महादेव अस्पताल का नया कारनामा…86 हजार में हुई डिलेवरी…सरकारी अस्पताल प्रंबधन भी जिम्मेदार

BHASKAR MISHRA
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cims बिलासपुर–व्यापार विहार स्थित महादेव अस्पताल का फिर नया कारनाम सामने आया है। शिकार तखतपुर का एक गरीब परिवार हुआ है। सिम्स और जिला अस्पताल की कृपा से गरीब महिला की डिलेवरी 86 हजार में हुई है। अस्पताल प्रबंधन ने 56 हजार रूपए लेने के बाद तीस हजार रूपए बाद में दिए जाने की शर्त पर छोड़ा है। पीडित परिवार का मुखिया शिकायत के लिए सिम्स  में घूम रहा है। सिम्स के जिस नर्स ने रामेश्वर सिंगरौल को महादेव अस्पताल भेजा था उसने हाथ खड़ा कर दिया है। अब मिन्नत कर रही है कि सिम्स प्रबंधन से शिकायत ना करे।

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                                     तखतपुर निवासी रामेश्वर सिंगरौल के घर में खुशियों आने वाली थीं। रामेश्वर की पत्नी ललिता सिंंगरौल की गोद आजकल में भरने वाली थी। 29 सितम्बर को दर्द हुआ। रामेश्वर ने पत्नी को महतारी एक्सप्रेस से प्रसव कराने जिला अस्पताल आया। जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं के कारण ललिता को सिम्स रिफर कर दिया गया । सिम्स में भी डॉक्टर नहीं मिला। एक नर्स ने रामेश्वर सिंगरौल को बताया कि सुरक्षित और कम रूपयों में महादेव अस्पताल में ललिता का प्रसव कराए। जरूरत हुई तो महादेव अस्पताल के डाक्टर से सहयोग के लिए कह दूंंगी।

                       नर्स की बात मानकर रामेश्वर सिंंगरौल पत्नि को लेकर व्यापार बिहार स्थित महादेव सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल पहुंचा। रामेश्वर के साथ सिम्स के नर्स ने एक आदमी को भी लगा दिया।

ललिता को हुआ स्वस्थ्य बच्चा

                 29 सितम्बर की रात्रि को ललिता ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। रामेश्वर खुशी से उछल गया। दवा दारू में रामेश्वर सिंगरौल ने जमकर रूपए खर्च किए। चार दिन बाद ललिता को डिस्चार्ज कराने गया…तो उसके होश उड़ गए। डाक्टर ने रामेश्वर सिंगरौल को पचास हजार रूपए का बिल थमा दिया। डॉक्टर ने कहा कि बिना रूपए दिये मां और बच्चे को नहीं जाने देंगे। मां और बच्चे को ले जाना हो पचास हजार रूपए देने होंगे। मरता क्या ना करता की तर्ज पर रामेश्वर ने कहीं से उधारी लेकर 20 हजार रूपए दिए। तीस हजार बाद में दिए जाने की शर्त पर अस्पताल प्रबंधन ने ललिता और नवजात बच्चे को छोड़ा।

36 रूपए किए थे खर्चJILA ASPTAL

                   बच्चे और पत्नी को घर छोड़ने के बाद आज रामेश्वर सिंगरौल शिकायत करने सिम्स पहुंचा। उसने बताया कि जिस नर्स ने महादेव अस्पताल भेजा था उसने हाथ खड़े कर दिए है। नर्स ने कहा है कि इस मामले में कुछ नहीं कर सकती है। रामेश्वर सिंगरौल ने बताया कि मैं सोमवार को सिम्स अधीक्षक से नर्स की शिकायत करूंगा।

                     रामेश्वर के अनुसार महादेव अस्पताल में एडमिड के समय तत्काल 10 हजार रूपए जमा किया था। इलाज के लिए डॉक्टर ने स्मार्ट कार्ड से 17 हजार रूपए निकाला। डाक्टरों के कहने पर 9 हजार रूपए की दवाई भी खरीद कर दिया। बावजूद इसके डिस्चार्ज करते समय पचास हजार रूपए का बिल थमा दिया गया।  डाक्टर ने कहा कि पचास हजार देने के बाद ही मां और बच्चे को अस्पताल से बाहर निकलने दिया जाएगा। हाथ पैर जोड़ना भी काम नहीं आया। मैने बताया कि 36 हजार तो पहले ही खर्च कर चुका हूं। पचास हजार रूपए किस बात का बिल है। डाक्टर ने डांटते हुए कहा कि इलाज का बिल है…देना ही होगा। किसी तरह बीस हजार रूपए उधारी लेकर व्यवस्था की। तीस हजार बाद में देने की शर्त पर बच्चा और पत्नी को छोड़ा गया।

सिम्स और जिला अस्पताल जिम्मेदार

                    जग जाहिर है कि जिला अस्पताल और सिम्स कर्मचारी महादेव समेत शहर के निजी अस्पतालों के एजेंट की तरह काम करते हैं। एक तरफ सरकार कहती है कि सुरक्षित प्रसव सरकारी अस्पताल में ही कराएं। सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। मितानिन,आंगनबाड़ी समेत महतारी एक्सप्रेस की भी व्यवस्था है। जब ललिता सिंगरौल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया तो दो टूक जवाब मिला कि डाक्टर नहीं है। सिम्स में भी प्रसव कराने के लिए डॉक्टर नहीं मौजूद नहीं था।

                  नर्स ने एजेंट का काम किया। रामेश्वर सिंगरौल को बताया कि महादेव अस्पताल जाए।  झांसे में आकर रामेश्वर महादेव अस्पताल पहुंचा। देखते ही देखते उसका जेब काट गया। पत्नी और नवजात को भी बंधक बनाकर रखा गया। दरअसल इन सब घटनाओं के लिए जिला अस्पताल और सिम्स प्रबंधन जिम्मेदार है।

रामेश्वर ने कहा करूंगा शिकायत

रामेश्वर सिंगरौल आज शिकायत करने सिम्स पहुंचा। रविवार होने के कारण कोई नहीं मिला। नर्स जरूर मिली…उसने शिकायत नहीं करने की सलाह दी। रामेश्वर ने बताया कि सोमवार को सिम्स आऊंगा। अधीक्षक और डीन से शिकायत करूंगा। कलेक्टर से भी गुहार लगाऊंगा। महादेव अस्पताल और के खिलाफ कार्रवाई की मांग करूंगा। सिंगरौल ने बताया कि मैं बहुत गरीब हूं…मुझे न्याय चाहिए।

 

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