20 लाख़ तक की ग्रैच्युटी हो सकती है टैक्स फ्री,महिलाओ को होगा यह फायदा

Shri Mi
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India_currency_2000_AFPनईदिल्ली।नए साल में भारत सरकार देशवासियों को एक और तोहफा दे सकती है। यह तोहफा दरअसल संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलेगा। सरकार संसद में एक कानून में संसोधन कराने जा रही हैं जिससे टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ेगी और महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाई जा सकेगी। खास बात यह है कि इस बिल के पास होने के बाद इन दोनों तरह के फायदों के बारे में कमान केंद्र सरकार संभालेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संगठित क्षेत्र में काम कर रहे है कर्मचारियों को बजट सत्र में अच्छी खबर मिल सकती है। सरकार बजट सत्र में ग्रेच्युटी भुगतान (संसोधन) विधेयक 2017 को पास कराने की कोशिश करेगी। अगर बिल पास हो गया तो 20 लाख रुपये की तक की ग्रेच्युटी की रकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। अभी टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये है। इसके अलावा सरकार महिला के मातृत्व अवकाश का फैसला भी ले सकती है जो सभी को मानना होगा। अभी संबंधित संस्थान ही महिला के मातृत्व अवकाश के बारे में फैसला लेता है, जिसमें वह काम कर रही होती है।

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सरकार ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लाई थी, लेकिन तब यह पास नहीं हो सका था। श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने संसद में 18 दिसंबर, 2017 को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक पेश किया था। एक बार यह विधेयक पास होने के बाद सरकार को टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा तय करने के लिए बार-बार कोशिश नहीं करनी पड़ेगी। ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को किसी संस्थान में कम से कम पांच साल तक टिककर काम करना होता है, यह भी जरूरी होता है कि सस्थान में कम से 10 कर्मचारी से कम न हों और वह लंबे समय से लगातार चल रहा हो।

ग्रेच्युटी भुगतान विधेयक 1972 में लाया गया था जो उन लोगों के लिए ग्रेच्युटी तय करता है जो कारखानों, कोयले की खानों, तेल श्रेत्रों, बागानों, बंदरगाहों, रेलवे कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में काम करते हैं। इस बिल को पास कराने का प्रस्ताव 2017 के मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक की उस पृष्ठभूमि को देखते हुए लाया गया है जिसमें मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाकर 26 हफ्ते की गई थी।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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