सर्पदंश से कम, दहशत से ज्यादा मौत..डॉ.आशुतोष और रेस्क्यू टीम की मांंग… शहर को स्नेक पार्क की जरूरत

BHASKAR MISHRA
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IMG-20180124-WA0004बिलासपुर— भारत में सापों के काटने से कम दहशत से ज्यादा मौत होती है। लोगों को लगता है कि सभी सांप जहरीले होते हैं। इसका फायदा झाडृ फूंक करने वाले उठाते हैं। झाड़ फूंक से वही बचता है जिसे जहरीले सांप ने नहीं काटा है। अन्यथा झाड़ फूंक से सांप का जहर खत्म नहीं होता है। आज पत्रकार वार्ता के दौरान यह बातें स्नेक रेस्क्यू टीम के साथ मशहूर डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने कही।
                             डॉ.आशुतोष तिवारी ने बताया कि प्रकृति में जितना महत्व  इंसान का है… उतना ही महत्व अन्य जीव जन्तुओं का भी होता है। इनमें सांप भी एक जीव है। सांप काटता है,,,इसमें उसका कोई दोष नहीं है। यह स्वभाविक प्रक्रिया है। लेकिन सांप को मारना अस्वाभाविक प्रक्रिया है। सांप मारने से सर्पदंश का शिकार नहीं बच जाता।  इसके लिए पीडित को अस्पताल जाना ही होगा। पत्रकारों को डॉ.आशुतोष ने बताया कि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं। लेकिन लोग अज्ञानता में सभी सांपों को जहरीला समझ लेते हैं। गैर जहरीले सर्पदंश के शिकार लोगो की मौत जहर से नहीं बल्कि सांप की दहशत से हो जाती है। क्योंकि पता नहीं होता है कि काटने वाला सांप जहरीला भी है या नहीं।
              आशुतोष ने बताया कि सापों के प्रति अज्ञानता का फायदा झाड़ फूंक करने वाले उठाते हैं। सर्पदंश से पीड़ित लोग ओझा गुनिया के पास जाते हैं। अक्सर होता है कि दस में से 9 लोगों की जान बच भी जाती है। इसकी मुख्य वजह बस इतना है कि देश में दस में मात्र 9 सांप ही जहरीले होते हैं। झाड़ फूंक में यही 9 लोग ठीक होते हैं। जिसे जहरीले सांप ने काटा उसकी मौत निश्चित है। यदि लोग समय पर अस्पताल पहुंच जाएं तो दसवा आदमी भी बच जाएगा।
                 पत्रवार्ता में आशुतोष तिवारी और रेस्क्यू टीम ने कैलन्डर का विमोचन किया। कैलेन्डर में सांप और सर्पदंश की स्थिति में बचने के साथ लक्षणों की जानकारी दी गयी है। बताया गया है कि सर्पदंश से बचने का एक मात्र उपाय..एन्टीविनम। इसके अलावा कुछ दूसरी भी दवाईयां हैंं। जिन्हें क्रिटिकल स्थिति में उपयोग किया जाता है। आशुतोष तिवारी ने सर्प,करैत,कोबरा,वाइपर समेत अन्य जहरीले सांपों की भी जानकारी दी। सर्पदंश लक्षणों  के बारे में भी बताया।
               पत्रवार्ता के बीच सर्प विशेषज्ञ रेलवे कर्मचारी कमल चौधरी ने सापों को बचाने की मुख्य वजहों को सामने रखा। उन्होने बताया कि स्नेक रेस्क्यू के दौरान उन्हें भी भयंकर जहरीले सापों का शिकार होना पड़ा है। समय पर इलाज होने की वजह से सुरक्षित हैं। सापों को बेवजह ना मारा जाए। कमल के अनुसार बिना शासन के सहयोग से रेस्क्यू टीम चला रहा हूं। टीम से जुड़े सभी लोग समर्पित हैं। डॉ.तिवारी ने टीम को हर कदम पर सहयोग दिया है। हम चाहते हैं कि बिलासपुर मेंं एक स्नेक पार्क खुले। यह काम बिना शासन के सहयोग से संभव नहीं है। स्नेक पार्क खुलने से सर्प के प्रति लोगों में जागरूकता आएगी। सांपों बेवजह मरने से बचाया जा सकेगा। कमल ने अपने साथियों का भी परिचय कराया।
                        इस दौरान रेस्क्यू टीम की लड़कियों ने सांपो को पकड़ने की जानकारी दी। सदस्यों ने कोबरा को पकड़कर डेमो भी दिखाया। रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने कहा कि कही भी सांप दिखाई दे उसे मारे मत। टीम से मोबाइल पर तत्काल संपर्क करें।
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