने कहा कि दुबारा जरूरत पड़ने पर सेवा का अवसर जरूर दें।

                                         दयालबंद पीएनबी बैंक मैनेजर ललित अग्रवाल के अनुसार पूर्व पार्षद उदय मजुमदार से जानकारी मिली कि बैंक का ग्राहक टिकरापारा निवासी हीरालाल केवट और उनकी पत्नी पुनिया केवट बहुत बीमार हैं। निराश्रित पेंशन योजना की राशि दोनों बैंक आने की स्थिति में नहीं हैं।

            बैंक प्रबंधक ललित अग्रवाल ने बताया कि जानकारी मिलते ही हीरालाल केंवट के घर गया। उनकी पत्नी पुनिया केवट से भी मिला। दोनों की उम्र बहुत अधिक है। बीमारी के कारण दोनों काफी कमजोर हो चुके हैं। चूंकि मेैं पेंशन देने के इरादे से गया था इसलिए जरूरी बैंकिंग कार्रवाही घर में ही की। हीरालाल और पुनिया से आहरण पर्ची में अगूंठा लेकर 350 के हिसाब से 700 रूपए बच्चों के हाथ में दिया।

                        स्वभाव से शर्मीले खुद को कैमरे से दूर रखने वाले ललित अग्रवाल ने बताया कि मैने कोई अजूबा नहीं किया है। मेरे सामने साल में ऐसे 10-12 प्रकरण आते रहते हैं। अन्य कामों की तरह यह भी मेरा काम है। मुझे खुशी है कि ग्राहक ने सेवा का अवसर दिया। क्योंकि ग्राहकों की सेवा के लिए ही बैंक ने नौकरी दी है। चूकि बैंक के अन्य कर्मचारी व्यस्त हैं इसलिए मुझे आना पड़ा। पीएनबी का मानना है कि बैंक ग्राहकों की सेवा के लिए खोला गया है। ऐसी सूरत में मैंने भी वही काम किया…जो बैंक का उद्देश्य है। हमारी सफलता ग्राहकों की सेवा में है।

                 टिकरापारा स्थित घर में हीरालाल और पुनिया केवट को निराश्रित पेंशन देते समय कई लोग मौजूद थे। सभी लोगों ने पीएनबी और ललित अग्रवाल की सेवाभाव की जमकर तारीफ की। मौजूद लोगों ने कहा कि बैंकिग के साथ सामाजिक सेवा देखने का अवसर बहुत कम मिलता है। लेकिन पीएनबी ने हमेशा की तरह इस बार भी वहीं किया है।

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