छत्तीसगढ़ में नदियों को जोड़ने की तैयारी,प्रदेश मे सात गुना बढ़ी सिचाई

Shri Mi
8 Min Read

cfa_index_1_jpgchhattisgarh_ndaiya♦नदी-नालों में बनाये गए 651 स्टाप डेम
♦इंटर लिकिंग परियोजना के लिए सर्वेक्षण जारी
रायपुर।
जल संसाधन विभाग ने सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ में नदियों को आपस में जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। कृषि और जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मंगलवार को बताया कि इसके लिए इंटर लिकिंग परियोजना बनाई गई है और सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। इनमें महानदी-तांदुला, पैरी-महानदी, रेहर, अटेम, अहिरन-खारंग और हसदेव-केवई इंटरलिकिंग परियोजना शामिल हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि इन नदियों में निर्मित सिंचाई बांधों में जब शत-प्रतिशत जल भराव हो जाएगा तो उसके बाद वहां के अतिरिक्त पानी का समुचित उपयोग करने के लिए यह परियोजना तैयार की गई है।मंत्री अग्रवाल ने अपने विभागों ( जल संसाधन, कृषि, पशुपालन, मछलीपालन और धर्मस्व) की 14 वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसे पूर्ण करने के लिए छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करते हुए खेती-किसानी के लिए कई बेहतरीन योजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें राज्य शासन द्वारा प्रस्तावित चिराग योजना भी शामिल है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

उन्होंने यह भी बताया कि चिराग योजना के लिए 1500 करोड़ रूपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए विश्व बैंक से सहायता ली जाएगी। इस योजना में लगभग चार लाख किसान परिवारों को जोड़ा जाएगा। उनके उत्पादन समूह बनाए जाएंगे और लगभग छह हजार कृषि उद्यमों की स्थापना की जाएगी। करीब 50 हजार युवाओं को भी चिराग योजना से जोड़कर उन्हें खेती-किसानी से संबंधित कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह की सरकार इस महीने की सात तारीख को 14 वर्ष पूर्ण कर 15वें वर्ष में और 12 दिसम्बर को तीसरी पारी के चार वर्ष पूर्ण कर पांचवे वर्ष में प्रवेश करने जा रही है। मंत्रिपरिषद में लिए गए निर्णय के अनुसार इस उपलक्ष्य में सभी विभागों के मंत्रिगण पत्रकार वार्ता लेकर मीडिया को अपने-अपने विभागों की 14 साल की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे हैं।      इसी कड़ी में  बृजमोहन अग्रवाल ने आज पत्रकार वार्ता में मीडिया को इन उपलब्धियों की जानकारी दी। उनके साथ कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय सिंह , जल संसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा,  विभाग के प्रमुख अभियंता  एच.आर कुटारे, कृषि विभाग के संचालक  एम.एस. केरकेट्टा, मछली पालन विभाग के संचालक व्ही.के. शुक्ला, इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटिल और अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

बृजमोहन अग्रवाल ने बताया – मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने प्रदेश के किसानों के व्यापक हित में सिंचाई सुविधाओं के विकास और विस्तार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने 14 साल में जल संसाधन विभाग का बजट 493 करोड़ 90 लाख रूपए से बढ़ाकर 3155 करोड़ रूपए कर दिया है। इस प्रकार विभाग के बजट में सात गुना वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में राज्य की तीन योजनाएं शामिल
मंत्री अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत केन्द्र सरकार ने पूरे देश में जिन 99 योजनाआंे को चिन्हांकित किया है, उनमें छत्तीसगढ़ की तीन सिंचाई परियोजनाएं – केलो, खारंग और मनियारी भी शामिल हैं। इन तीनों योजनाओं का निर्माण पूर्ण होने पर 42 हजार 625 हेक्टेयर के अतिरिक्त रकबे में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के नवीन बजट में इन योजनाओं को फास्टट्रेक में शामिल कर दो करोड़ रूपए का प्रावधान किया है।     
कृषि विभाग के बजट में 926 प्रतिशत की वृद्धि
     कृषि विभाग की उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि विगत 14 वर्ष में केन्द्र सरकार से राज्य को चार कृषिकर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इनमें से तीन पुरस्कार चावल उत्पादन पर और एक पुरस्कार दलहन उत्पादन पर मिला है। श्री अग्रवाल ने बताया कि विगत 14 वर्ष में कृषि विभाग का बजट लगभग 184 करोड़ रूपए से बढ़कर वर्तमान में 1887 करोड़ 64 लाख रूपए हो गया है, जो वर्ष 2003-04 की तुलना में 926 प्रतिशत ज्यादा है। विगत 14 वर्ष में राज्य में धान के उत्पादन में 47 प्रतिशत, तिलहन के उत्पादन में 158 प्रतिशत और दलहन के उत्पादन में 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
फसलों के उन्नत बीज उत्पादन में छत्तीसगढ़ अब आत्मनिर्भर
    कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि विभिन्न फसलों के उन्नत बीज उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ 14 साल में आत्मनिर्भर हो गया है। इस अवधि में राज्य में उन्नत बीजों का उत्पादन 44 हजार 400 क्विंटल से बढ़कर वर्ष 2016-17 तक दस लाख 50 हजार क्विंटल अर्थात् 23 गुना हो गया है। बीजों के भंडारण की क्षमता बढ़ाने के लिए भी कृषि विभाग ने शानदार काम किया है। उन्होंने बताया कि 14 साल पहले राज्य में केवल 12 गोदम थे, जिनकी भंडारण क्षमता सिर्फ सात हजार 500 मीटरिक टन थी। विभाग ने अभियान चलाकर 103 गोदामों का निर्माण किया, जिन्हें मिलाकर भंडारण क्षमता 81 हजार 650 मीटरिक टन हो गई है।
मिट्टी परीक्षण और स्वायल हेल्थ कार्ड वितरण में छत्तीसगढ़ पहले नम्बर पर
    कृषि मंत्री ने बताया कि खेतों की मिट्टी की सेहत की जांच के लिए चल रही स्वायल हेल्थ कार्ड योजना में छत्तीसगढ़ पूरे देश में पहले नम्बर पर है। राज्य में इस योजना के प्रथम चरण में विगत दो वर्ष में 46 लाख स्वायल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए जा चुके हैं। राज्य में वर्ष 2015-16 में अल्प वर्षा के दौरान किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत लगभग 700 करोड़ रूपए के बीमा राशि का भुगतान किया गया है।उन्होने यह भी बताया कि कृषि विभाग ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के पांच जिलों को शत-प्रतिशत जैविक कृषि जिला और 22 विकासखंडों को जैविक कृषि विकासखंड बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी फसलों के रकबे में 404 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और उत्पादन 14 लाख 16 हजार मीटरिक टन से बढ़कर 98 लाख 34 हजार मीटरिक टन तक पहुंच गया है।

Share This Article
By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close