आम आदमी के पांच तीखे सवाल…करोड़ों का बजट, निःशुल्क शिक्षा..फिर फिसड्डी क्यों..

BHASKAR MISHRA
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aap 1बिलासपुर–आम आदमी पार्टी नेताओं ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर की है। आम आदमी पार्टी के युवा विंग ने स्कूली शिक्षा मंत्री पर पांच सवाल दागते हुए सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर के लिए कारण पूछा है।

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         आम आदमी पार्टी युवा विंग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के गिरते शिक्षा स्तर पर चिंता जाहिर की है। आप युवा विंग अध्यक्ष सौरभ निर्वाणी ने प्रदेश शिक्षा मंत्री से पांच सवाल किए हैं।

                                       आम आदमी पार्टी के युवा विंग प्रदेश अध्यक्ष सौरभ निर्वाणी ने केदार कश्यप पर पांच सवाल दागे हैं। सरकारी स्कूलों का संचालन सरकार करती है तो विधायक और सांसदों के बच्ते निजी स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के लिए जिम्मेदार कौन है। किसी भी सरकारी स्कूलों में जगह उम्मीद से अधिक होती है। खेल कूद का मैदान भी होता है। सरकार अच्छे शिक्षकों को नियुक्त करती है। बावजूद इसके परिणाम खराब आने की वजह क्या हैं। खेल में भी सरकारी स्कूल के बच्चे फिसड़्डी क्यों रहते हैं।

                निर्वाणी ने स्कूली शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर जवाब मांगा है कि सरकारी स्कूलों की प्रतिष्ठा दिनों दिन गिर रही है।इसकी वजह क्या हो सकती है। खुद शिक्षकों के बच्चे सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते।  राज्य के शिक्षा मंत्री होने के नाते सरकारी स्कूलों के स्तर और प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए सरकार ने अभी तक क्या प्रयास किया । यदि किया है तो परिणाम बुरे क्यों हैं।

                               आप युवा नेता ने पत्र के माध्यम से जानना चाहा है कि सरकारी स्कूलों का शिक्षा बजट कई सौ करोड़ का है। फिर भी सरकारी स्कूल निजी संस्थानों के सामने कमजोर क्यों हैं। इसकी वजह क्या है। शिक्षा को लेकर सरकार के पास कोई विजन क्यों नजर नहीं आता है।

                       एक व्यापारी सरकार से कौड़ी के मोल, लीज में जमीन लेकर सर्वसुविधायुक्त विश्वस्तरीय स्कूल बनाता है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के पास पर्याप्त जमीन और करोड़ो का बजट होने के बाद भी घिसटती हुई दिखाई देती है। इसकी वजह क्या है…? निर्वाणी ने बताया कि ऐसा लगता है कि सरकार के पास शिक्षा को लेकर ठोस प्लानिंग नहीं है। पिछले 15 सालों से निजी स्कूलों की बाढ़ आ गयी है। फीस भी अधिक है…जबकि सरकारी स्कूलों में नाम मात्र का शुल्क या फिर शुल्क है ही नहीं..। बावजूद इसके लोग बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं। इसका उत्तर स्कूली शिक्षा मंत्री को देना चाहिए।

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