बिलासपुर।कोटा के पुरूष नसबंदी सिविर मेँ गड़बड़ी का मामला भले ही शांत नजर आ रहा हो। लेकिन लगता है कि यह मामला धीरे-धीरे सुलगता जा रहा है।एक तो इस मामले में मरीजों के पूरी तरह से ठीक हुए बिना भी उन्हे अस्पताल से छुट्टी दिए जाने की शिकायत मिल रही है।साथ ही पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता- मुआवजा राशि देने की मांग भी उठ रही है।जिसके लिए उनके परिजन कलेक्टोरेट में भटक रहे हैं।कलेक्टोरेट में मिले नवांगांव मोहदा के लक्ष्मी नारायण लहरे ने बताया कि नसबंदी कांड में पीड़ित मरीजों में उनके बड़े भाई राजकुमार लहरे भी शामिल हैं। वे बताते हैं कि 27 दिसंबर को कोटा में जिस नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था, उसकी सूचना परिजनों को नहीं दी गई थी।
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नसबंदी ऑपरेशन के बाद जिन मरीजों को सूजन और खून बहने की शिकायत हुई , उन्हे परिजनों की सूचना के बिना ही प्राइवेट अस्पताल बिलासपुर के लिए रवाना कर दिया गया। यहां एक दिन में तीन-तीन ऑपरेशन किए गए । फिर मरीज के पूरी तरह से ठीक हुए बिना ही उन्हे डिस्चार्ज कर दिया गया।इसी तरह कलेक्टोरेट में ही मिले रामेश्वर श्रीवास के पुत्र धर्मेन्द्र श्रीवास की तबीयत भी ऑपरेशन के बाद बिगड़ी है। उन्होने भी नसबंदी शिविर में लापरवाही की बात कही। और बताया कि जिला कलेक्टर के सामने अपनी गुहार लेकर पहुंचे हैं कि परिवार को कम से कम 5 लाख का मुआवजा दिया जाए। उनका कहना है कि लापरवाही की वजह से उनके बेटे को अपाहिज बना दिया गया है। वह रोजी-मजूरी करके जिंदगी बसर करता रहा है। अब उसके परिवार को पालने वाला कोई नहीं है। लिहाजा मदद की सख्त जरूरत है।
नवांगांव के सरपंच भगवती देवी औऱ कई पंचों की ओर से भी एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा गया है। जिसमें पीड़ित परिवार को 5- 5 लाख की सहायता राशि देने की मांग की गई है। राष्ट्रीय मजदूर काँग्रेस के सौरभ दुबे ने भी अपने ज्ञापन में पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख का मुआवजा देने की माँग की है। साथ ही लिखा है कि नसबंदी से पीड़ित लोग कामगार हैं और उनके बीमार होने के बाद परिवार पर पालन-पोषण का संकट आ गया है। ऐसे में उन्हे तत्काल मदद दी जानी चाहिए। उन्होने यह जानकारी भी अपने ज्ञापन में दी है कि नसबंदी पीड़ितों के तत्काल मिलने वाली 2 हजार रुपए की नसबंदी सहायता राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। इसका भुगतान भी जल्दी ही किया जाना चाहिए।