दुर्ग—वेतन नही मिलने से नाराज शिक्षाकर्मी स्कूल की जगह दुर्ग जिला पंचायत मे उपस्थिति दर्ज कराएगे। वेतन मांग को लेकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी को प्रार्थना पत्र भी देंगे। विकास राजपूत ने बताया है कि जनवरी का वेतन आज तक भुगतान नही, किया। 28 फरवरी को जिले के सभी शिक्षाकर्मी स्कूल की जगह जिला पंचायत दुर्ग मे हाजिरी देंगे।
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नवीन शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत ने एलान किया है कि 28 फरवरी को जिले के सभी शिक्षाकर्मी जिला पंंचायत में हाजिरी देगे। तीन महीने का वेतन नहीं मिलने से प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार शिक्षाकर्मियों में असंतोष है। दिसम्बर और जनवरी महीने का वेतन फरवरी के अंत तक नही मिला है। जिसके कारण प्रदेश के शिक्षाकर्मियों मे आक्रोश बढता ही जा रहा है। इसी बात को लेकर दुर्ग जिला के नवीन शिक्षाकर्मी संघ के जिलाध्यक्ष संजीव मानिकपुरी ने 28 फरवरी को भूख हड़ताल मे बैठने का एलान किया है।
विकास राजपूत ने बताया कि सजीव मानिकपुरी के भूख हड़ताल एलान के बाद जिले के शिक्षाकर्मी एकजुट हो गए हैं। जिले के शिक्षाकर्मी धरना प्रदर्शन के लिए अवकाश लेने के स्थान पर अब जिला पंचायत मे उपस्थिति देंगे। धरना प्रदर्शन को कार्य अवधि माना जाए…इस बात को लेकर विकास खण्ड शिक्षाधिकारी से पत्र व्यवहार किया जा रहा है।
विकास राजपूत ने बताया कि हम स्कूल जाना तो चाहते है लेकिन समय पर वेतन नही के कारण हमे सड़क पर उतरना पड़ता है। विरोध को हमारे पंंजी मेंं अवकाश के रूप मे दर्ज कर दिया जाता है। इन्ही सब बातो को ध्यान में रखते हुए हमने धरना प्रदर्शन के स्थान पर वेतन लेने के लिए जिला पंचायत में उपस्थिति दर्ज करने का फैसला किया है। साथ में अधिकारियो से निवेदन भी कर रहे है की इस दौरान हमें कार्यावधि पर होना माना जाये।
राजपूत ने बताया कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन भुगतान की व्यवस्था आज तक नही हो पायी है। जबकि उसी स्कूल मे कार्य करने वाले शासकीय शिक्षको को प्रति माह एक तारीख को वेतन मिल जाता है। जबकि शिक्षाकर्मी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करते है। बावजूद इसके वेतन मांगने के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ता है। हम चाहते है कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को प्रतिमाह 5 तारीख तक वेतन भुगतान की व्यवस्था हो। शिक्षाकर्मियों को बार-बार स्कूल छोड़कर सड़क पर उतरने को मजबूर ना होना पड़े। होली जैसे बड़े पर्व पर शिक्षाकर्मियों को वेतन नही मिलने के कारण होली नही मानने का दुखद निर्णय लेना पड़ रहा है। जब पढ़ाने वाले ही भूखा रहेंगे तो शिक्षा मे गुणवत्ता की बात करना ही बेमानी है।