नईदिल्ली।शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने की आशंका है। कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव होने के बाद बतौर पार्टी प्रेसिडेंट राहुल गांधी का यह पहला सत्र होने जा रहा है।वहीं इस सत्र के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की संसदीय पारी का आगाज हो रहा है।गुजरात विधासनभा चुनाव में राहुल गांधी के प्रचार अभियान की आक्रामकता देखते हुए संसद में उनके तेवर हमलावर होने की उम्मीद जताई जा रही है।गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और नोटबंदी के साथ अन्य मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार को घेरने की रणनीति बना चुके हैं। इस दौरान लड़ाकू विमान राफेल की खरीदारी, राम मंदिर का मुद्दा और अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर सवाल उठने की उम्मीद है।शीतकालीन सत्र शुरू होने के ठीक पहले ही महंगाई और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आए हैं।पिछले चार महीने से लगातार बढ़ रही महंगाई नवंबर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मीडियम टर्म टारगेट (4 फीसदी) को पार कर चुकी है वहीं अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन कम होकर 2.2 फीसदी हो गई, जो पिछले महीने में 3.8 फीसदी थी।कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दल नोटबंदी और जीएसटी का हवाला देते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट को लेकर मोदी सरका पर हमलावर रहे हैं।
गौरतलब है कि नोटबंदी और उसके तत्काल बाद लागू हुई जीएसटी की वजह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 6 फीसदी से भी नीचे चली गई थी।हालांकि दूसरी तिमाही में जीडीपी भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के झटके से उबरने में सफल रही है।सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.3 फीसदी रही जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 5.7 फीसदी रहा था, जो पिछले तीन सालों की सबसे कमजोर ग्रोथ रेट थी। सरकार दूसरी तिमाही के आंकड़ों का सहारा लेकर विपक्ष के हमलावर रूख पर पलटवार कर सकती है लेकिन विपक्ष पहले ही कह चुका है कि इस तेजी को स्थायी ट्रेंड नहीं माना जा सकता है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘यह कहना जल्दबाजी होगी कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की 6.3 फीसदी वृद्धि दर के रूप में आर्थिक मंदी का रुख उलट गया है, क्योंकि इसमें छोटे और मझौले क्षेत्रों के आंकड़े नहीं हैं, जिसे नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।उन्होंने जुलाई-सितंबर तिमाही की 6.3 फीसदी वृद्धि दर का स्वागत किया, लेकिन चेतावनी दी कि यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी कि अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है।
संसद का शीतकालीन सत्र वैसे समय में शुरू हो रहा है, जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। 18 दिसंबर को इन दोनों राज्यों के चुनाव के नतीजे आने हैं और इनके नतीजे आने वाले दिनों में संसद सत्र की दशा और दिशा तय करेंगे।पिछले 22 सालों से गुजरात में सत्ता से बाहर रह रही कांग्रेस ने वापसी का दावा ठोका है। हालांकि गुरुवार शाम आए एग्जिट पोल्स के मुताबिक दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है।गुजरात में जहां बीजेपी सरकार में बनी रहेगी वहीं हिमाचल में पार्टी की वापसी होती दिख रही है।शीतकालीन सत्र में देरी होने को लेकर विपक्षी दल पहले ही सरकार पर निशाना साध चुके हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना मतलब के कारणों से संसद के शीतकालीन सत्र को बुलाने में से देरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने ‘घमंड’ में भारतीय संसदीय लोकतंत्र पर काली छाया डाल रही है।उन्होंने कहा कि सरकार गुजरात विधानसभा से पहले सवाल-जवाब से बचना चाहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ‘लोकतंत्र के मंदिर को बंद कर’ संवैधानिक जवाबदेही से नहीं भाग सकती।