शिक्षा कर्मियों की बदहाली के लिए सभी संगठन नहीं…. बल्कि आंदोलन से दूरी बनाने वाले जिम्मेदार… नेताओँ ने दिया जवाब

Chief Editor
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रायपुर ।   राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक उत्तम कुमार देवांगन ने शिक्षा कर्मियों की समस्याओँ के निराकरण न होने पर सभी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था। इसे लेकर शिक्षा कर्मियों और संगठनों ने प्रतिक्रिया जाहिर की है। साथ ही उन्हे आत्मचिंतन की सलाह दी है।
  शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के  प्रदेश संचालक विकास सिंह राजपूत ने कहा कि शिक्षाकर्मियों के बदहाली के लिए सभी संगठन नही बल्कि  श्री  देवांगन जिस संगठन मे है ,वही जिम्मेदार है ।  जब शिक्षाकर्मियों का शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ तो  श्री देवांगन  जिस संगठन मे है ये संगठन अपने अहम के कारण आंदोलन से दूरी बनाकर शिक्षाकर्मियों के हितो के साथ कुठाराघात करने का प्रयास किया । साथ ही साथ संविलियन का विरोध समय समय पर इनके व इनके संगठन द्वारा किया जाता है और पंचायत मे सुविधा की मांग करते  हैं ।  जो सम्भव नही है  । शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा वेतन विसंगति मे सुधार कर आठ वर्ष के बन्धन समाप्त कर समस्त शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग मे संविलियन के लिए आंदोलन व बातचीत के माध्यम से शासन पर दबाव बनाये हुए है।ऐसे संविलियन विरोधी जो खुद कुछ नही करते ऐसे संगठन व लोगो को अन्य संगठन पर दोषारोपण करने से पहले स्वयं मे आत्मचिंतन करना चाहिए।
शिक्षक पँचायत /ननि मोर्चा के उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि- सरकार का आशय ही होता है,समस्त शक्तियों का केन्द्रबिन्दु। संविधान बनाना, उसे संशोधित करना, नीति बनाना और उसे क्रियान्वित करना सबकुछ सरकार का हिस्सा है। जिस शक्ति के चलते सरकार ने शिक्षाकर्मी व्यवस्था दी,उसी शक्ति से इस व्यवस्था को समाप्त कर नियमित शिक्षकों की भर्ती,शिक्षाकर्मियों का मूलपदो पर संविलियन ये सरकार कर सकती है। इस समस्या का स्थायी समाधान हेतु केवल शासन के दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।  उन्होने कहा कि संगठनों को कोसने वाले यदि नीति नियम के इतने ही जानकार  हैं तो आजतक वो खुद क्या कर रहे थे । उन्हें क्यो अपने वेतन के लिए सड़क पर उतरकर भीख मांगने की जरूरत पड़ी? क्या उन्हें पता नही था वेतन उनका संवैधानिक अधिकार है फिर क्यों 2 से लेकर 3 माह तक बिना वेतन के रहे। आज शिक्षाकर्मी यदि 500 के वेतन से 35000 के वेतन तक पहुँचा है और सेवाशर्तें सुधरी है,तो आम शिक्षाकर्मियों की आवाज को मुखर करने वाले संगठन/मोर्चा के संघर्षों के बदौलत है । हमे पूरा विश्वास है कि मोर्चा के नेतृत्व में हुए आंदोलन के परिणाम में हमे “संविलियन” भी प्राप्त होकर  रहेगा।
आंदोलन के दौरान जेल गए   शिक्षा कर्मी संदीप त्रिपाठी ने प्रतिक्रिया दी कि  मोर्चे के  दौरान हड़ताल में शामिल नहीं होने वाले शिक्षा कर्मियों के नेता  TV और सोशल मीडिया में नजारे देख रहे थे। शिक्षा कर्मीयो की एकता को तोड़ रहे थे। हम आंदोलन के दौरान जेल गए थे। जेल की रोटी खाई है।अब वे  अर्नगल बाते न करे ।   नियम कायदे न गिनाए .. अब तक क्या कर रहे थे ।  ये सबको बताये  और शिक्षा कर्मियों के हित की बात शिक्षा कर्मियों की ओर से करे..मीडिया में ऐसी बयान बाजी न करे।
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