MP के बजट में शिक्षा कर्मियों के संविलयन की घोषणा से छत्तीसगढ़ में भी उम्मीद बंधी…संजय शर्मा बोले 5 मार्च तक कमेटी पेश करे रिपोर्ट..

Chief Editor
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बिलासपुर । मध्यप्रदेश सरकार के बजट में शिक्षा कर्मियों के संविलयन की घोषणा और शिक्षा कर्मी ( अध्यापक ) पद समाप्त कर सभी को शिक्षक बनाए जाने के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मियों मे भी आस बंधी है। शिक्षा कर्मी उम्मीद कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की सरकार की ओर से गठित कमेटी अपने समय पर रिपोर्ट पेश कर देगी और सरकार सकारात्मक रुख के साथ फैसला करेगी। इसके साथ ही शिक्षा कर्मी संगठन की सक्रियता फिर बढ़ गई है और एक बार फिर ऐलान किया गया है कि अपना कार्यकाल पूरा होने पर 5 मार्च तक कमेटी सरकार को संविलयन का प्रस्ताव नहीं देती है तो फिर से बड़ा आँदोलन किया जाएगा।
  सक्ती के एक सम्मेलन में घोषणा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष  और  शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय  शर्मा ने कहा है कि 5 मार्च तक कमेटी संविलियन पर प्रस्ताव नही देगी तो  बड़ा आंदोलन हो सकता है। उन्होने कहा कि …. जब हौसला बढ़ा लिया ऊंची उड़ान का, तब बेकार है कद देखना आसमान का ….. इस शायरी को पढ़कर मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने आज पेश किए बजट में शिक्षा विभाग से जुड़ी घोषणाएं की और शिक्षाकर्मियों (अध्यापको) के पद को समाप्त कर शिक्षक बनाने की घोषणा की है।
शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि  मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद वित्तमंत्री ने बजट में अध्यापक संवर्ग को समाप्त कर शिक्षक बनाने की घोषणा की  है। जिससे मध्यप्रदेश के शिक्षा कर्मियों में काफी उत्साह है।   21 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक के शिक्षा बजट की घोषणा करने के साथ-साथ वित्त मंत्री जयंत मलैया ने शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के लिए अतिरिक्त वित्तीय व्यवस्था जुटाने की भी बात कही है। जिसका सीधा सा संकेत है की सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पैसे जुटाएगी।
 इधर छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों की भी निगाहें मध्य प्रदेश के बजट पर लगी हुई थी और बजट में मध्य प्रदेश के शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा को फिर से दोहराएं जाने के बाद उनकी उम्मीद छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार से लगी हुई है। और वे चाहते हैं कि यहां की सरकार भी जल्द से जल्द ऐसी घोषणा करें। लंबे समय से इंतजार कर  रहे शिक्षाकर्मी अब धीरे-धीरे फिर से अपना धैर्य खोते जा रहे हैं और सरकार के खिलाफ उनका अविश्वास सोशल मीडिया में भी दिखाई दे रहा है और 5 मार्च के बाद उनकी मुहिम और तेज होगी।
 शिक्षाकर्मियों की मांगों पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। जिसने शिक्षाकर्मी संघों से उनकी मांगों के संबंध में दस्तावेज भी मंगाए थे और मोर्चा द्वारा अपने मांग पत्र भी पंचायत विभाग को सौंप दिया है । मोर्चा ने तो अपने मांग के साथ-साथ 157 पेज के तथ्यात्मक दस्तावेज भी सौपें हैं कि आखिर उनके हित में घोषणाओं को कैसे अमली जामा पहनाया जाए और कैसे इसकी रूपरेखा तैयार की जाए।
 मोर्चा के संचालक संजय शर्मा ने कहा कि शिक्षाकर्मी चाह रहे हैं कमेटी अपनी सकारात्मक रिपोर्ट सरकार को सौपे और सरकार इस पर जल्द से जल्द निर्णय लें। इधर जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है शिक्षाकर्मियों का आक्रोश फिर से बढ़ते जा रहे हैं । कभी वेतन को लेकर तो कभी टेबलेट को लेकर तो कभी किसी अधिकारी द्वारा जारी किए गए तुगलकी फरमान को लेकर वे लामबंद हो रहे हैं। धीरे धीरे उनमें फिर से वही एकता कायम हो रही है जो आंदोलन के समय दिखाई देती थी।
संजय शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा की थी और आज वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी बजट में इसकी घोषणा कर दी है। मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों का संविलियन अंतिम दौर पर पहुंच चुका है। जहां आदेश जारी होना बस बाकी है ।वही छत्तीसगढ़ में यह शुरुआती चरण पर है । हमने अपनी मांगों से संबंधित समस्त दस्तावेज भी पंचायत विभाग को सौंप दी हैं और हमारी नजर अब कमेटी के रिपोर्ट पर लगी हुई है। हम उम्मीद करते हैं 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी परिवारों के हित की रक्षा करते हुए मुख्यमंत्री संविलियन का फैसला लेंगे और हमें फिर से आंदोलन का रास्ता नहीं अपनाना पड़ेगा ।  मध्यप्रदेश में घोषणा के  छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी ठगा सा महसूस कर रहे हैं, तथा अलग राज्य बनने का दंश झेल रहे है ।
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