बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुराने लम्बित अपीलीय मामलों को निपटाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत अब शनिवार अवकाश के दिन भी कोर्ट खुलेगी और सुनवाई होगी। सितंबर माह से चल रहे इस अभियान के तहत लक्ष्य रखा गया है कि दिसंबर 2018 तक ऐसे सभी मामलों का निराकरण किया जाए, जो पांच से दस साल पुराने हैं। निचली अदालतों में भी शनिवार के दिन मुकदमों की सुनवाई शुरू कर दी गई है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल गौतम चौरड़िया ने बताया कि यह पहल प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की विशेष रुचि को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीबी राधाकृष्णन ने की है। आज शनिवार होने के बावजूद एक विशेष युगल पीठ और एक एकल पीठ ने दीवानी और आपराधिक मुकदमों की सुनवाई शुरू की। युगल पीठ में जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय अग्रवाल मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं। एकल पीठ में जस्टिस पी. सैम कोसी ने आज सुनवाई की।
हाईकोर्ट में बहुत पुराने लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 17 हजार है। इनमें 10 हजार प्रकरण आपराधिक और 7 हजार सिविल के हैं। हाईकोर्ट का लक्ष्य पहले ऐसे मामलों का निराकरण करने का है, जिनमें फरियादी गरीब तबके के लोग हैं और जिन्हें विधिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। इनमें भी आपराधिक अपीलों और जेल अपीलों को प्राथमिकता दी जा रही है। अब तक 9 सितंबर, 16 सितंबर, 23 सितंबर को इन विशेष अदालतों में सुनवाई हो चुकी है और इसका काफी अच्छा प्रतिसाद भी मिला है। श्री चौरड़िया ने बताया कि दो माह में करीब 20 फीसदी मामलों का निराकरण करने में सफलता मिल गई है। उन्होंने बताया कि निचली अदालतों में भी यही अभियान शुरू किया गया है।
लंबित मुकदमों के त्वरित निपटारे के लिए हाईकोर्ट में नियमित रूप से नेशनल लोक अदालत और अधीनस्थ न्यायालयों में लोक अदालत शिविर लगाए जाते हैं, जिनमें दोनों पक्षों की सहमति के बाद मुकदमों का निपटारा होता है। इसके अलावा नियमित कार्यदिवसों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से भी जल्द फैसले दिए जाते हैं। विशेष खंडपीठ गठित कर अवकाश के दिन मुकदमों की सुनवाई पहली बार हाईकोर्ट और निचली अदालतों में की जा रही है।