रायपुर।प्रदेश के सभी 168 शहरी क्षेत्रों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय सर्व समाज मांगलिक भवनों का निर्माण किया जाएगा। राज्य के 13 नगर निगम क्षेत्रों में प्रत्येक में तेरह हजार वर्गमीटर, 43 नगरपालिका क्षेत्रों में प्रत्येक में नौ हजार वर्गमीटर और 112 नगर पंचायतों में प्रत्येक में छः हजार वर्गमीटर भूमि में पंडित दीनदयाल उपाध्याय सर्व समाज मांगलिक भवन योजना के तहत मांगलिक भवनों का निर्माण किया जाएगा। यदि निकायों में भवन निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि नहीं होगी तो, जिला कलेक्टर से भूमि की मांग की जा सकेगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए एक रूपए प्रति वर्ग फूट की टोकन दर पर जमीन आवंटित करने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को अधिकृत किया गया है।
प्रदेश के राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने बताया कि मांगलिक भवन निर्माण के लिए निजी भूमि भी दान में दी जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में मांगलिक भवन के कक्षों का नामकरण दानदाता की इच्छानुसार किया जा सकेगा। नगर निगम क्षेत्र में निर्मित किए जाने वाले प्रत्येक मांगलिक भवन के निर्माण के लिए तीन करोड़ रूपए, नगरपालिका क्षेत्र में बनने वाले प्रत्येक भवन के लिए एक करोड़ पचास लाख रूपए और नगर पंचायत क्षेत्र में प्रत्येक मांगलिक भवन निर्माण के लिए पचहत्तर लाख रूपए राज्य प्रवर्तित योजना मद से स्वीकृत किए गए हैं।
सर्व समाज मांगलिक भवन का निर्माण नगरीय क्षेत्रों के बाहरी इलाके में सुगम आवागमन वाले स्थल पर किया जाएगा। इन मांगलिक भवनों का उपयोग निर्धारित शुल्क देकर किया जा सकेगा। सर्व समाज मांगलिक भवनों का निर्माण सूडा द्वारा तैयार किए गए ड्राइंग एवं डिजाइन के आधार पर किए जाएंगे।
नगर निगम क्षेत्र में बनने वाले प्रत्येक मांगलिक भवन में कम से कम 40 कमरे, नगर पालिका क्षेत्र में 30 कमरे और नगर पंचायत क्षेत्र में 20 कमरे के भवन का निर्माण किया जाएगा, जिनमें बाथरूम, शौचालय संलग्न होंगे। साथ ही भवन में रसोईघर, स्टोर, डायनिंग हॉल, कॉरीडोर पार्किंग, लॉन एवं स्टेज, उद्यान भी बनाए जाएंगे। भवन में 24 घण्टे पेयजल एवं विद्युत व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाएगा।
योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य के सभी नगरीय निकायों द्वारा अनुमोदन पश्चात पूर्ण प्रस्ताव तकनीकी स्वीकृति सहित राज्य शहरी विकास अभिकरण को भेजा जाएगा। यहां इन प्रस्तावों का परीक्षण किया जाकर स्वीकृति हेतु राज्य शासन को भेजा जाएगा। प्रस्ताव की स्वीकृति मिलने पर प्रथम किश्त की राशि निकायों को जारी किए जाएंगे। इस राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं भवन निर्माण के फोटोग्राफ्स प्रस्तुत करने पर द्वितीय किश्त की राशि जारी कर दी जाएगी। इन सामाजिक भवनों में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन एवं ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी उपयोगकर्ता एवं संचालनकर्ता दोनों की होगी