बिलासपुर—पंचायत डायरेक्टर के पत्र से शिक्षाकर्मियों में समय पर वेतन मिलने की उम्मीद जगी है। लेकिन पुराने अनुभवों के कारण शिक्षाकर्मियों में अभी भी निराशा है। तारन प्रकाश सिन्हा से मुलाकात के बाद शिक्षाकर्मियों ने बताया कि पंचायत संचालक ने जिला पंचायतों को पत्र लिखकर समय पर वेतन देने का निर्देश दिया है। आदेश पर कितना अमल होगा कहना मुश्किल है। क्योंकि जब जिला पंचायत के सीईओ मुख्यमंत्री के निर्देशों को अनसुना कर सकते हैं तो पंचायत संचालक के आदेश का पालन कितने दिनों तक किया जाएगा…फिलहाल कहना मुश्किल है।शिक्षाकर्मी नेता अमित नामेदव ने बताया कि एक दिन पहले पंचायत संचालक के साथ सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में साथियों की बातचीत हुई। शिक्षाकर्मियों की बातों को तारण प्रकाश सिन्हा ने गंभीरता से लिया। बातचीत के बाद प्रदेश के सभी जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखकर शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन देने का सख्त निर्देश दिया। आदेश का पालन नियमित होगा..कुछ कहना मुश्किल है।
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क्योंकि वेतन बांटने का काम सीईओ,बीईओ और डीईओ का है। अधिकारी हर बार कुछ ना कुछ नया बहाना कर शिक्षाकर्मियों के वेतन को समय पर देने से गुरेज करते हैं। यद्यपि पंचायत संचालक ने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि शिक्षाकर्मियों का वेतन विभिन्न मदों में जिला पंचायत के कोष में जमा हो चुका है। बावजूद इसके अभी तक अधिकारियों ने दिसम्बर का वेतन नहीं दिया है। दरअसल अधिकरी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
अमित नामदेव ने बताया कि प्रदेश में चार प्रकार के शिक्षाकर्मी हैं। सभी को वेतन शासन से विभिन्न मदों को दिया जाता है। सर्वशिक्षा अभियान जुड़े शिक्षाकर्मयों का वेतन केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से मिलता है। इसी तरह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में पदस्थ शिक्षाकर्मियों का वेतन राज्य और केन्द्र के समेकित आनुपातिक बजट से दिया जाता है। ट्रायवल और माध्यमिक शिक्षा मण्डल में नियुक्त शिक्षाकर्मियों का वेतन राज्य सरकार के कोष से होता है।शासन ने शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन भुगतान संबंधी निर्देश पहली बार जारी नहीं किया है। इसके पहले भी शासन ने वेतन भुगतान करने का जिला पंचायतों को अनेकों बार आदेश दिया है। बावजूद इसके अभी तक दिसम्बर माह का वेतन नहीं दिया गया है।
नवीन शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित ने बताया कि शिक्षाकर्मी वेतन संबंधित लेट लतीफी से प्रारंभिक दिनों से ही पीड़ित हैं।, कई कई माह तक वेतन नही मिलने की पीड़ा प्रदेश का शिक्षाकर्मी समझ सकता है। शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन नही मिलना बड़ी समस्या है।अमित ने बताया कि शिक्षाकर्मियों की वेतन प्रक्रिया अन्य शासकीय कर्मचारियों की तरह नही है। सबसे पहले जिला पंचायत से राज्य स्तर पर अलॉटमेंट के लिए पत्र लिखा जाता है। राज्यस्तर से वेतन अलॉटमेंट जनपद पंचायत स्तर पर होता है। तमाम औपचारिकताओ में समय बर्बाद होता है। यही कारण है कि शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिलता है।इन तमाम पेचीदिगियों को खत्म करने की जरूरत है।
नामदेव के अनुसार वेतन संबंधित समस्याओं से मुख्यमंत्री को भी कई बार अवगत कराया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि शिक्षाकर्मियों को प्रत्येक माह की 5 तारीख तक वेतन हर हाल में दिया जाए। लेकिन ऐसा होना तो दूर शिक्षाकर्मियों को वेतन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला है कि शासन से बजट आने के बाद भी जिला पंचायत,शिक्षाविभाग,ट्रायवल अधिकारी जानबूझकर वेतन देने में हीला हवाली करते हैं।उम्मीद है कि पंचायत संचालक तारण प्रकाश सिन्हां के आदेश के बाद अधिकारी अपने पुराने ढर्रे से बाज आएंगे। सवाल उठता है कि क्या कोष में हमेशा बजट रहेेगा और शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन मिल सकेगा। कहना कुछ कठिन है…।