प्रदेश को 2022 तक नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य-रामसेवक पैकरा

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paikara_review_novरायपुर।गृह, जेल और सहकारिता मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने राज्य के नक्सल समस्या ग्रस्त इलाकों में नये और छोटे जिलों का निर्माण किया। इसके फलस्वरूप वहां नक्सल समस्या को समाप्त करने की दिशा में सरकार को अच्छी सफलता मिल रही है।पैकरा ने गुरुवार दोपहर मीडिया प्रतिनिधियों को रमन सरकार के विगत 14 वर्ष की विकास यात्रा के तहत अपने विभागों की उपलब्धियों की जानकारी दी।पैकरा ने कहा नये जिलों के निर्माण से प्रशासन जरिये सरकार की योजनाएं जनता तक तेजी से पहुंच रही है। इन इलाकों में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना है। इससे जहां विकास के कार्य तेजी से हो रहे हैं, वहीं नक्सल समस्या को हल करने में भी हमें कामयाबी मिल रही है। जनता के सहयोग और सुरक्षा बलों की सजगताा और सक्रियता से  सरगुजा नक्सल मुक्त हो चुका है।

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उन्होंने कहा- डॉ. रमन सिंह की सरकार ने छत्तीसगढ़ को वर्ष 2022 तक नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। सरकार उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विगत 14 वर्ष में बनाये गए जिलों का उल्लेख करते हुए पैकरा ने बताया कि बस्तर अंचल में बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोण्डागांव जिलों का निर्माण किया गया। सरगुजा अंचल में सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज जिलों का गठन हुआ। नये जिलों में पुलिस बल की संख्या भी बढ़ी है। निर्माण कार्यों में पुलिस मदद कर रही है। प्रभावित इलाकों में सर्चिंग ऑपरेशन भी चल रहे हैं।
पुलिस थानों, चौकियों और पुलिस बल की संख्या में भारी इजाफा
पुलिस का बजट 288 करोड़ से बढ़कर 3531 करोड़ तक पहुंचा

   पैकरा ने बताया कि राज्य गठन के समय प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या 293 और चौकियों की संख्या 57 थी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में शांति और सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज की स्थिति में प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या बढ़कर 493 और पुलिस चौकियों की संख्या 113 हो गई है। वर्ष 2003 में पुलिस विभाग का बजट सिर्फ 288 करोड़ रूपए था, जो आज की स्थिति में वर्ष 2017-18 में बढ़कर तीन हजार 531 करोड़ 55 लाख रूपए तक पहुंच गया है।

पैकरा ने बताया कि राज्य गठन के समय पुलिस के सिर्फ 22 हजार 520 पद स्वीकृत थे। विगत 14 वर्षाें में पुलिस बल को सुदृढ़ करने की सरकार की नीति के तहत आज की स्थिति में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर 49 हजार 175 हो गई है। राज्य में इस समय पुलिस बल की संख्या बढ़कर  75 हजार 453 तक पहुंच गई है।पैकरा ने बताया कि विगत 14 वर्षाें में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की बटालियनों की संख्या सात से बढ़कर 22 हो गई। वर्ष 2007 में एस.टी.एफ. बटालियन के गठन की स्वीकृति दी गई और 2733 नये पद निर्मित किए गए।

सी.आर.पी.एफ. बस्तरिया बटालियन में की गई
739 आदिवासी युवाओं की भर्ती

    गृह मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) की 12 बटालियनों में से एक बटालियन को बस्तरिया बटालियन के रूप में स्वीकृति मिली है। इस बटालियन में नक्सल प्रभावित चार जिलों – सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से आदिवासी संवर्ग के 739 पदों पर भर्ती की जा चुकी है।     पुलिस बल और पुलिस कर्मियों की सुविधा की दृष्टि से उनके कार्यालय भवनों और आवास गृहों का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। विगत 14 वर्ष में चार पुलिस अधीक्षक कार्यालय भवन, 18 पुलिस लाइन प्रशासकीय भवन , तीन पुलिस कन्ट्रोल रूम भवन, 11 बटालियन मुख्यालय भवन, 228 थाना भवन, 46 चौकी भवन और एस.टी.एफ. के लिए चार हबों का निर्माण किया गया। नक्सल प्रभावित जिलों में 75 थाना भवनों के निर्माण के लिए 150 करोड़ रूपए मंजूर किए गए। इनमें से 73 थानों भवनों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया।

पुलिस कर्मियों के लिए बन रहे 800 करोड़ रूपए के मकान
    पैकरा ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना के तहत राज्य में पुलिस कर्मचारियों के लिए दस हजार मकान बनवाए जा रहे हैं। वर्तमान में इनमें से 800 करोड़ रूपए की लागत से 6168 भवनों का निर्माण प्रगति पर है। गृह मंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने प्लेसमेंट एजेंसियों के कार्योें के प्रभावी नियंत्रण और नियमन के लिए कानून बनाया है। बाल अधिकार अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ की स्थापन पुलिस मुख्यालय में की गई है। महिलाओं की मदद के लिए वन स्टाप सेंटर बनाया गया है।
जेलों की संख्या 26 से बढ़कर 33 हुई
    पैकरा ने जेल विभाग की 14 वर्ष की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने प्रदेश में जेलों की स्थिति में भी लगातार सुधार किया है। वर्ष 2003 में राज्य में 26 जेलें थीं। इनमें चार केन्द्रीय जेल, 6 जिला जेल और 16 उपजेल थे। इनकी संख्या जून 2017 तक बढ़कर 33 हो गई, जिनमें पांच केन्द्रीय जेल, 12 जिला जेल और 16 उपजेल शामिल हैं। जेलों में बंदियों की सुविधा के लिए आवास क्षमता भी बढ़ायी जा रही है। वर्ष 2003 में प्रदेश की जेलों में आवास क्षमता 4503 थी, जो मई 2017 तक बढ़कर 10 हजार 287 तक पहुंच गई। वर्ष 2018 तक जेलों में बंदी आवास क्षमता 13 हजार 567 तक पहुंचाने का लक्ष्य है।पैकरा ने बताया कि राज्य में वर्ष 2003 की स्थिति में जेल कर्मचारियों की संख्या 970 थी जो आज की स्थिति में बढ़कर दो हजार 388 हो गई है। उन्होंने बताया कि सभी पांच केन्द्रीय जेलों में जेल कर्मचारियों को बुनियादी प्रशिक्षण देने के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण केन्द्र भी बनाए गए हैं।
जेलों से जिला अदालतों तक होगी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग  
    जेलों में बंदियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर सभी  जिला अदालतों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग प्रणाली से जोड़ा जा रहा है। इसके फलस्वरूप कई प्रकरणों में बंदियों को पेशी के लिए न्यायालय भेजने की जरूरत नहीं होगी। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सुनवाई आसानी से होगी और प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण किया जा सकेगा। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) के माध्यम से आठ जेलों और नौ जिला अदालतों में लीज लाइन का काम पूर्ण कर लिया गया है। इसके साथ ही नौ जेलों और 11 अदालतों के लिए लीज लाइन के द्वितीय चरण का कार्य शुरू हो चुका है।पैकरा ने यह भी बताया  कि  राज्य की 15 जेलों में बंदियों के कौशल उन्नयन की भी व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत इनमें से पांच केन्द्रीय जेलों, आठ जिला जेलों और दो उपजेलों में 33 विभिन्न ट्रेडों में बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक दो हजार 244 पुरूष बंदियों और 72 महिला बंदियों को मिलाकर कुल  2316 बंदी प्रशिक्षित हो चुके हैं। वर्तमान में 707 पुरूष और 90 महिला बंदियों को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जा  रहा है।
नया रायपुर में टोल फ्री नम्बर 101 के साथ बना फायरब्रिगेड मुख्यालय
    गृह मंत्री ने बताया कि होमगार्ड संगठन और अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में होमगार्ड (नागरिक सुरक्षा) संगठन में वर्ष 2003 में अधिकारियों, कर्मचारियों और जवानों की संख्या छह हजार 467 थी, जो वर्तमान में बढ़कर 10 हजार  609 तक पहुंच गई है। होमगार्ड के मानदेय मंे भी इस दौरान अच्छी वृद्धि की गई है। वर्ष 2003 में होमगार्ड के जवानों को सिर्फ 2100 रूपए मासिक मानदेय मिलता था, जिसे बढ़ाकर आज की स्थिति में 13 हजार 200 रूपए कर दिया गया है। राज्य सरकार ने इस वर्ष 5 मई 2017 से फायरब्रिगेड एवं आपातकालीन सेवा के लिए कन्ट्रोल रूम का गठन किया है। इसका संचालन नया रायपुर स्थित होमगार्ड मुख्यालय से किया जा रहा है। इसमें टोल फ्री नम्बर 101 डायल करके मदद ली जा सकती है।
एस.डी.आर.एफ. के जवानों को बंगाल की खाड़ी में
गोताखोरी का प्रशिक्षण
  पैकरा ने बताया – प्रदेश सरकार ने राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ.) की सात टीमों का भी गठन कर लिया है। इनके जवानों को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एन.डी.आर.एफ.) द्वारा प्रशिक्षण दिया गया  है। इनमें से पांच टीमों को पांच संभागीय मुख्यालयों – रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, दुर्ग और अम्बिकापुर में तथा दो टीमों को रायपुर और बिलासपुर के प्रशिक्षण केन्द्रों में तैनात किया गया है। राज्य आपदा मोचन बल के 98 अधिकारियों और जवानों को इस वर्ष 15 सितम्बर से 24 सितम्बर तक और 14 नवम्बर से 23 नवम्बर तक बंगाल की खाड़ी में समुद्र के 70 मीटर गहरे पानी में गोताखोरी का प्रशिक्षण दिलाया गया।
अब राज्य की लगभग 74 हजार बसाहटों में हुई पेयजल व्यवस्था
    लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की 14 वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए रामसेवक पैकरा ने बताया कि राज्य सरकार ने जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सार्थक प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा राज्य के 55 हजार 294 स्कूलों में और 27 हजार 428 आंगनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल व्यवस्था की जा चुकी है। वर्ष 2003 की स्थिति में छत्तीसगढ़ में सिर्फ 44 हजार 542 बसाहटों में पेयजल की सुविधा थी, जबकि अक्टूबर 2017 तक 73 हजार 848 बसाहटों में निर्धारित मापदंड के अनुसार पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। विगत 14 वर्षाें में प्रदेश में हैण्डपम्पों की संख्या लगभग एक लाख 36 हजार से बढ़कर दो लाख 68 हजार तक पहुंच गई है।पैकरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस समय प्रत्येक 73 लोगों पर एक हैंडपम्प कार्यरत है। वर्ष 2003 में राज्य में 978 ग्रामीण नल-जल योजनाओं का संचालन किया जा रहा था। जबकि आज की स्थिति में इनकी स्वीकृत संख्या बढ़कर तीन हजार 487 हो गई है। इनमें से तीन हजार 148 ग्रामीण नलजल योजनाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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