बिलासपुर— मोहन एन्टी जैसे पार्षद स्तर के नेताओं से उम्मीद ही क्या कर सकते हैं। ऐसे नेता राष्ट्रीय स्तर के मुद्देे पर मुंह खोलेंगे…तो ऐसी ही बातें सामने आएगी। अच्छी तरह से याद है कि आजादी के पहले लार्ड मैकाले हुआ करता था। आजादी के बाद अब उसका स्थान मोहन एन्टी ने ले लिया है। लार्ड मैकाले भी मजदूर और पढ़े लिखे लोगों को इंसान नहीं समझता था। मोहन एन्टी की भी बुद्दि ऐसी ही कुछ है। हमेशा मुखर जवाब देने के लिए मशहूर करूणा शुक्ला ने पत्रकारों के सवालों से पहली बार बचते नजर आयी। अन्त तक नहीं बताया कि रामकथा सुनने जाएंगी या नहीं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए करूणा शुक्ला ने मोहन एन्टी की तुलना लार्ड मैकाले से की है। भूपेश बघेल ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है। बिलासपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक बैठक में बतौर पर्यवेक्षक पहुंची पूर्व सांसद करूणा ने बताया कि आजादी के पहले मैकाले अब आरएसएस का मोहन एन्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पार्षद स्तर का नेता मोहन एन्टी से गुरूजी लोगों के खिलाफ दिए गए बयान पर दुखद है।
करूणा शुक्ला ने बताया कि मोहन एन्टी सिर पर सत्ता का घमंड चढ़कर बोल रहा है। दरअसल मोहन एन्टी ने शिक्षाकर्मियों के खिलाफ मजदूर और अज्ञान शब्द का प्रयोग कर अपनी बौद्धिक स्तर को जाहिर किया है। उसे शिक्षक और मजदूर में अन्तर नहीं मालूम है। एन्टी को यह भी नहीं मालूम कि गुरूजी का क्या काम है और मजदूर भाई क्या काम करते हैं। मजदूर हम सभी लोग है…लेकिन देश में शिक्षकों का स्थान इन सबसे अलग और ऊपर है।
मोहन एन्टी पर भारतीय जनता पार्टी का खुमार चढ़ा हुआ है। एन्टी आरएसएस का बयान दे रहे हैं। जल्द ही सत्ता की खुमारी उतरने वाली है। शर्म की बात है कि शिक्षा का अलख जगाने वाले को एन्टी ने अज्ञानी कहा है। एन्टी का बयान खतरनाक है। उन्हे मजदूर और शिक्षाकर्मी को मानव नहीं बल्कि मूर्ख और अज्ञानी समझ लिया है। जो एन्टी के स्तर को साबित करता है।
एक अन्य सवाल के जवाब में करूणा ने बताया कि उन्हें नहीं मालूह कि बिलासपुर युवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरफ्तारी से बचने फरार है। पता लगाएंगे। रामलाल भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री हैं वही बताएंगे कि सत्ता जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को हवलदार क्यों नहीं पूछेंगे। आखिर उन्होने ऐसा क्यों कहा..रामलाल ही बेहतर बता सकते हैं। करूणा ने कहा कि 2018 में कांग्रेस की सरकार बनेगी। जनता में भाजपा के प्रति गहरी नाराजगी है।
एक सवाल पर करूणा शुक्ला अंत तक बचती नजर आयीं। अंत तक स्पष्ट नहीं किया कि रामकथा में सुनने जाएंगी या नहीं। बार-बार पूछे जाने पर कहा कि मैने बहुत राम कथा सुनी है। इसके अलावा मुझे कुछ नहीं कहना है।