सामने आया पुलिस का क्रूर चेहरा

BHASKAR MISHRA
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POLICE_MARPIT_VISUAL 002बिलासपुर— ट्रैफिक आरक्षक से मारपीट का मामला अब लगातार गरमाता जा रहा है। पहले तो आरक्षक के साथ मारपीट करने वालों को पुलिस ने बचाना का प्रयास किया बाद में जब उसने आत्मसमर्पण किया तो उसको इस हद तक मारा कि अव पंचराम सिंह जीवन और मौत के बीच गुजर रहा है। पुलिस मारपीट के दौरान पंचराम सिंह की किडनी बुरी तरह चोटिल हो चुकी है। पंचराम सिंह के भाई ने आरोप लगाया है कि उसके भाई को पुलिस ने जान से मारने का प्रयास किया है।

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                   अपोलों में जीवन और मौत के बीच झूल रहा पंचराम सिंह बचेगा भी या नहीं..कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है कि उसके चोट को देखने के बाद पुलिस का असली चेहरा सबके सामने आ गया है। मालूम हो कि 17 जून को तोरवा चौक के पास एक मालवाहक गाड़ी नो इंट्री में प्रवेश कर गया। ट्रैफिक कर्मचारियों ने जब उसे नियमों का हवाला देकर रोका तो ड्रायवर ने कुछ लोगों को फोन से बुला लिया।

                     कार में सवार चार लोग तोरवा चौक पर पहुंच गए। जिनमें से दो लोगों ने आरक्षकों के साथ मारपीट की और फरार हो गए। मामले को दबाने के लिए राजनीतिक प्रयास भी किया। लेकिन लोगों के आक्रोश के सामने तोरवा पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। बाद में दूसरे को भी हिरासत में लिया गया। जमानत में छूटने के बाद दुबारा पंचराम को बुलाया गया। इस दौरान उसको इतना पीटा गया कि वह बेहोश हो गया। पांच दिन पहले पंचराम सिंह को किम्स में भर्ती किया गया। बाद में शुक्रवार को किम्स प्रबंधन ने बताया कि पंचराम का मारपीट के दौरान किडनी में बहुत चोट लगी है। खून का रिसाव हो रहा है। परिजनों ने उसे शुक्रवार की ही रात को अपोलो में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

                           पुलिस प्रताड़ना से मौत के दरवाजे पर खड़ा पंचराम राम के भाई ने बताया कि वह कितना दिन जिन्दा रहेगा बताना मुश्किल है। उसने बताया कि मेरे भाई को पुलिस ने दबाव में आत्मसमर्पण करवाया है। जबकि वह ट्रैफिक आरक्षक मामले में शामिल नहीं था। उसे एक सीएसपी ने चौबीस घंटे तक पीटा। उसके पूरे शरीर में अब सिर्फ चोट के निशान हैं। मारपीट के दौरान उसकी किडनी भी फट गयी है। बाद में घायल भाई को पुलिस ने छोड़ दिया। जिसका इलाज किम्स में चल रहा था। शुक्रवार की रात को किम्स ने भी हाथ उठा दिया। इसलिए हमने उसे अपोलो में भर्ती कराया है। कहना मुश्किल है कि उसकी जान बचेगी भी या नहीं।

मै कुछ नहीं जानता

           मै कुछ नहीं जानता कि वह इतना घायल कैसे हो गया। इस मामले में बड़े अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं। हमने उसे गिरफ्तार किया था। बाद में वह जमानत पर छूट गया। उनकी गिरफ्तारी आरक्षकों के साथ मारपीट मामले में हुई थी।

                               परिवेश तिवारी…थाना प्रभारी तोरवा थाना..बिलासपुर

मुझे भाई जिन्दा चाहिए

           आरक्षक मारपीट मामले में मेरा भाई दोषी नहीं है। उसने मारपीट नहीं की। लेकिन पुलिस ने उसपर दबाव बनाकर आत्मसमर्पण के लिए दबाव बनाया। इस बीच बिलासपुर पुलिस ने मेरे परिवार को काफी प्रताड़ित किया। छापामार कार्रवाई के बहाने घर की महिलाओं को धमकाया और पीटा गया। परिवार पर पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर उसने आत्मसमर्पण किया। पुलिस वालों ने उसे इतना पीटा की आज वह जीवन मौत के बीच झूल रहा है। मुझे मेरा भाई जिन्दा चाहिए

                                                                                                                 पीड़ित का भाई

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