रायपुर।मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मियों की समस्याएँ एक हैं…दोनों की मांगें एक हैं…आंदोलन के तरीके एक हैं..और दोनों हीजगह सरकार चला रहे लोगों ने शिक्षा कर्मियों के संविलयन – शासकीयकरण का वादा कर रखा है..फिर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों जगह के शिक्षा कर्मी एक साथ मिलकर अपनी मांगों को क्यों नहीं उठा सकते …। कुछ इस तरह की बातों के साथ दोनों प्रदेश के शिक्षा कर्मी संगठनों के बीच साझा मुहिम शुरू करने की सहमति बन रही है।शालेय शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने मीडिया के सामने इसे लेकर अपनी बात रखी है। उन्होने बताया कि मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में प्राध्यापक संघर्ष समिति की तरफ से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। जिसका विषय था- “विषंगति हटाओँ,शिक्षा बचाओ…”।
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सबसे ज्यादा चिंता का विषय है कि शिक्षा का निजीकरण हो रहा है। साथ ही समान काम-समान वेतन और एक समान विभाग की मांग मध्यप्रदेश ही नहीं छत्तीसगढ़ में भी चल रही है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में एक बहुत बड़ा आँदोलन खड़ा किया गया था। और आँदोलन के बाद सीएम ने सभी 9 बिंदुओँ पर सहमति व्यक्त की और बहुत जल्दी ही घोषणा करने की बात कही है…।मध्यप्रदेश के शिक्षकों की भी मांग एक समान है। समान काम-समान वेतन , एक विभाग, शासकीयकरण-संविलयन सभी मांगें एक हैं और आँदोलन के तरीके भी एक हैं। इसे देखते हुए एक जुट होकर आँदोलन की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में 3 लाख और छत्तीसगढ़ में 2 लाख शिक्षा कर्मी हैं। दोनों एक हो गए तो ऐसा संदेश जाएगा कि यदि दोनों जगह की सरकारें शिक्षा कर्मियों के हित में फैसला करतीं हैं तो आने वाले समय में उनके हित में सकारात्मक परिणाम आएगा।
वीरेन्द्र दुबे ने यह भी कहा कि यह बात कोई अचानक नहीं उठी है, बल्कि दोनों जगह शिवराज सिंह और रमन सिंह ने वादा किया था कि शिक्षा कर्मियों का संविलयन – शासकीयकरण किया जाएगा।उस वादे के अनुरूप ही शिक्षा कर्मियों को न्याय दिलाने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने की पहल की जा रही है।