पुलिस का व्यवहार ऐसा न हो कि समाज या बच्चों को तकलीफ हो,बाल अपराध फर ट्रेनिंग का समापन

Chief Editor
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adgp_vij_index रायपुर ।  राज्य में बच्चों के हितों को संरक्षण और बाल अपराध एवं ट्रैफिकिंग पर नियंत्रण के उद्देश्य से राज्य के समस्त जिलों के पुलिस अधिकारियों का दो सप्ताह का प्रशिक्षण (18 दिसम्बर से 29 दिसम्बर तक) शुक्रवार को  राज्य पुलिस अकादमी चंदखुरी में सम्पन्न हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश भर के 169 पुलिस अधिकारी सम्मिलित हुए।प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध अनुसंधान विभाग)  आर.के. विज ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों के हितों का संरक्षण इतना महत्वपूर्ण विषय है कि केन्द्र सरकार को प्रभावी ढंग से कानून बनाना पड़ा। पाक्सों और जुबेनाइल जस्टिस एक्ट में बच्चों के हितों के संरक्षण हेतु सभी कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं, इन कानूनों को लागू करने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से समझना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से यह दो सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया।

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 विज ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि पुलिस को ऐसा व्यवहार नहीं चाहिए, जिससे पीडि़त व्यक्ति अथवा समाज या बच्चों को कष्ट पहुंचे। क्योंकि पुलिस के परिवार के सदस्य भी समाज के सहभागी है। किसी घटना के बाद प्रायः पुलिस पर घटना स्थल पर देरी से पहुंचने, प्रभावी इलाज नहीं कराने, परिवार वालों को समय पर सूचना नहीं देने अथवा जांच सही ढंग से नहीं करने जैसे आरोप लगाए जाते हैं। इसलिए पुलिस को बहुत ही संवेदनशील होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना आवश्यक है। श्री विज ने कहा कि देश में पुलिस सेवा ही एक मात्र सेवा है, जिसको समाज के पीडि़त और दुःखी व्यक्ति का दुःख-दर्द दूर करने का कानूनन अधिकार प्राप्त है। अतः यह सेवा समर्पित होकर करना चाहिए। बच्चों पर होने वाले अपराध तथा बच्चों द्वारा किए जाने वाले अपराध की बारिकियों को समझने और बच्चों को अव्यस्क अथवा व्यस्क साबित करने के लिए जन्म तिथि निर्धारण का जूबेनाइल जस्टिस एक्ट में स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। अतः इनका पालन करते हुए विवेचना की जानी चाहिए, ताकि बच्चों को सही ढंग से न्याय प्राप्त हो सकें, उन्होंने बच्चों की गुमशुदगी के बाद बरामदगी पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए, साथ ही पुलिस अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि समाज में अन्य व्यक्तियों से ज्यादा जिम्मेदारी पुलिस की होती है, अतः अपने ज्ञान का दायरा बढ़ाना चाहिए। पुलिस मुख्यालय द्वारा समय-समय पर हर प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और आगे भी आयोजित किए जाते रहेंगे। श्री विज ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीकी काफी विकसित हो गई है। अतः घटना स्थल को सुरक्षित और संरक्षित करने के साथ-साथ वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य एकत्रित करना बहुत आवश्यक है, जिससे न्यायालय में अपराध को सही ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता हैं और अपराधी को दंडित कराया जा सकता है। श्री विज आशा व्यक्त की कि यहां से प्रशिक्षित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में रोल मॉडल बनेंगे और अपने सहयोगी पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करेंगे।
श्री विज ने यह भी बताया कि पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी पुलिस अधीक्षकों को पुलिस लाइन में महिला पुलिस अधिकारियों के लिए पृथक से बैरक बनाने और उसमें आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिए गए हैं। इसी प्रकार सभी पुलिस थानों में भी महिला पुलिस के लिए पृथक कक्ष तैयार किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में रेल्वे पुलिस अधीक्षक श्रीमती पारूल माथुर, पुलिस अकादमी चन्दखुरी के पुलिस अधीक्षक  सदानंद कुमार, सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती पूजा अग्रवाल सहित समस्त पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।

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