सीखने के लिए उमर की बंदिश नहीं

Chief Editor
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bu borah

बिलासपुर  । शिक्षक पढ़ाई का बेहतर माहौल बनाएं, जिससे आज के प्रतिस्पर्धा में छात्र बेहतर ढंग से अपने आप को तैयार कर सकें। इसके लिए छात्रों के अनुकूल पाठ्यक्रम होना चाहिए। ये बातें संभागीय कमिश्नर सोनमणि बोरा ने बिलासपुर विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय 14 से 16 जुलाई तक आयोजित कार्यशाला ’’ओरियेन्टल प्रोग्राम फार टू ईअर बी.एड. केरीकुलम, टीचिंग, लर्निंग प्रोसेस’’ के शुभारंभ अवसर पर कही।
श्री बोरा ने कहा कि शिक्षा का पाठ्यक्रम छात्र-छात्राओं के अपेक्षाओं के अनुकूल होने चाहिए। समय के अनुसार शिक्षा पद्धति में बदलाव आया है। उसी के अनुरूप शिक्षकों के प्रति विद्यार्थियों की अपेक्षाएं बढ़ी है। शिक्षक भी विद्यार्थियों के अपेक्षाओं के अनुरूप अपने आप को तैयार करें। वर्तमान शिक्षा पद्धति में शिक्षा और संस्कार के साथ कौशल विकास को शामिल करना होगा। जो छात्रों को रोजगार उपलब्ध कराने में मददगार साबित हो। श्री बोरा ने कहा कि इस कार्यशाला को ज्यादा रूचि परक एवं सकारात्मक बनाएं, जो उनके क्षमता विकास में बेहतर साबित हो सके। पुरातन काल से अब तक शिक्षा पद्धति में बदलाव आया है। अब तकनीकी शिक्षा मुख्य आधार हो गया है। डिजीटल, ई-क्लास रूम, आनलाईन पाठ्यक्रम की उपयोगिता बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों को एवं शिक्षा पाठ्यक्रमों में आवश्यक बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कार्यशाला में शामिल प्राचार्य, शिक्षकों से कहा कि यहां से लौटने के बाद अपने महाविद्यालय में प्रजेन्टेशन दें, ताकि शेष शिक्षकों को भी जानकारी मिल सके। यह कार्यशाला महत्वपूर्ण है, इसमें रूचि एवं उत्साह के साथ भाग लेकर जानकारी प्राप्त करें। सीखने के लिए उम्र की बंदिश नहीं है। अनवरत शिक्षा प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस कार्यशाला का लाभ उठाने के लिए विशेष जोर दिया। श्री बोरा ने कहा कि शिक्षकों की छवि सकारात्मक होना चाहिए। ताकि विद्यार्थी जीवन भर याद करें। उन्होंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में गुणवत्ता परक पाठ्यक्रम अनुकूल पुस्तकें बढ़ाने की सलाह दी।
बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी.डी.शर्मा ने कार्यशाला में शामिल पाठ्यक्रम को तैयार करने में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय के अनुरूप जो नई चीजें आई हैं उसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो सके। इसके साथ ही उन्होंने स्कूल से हायर एज्युकेशन तक की जानकारी देते हुए शिक्षा का बेहतर माहौल बनाने के लिए विशेष जोर दिया।
कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. निशी भामरी ने पाठ्यक्रम तैयार करने के संबंध में बताया कि पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के सामाजिक, सांस्कृतिक, उद्देश्यों के साथ उनके रूचि के अनुकूल बनाया गया है। विद्यार्थियों के साथ शिक्षक, पालकों एवं उनके समुदाय को भी समझकर शिक्षा देंगे। शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाना ही नहीं है, बल्कि उन्हें बच्चों के सामाजिक, पारिवारिक वातावरण को भी समझना होगा। जिससे बच्चों की रूचि पढ़ाई के प्रति बढ़े और वे नियमित रूप से ज्ञान अर्जित कर सकें। पाठ्यक्रम में सभी जरूरतों को समाहित किया गया है, जो बच्चों के पढ़ाई के अनुकूल हो। पाठ्यक्रम सिर्फ थ्योरिकल ही नहीं प्रेक्टिकल मेथेड से तैयार किया गया है।
कार्यक्रम में रजिस्टार डाॅ. अरूण कुमार सिंह ने अतिथियों एवं कार्यशाला में प्रतिभागी एवं रिसोर्स पर्सन एवं उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं का आभार माना। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित एवं पूजा अर्चना कर किया गया। कार्यक्रम में संभागायुक्त श्री सोनमणि बोरा एवं कुलपति प्रोफेसर जी.डी.शर्मा का शाल-श्रीफल से सम्मानित किया गया।
लायब्रेरी और होटल मैनेजमेंट कक्ष का उद्घाटन –
संभागायुक्त  सोनमणि बोरा ने आज बिलासपुर विश्वविद्यालय परिसर में लायबे्ररी कक्ष का उद्घाटन किया। श्री बोरा ने विश्वविद्यालय के लायबे्ररी को सर्वसुविधायुक्त एवं पर्याप्त पुस्तकों के साथ सुदृढ़ करने के लिए विशेष जोर देते हुए शहर के युवाओं को पढ़ने के लिए जगह उपलब्ध कराने विश्वविद्यालय के कुलपति का ध्यान आकर्षित कराया था। इस पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने त्वरित कार्यवाही करते हुए विश्वविद्यालय में एक कक्ष की व्यवस्था की है। वहां पर शहर के युवक पीएससी, यूपीएससी, पीईटी, पीएमटी जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे। उन्हें सुविधायुक्त कक्ष पढ़ाई के लिए मिलेेगा। इसके साथ ही संभागायुक्त ने विश्वविद्यालय में होटल मैनेजमेंट कक्ष का भी उद्घाटन किया। जहां पर होटल मैनेजमेंट के इच्छुक युवक-युवतियां प्रवेश लेकर पढ़ाई कर सकेंगे।

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