बुधवार को खरना प्रसाद
बिलासपुर में छठमहापर्व उत्सव समिति के पदाधिकारी अभय नारायण राय और रोशन सिंह ने बताया कि छठमहापर्व के दूसरे दिन बुधवार पंचमी को खरना मनाया गया। महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। खरना प्रसाद में गन्ने का रस ओर दूध में बने चावल खीर, चावल का पीठा और घी चुपड़ी रोटी शामिल होती है। प्रसाद सबको बांटा जाता है।
सूर्य को अर्घ्य
अभय और रोशन ने बताया कि महापर्व के तीसरे दिन षष्ठी तिथि पर छठ का प्रसाद बनता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा में प्रसाद में ठेकुआ यानी टिकरी और चावल का लड्डू यानी लडुवा शामिल होता है। चढ़ावे में सांचा और फल भी होता है। पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।
उदयाचल सूर्य को अर्घ्य के बाद टुटेगा व्रत
महापर्व के चौथे दिन सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य के बाद व्रत तोडऩे की प्रक्रिया होगी। इस दिन उसी स्थान पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। जहां पूर्व संध्या को दिया गया था। पूजा करने के बाद व्रत धारी कच्चे दूध का शरबत पीते हैं और थोड़ा प्रसाद खाकर उपवास तोड़ते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
अभय नारायण राय ने बताया कि छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। खरना के प्रसाद में नमक और चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता है। अर्घ्य में चढ़ाए जाने वाला प्रसाद बनाने तक कुछ नहीं खाया जाता है। उपवास के दौरान झूठ बोलने से बचा जाता है। मांसाहार और मदिरा सेवन करना पूरी तरह से वर्जित और अपराध है।
आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रवीण झा ने बताया कि सिर्फ धर्म के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए छठ पूजा जरूरी है। हम आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं। उन बेटों के लिए जिनके घर आने का छठ पर्व बहाना होता है। उस मां के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों बीत जाते हैं। उस परिवार के लिए जो टुकड़ों में बंट गया है। उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में देखा है। ये छठ जरूरी है उस परम्परा को जिन्दा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है। जो बताता है की बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है। जो सिर्फ उगते सूरज को नहीं डूबते सूरज को भी सलाम करते हैं। छठ जरूरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए। सूप और दौउर को बनाने वालो के लिए। ये बताने के लिए की इस समाज में उनका भी महत्व है। ये छठ जरूरी है उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं। ये छठ जरूरी है। बेहद जरूरी।
प्रवीण झा ने बताया कि छठ सिर्फ पर्व नहीं है, एक बहाना भी है। बेटे के लिए घर आने का बहाना और मां के लिए बेटे को बुलाने का। दशहरा-दिवाली भले ही परदेस में बीत जाए, छठ तो घर में ही मनेगी। छठी मइया के साथ। ये छठ की छटा है। उल्लास है। तभी तो बेटा छठी मइया के बहाने अपनी मइया से मिलने चला आता है।
सूर्य आराधना से लाभ:
प्रवीण झा ने बताया कि सूर्य की अर्चना से श्रद्धालुओं को कई लाभ मिलते हैं। नेत्र और चर्मरोग से पीडि़त अनेक लोगों को सूर्य के पूजन से लाभ मिला है। सूर्य के अनेक स्तोत्रों में विभिन व्याधियों के निवारण के लिए प्राथनाएं हैं।छठ महापर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है । अथर्ववेद में छठ पर्व का उल्लेख है। पर्व को वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी माना गया है। सच्चे मन से की गई व्रती की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। छठ व्रत को करने वाला परिवार धन-धान्य, पुत्र पुत्रियों को प्राप्त करता है।