अपमानित हुआ विश्व का सर्वकालिक ब्रांड अम्बेसडर…लापरवाह प्रशासन को…नज़र नहीं आती जयस्तम्भ की गंदगी..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर….स्वच्छ भारत अभियान का नाम सुनते ही… विश्व के गौरव…भारत माता के महान सपूत मोहनदास करमचन्द गांधी का चेहरा अपने आप आखों के सामने आ जाता है। जिन्हें हम महात्मा गांधी..राष्ट्रपिता भी कहते हैं। जब भी देश दुनिया में महात्मा गांधी का नाम लिया जाता है भारत का एक एक चेहरा गर्व तन जाता है। भावनाओं का तूफान चलने लगता है। जी हाँ महात्मा गांधी का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उनके अंतिम संस्कार के बाद आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल लार्ड मांउटबेटन को कहना पड़ा कि….दिन दूर नहीं जब दुनिया में महात्मा गांधी को दैविय अवतार मानकर पूजा जाएगा।
          महात्मा गांधी का सारा जीवन स्वच्छता के इर्द गीर्द बीता है। यह सच है कि  गांधी जितना कल प्रासंगिक थे…आज भी उतना ही हैं…कहने में कोई हिचक नहीं कि प्रासंगिता सदियों तक रहेगी। यानि हमेशा रहेगी। गांधी का जीवन तमाम विविधाओं के साथ सफाई के प्रति पूरी तरह से समर्पित था। यही कारण है कि आज भी स्वच्छता अभियान का सबसे बड़ा ब्रांड अम्बेसडर महात्मा गांधी ही हैं।  बावजूद इसके महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर ऐसी तस्वीर सामने आयी जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं..कम से कम गांधी जी के पुण्य तिथि के दिन।
                         जी हां हम बात कर रहे हैं शनिचरी पड़ाव की ..जहां महात्मा गांधी ने बिलासपुर की जनता को संबोधित किया था…। ठीक पुण्य तिथि पर गंदगी देखकर मुंह कलेजा को आ गया। ऐसे समय में जब सरकार गंदगी के पीछे हाथ धोकर पीेछे पड़ी है…उसी राष्ट्रपिता और सफाई के सबसे बड़े सर्वकालिक ब्रांड अम्बेसडर के ,स्मारक के पास गंदगी का ढेर स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता हुआ दिखाई दिया।
                          इतिहास के अनुसार 1933 में महात्मा गांधी बिलासपुर आए थे। महात्मा गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित किया था । बताया जाता है कि महात्मा गांधी सभा संबोधित करने के बाद अक्षत वट का पौधा लगाया था। आजादी के बाद जिस स्थान पर महात्मा गांधी ने सभा को संबोधित किया उसी स्थान पर जयस्तम्भ स्मारक बनाया गया। आज स्मारक की स्थिति गर्व के लायक नहीं है। स्थिति इतनी बुरी है कि शहर का यदि सबसे गंदा स्थान है तो शनिचरी पड़ाव का जयस्तम्भ। यहाँ गन्दगी के साथ मरे हुए जानवर आसानी से देखने को मिल जाते हैं,। आज भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला ।
                   लापरवाह निगम प्रशासन धरोहर को संवारने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुआ है। 2 अक्टूबर और 30 अक्टूबर के बाद यहां कोई झांकने नहीं आता है। जहाँ कभी महात्मा गांधी ने आम सभा को संबोधित कर लोगों से आजादी के लिए धन मांगा था । आजकल वह स्थान पूरी तरह से उपेक्षित है। जयस्तम्भ देखने के बाद महसूस किया जा सकता है कि स्थानीय प्रशासन और प्रतिनिधि के लिए महात्मा गांधी की स्मृति शायद ही कोई मायने हों।
        आस-पास के लोगों ने जस्तम्भ के रखरखाव को लेकर जमकर भला बुरा कहा…लेकिन किसी ने कैमरे के समाने कुछ भी बोलने से इंंकार कर दिया। कुछ  लोगों ने तो कैमरा के सामने आए बिना बताया कि हम कुछ कह कर मुसीबत में फंसना नहीं चाहते हैं।
                           बहरहाल  देश में स्वच्छता अभियान को लेकर खूब ढोल-नगाड़े बजाये जा रहे हैं । स्वच्छता सेमिनार, विज्ञापन, स्लोगन अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन सफाई के सबसे बड़े सर्वकालिक ब्रांड अम्बेसडर महात्मा गांधी से जु़डें धरोहर को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है। समझा जा सकता है कि बिलासपुर में स्वच्छता अभियान की जमीनी हक़ीक़त क्या होगी…जहां एतिहासिक जयस्तम्भ की हालत ऐसी हो।
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