विद्यार्थी को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत…जब पत्रकारों कहा…आरटीआई ने किया पत्रकार धर्म को खोखला

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर– पत्रकारों को गणेश शंकर विद्यार्थी के लेखन को आत्मसात करने की जरूरत है। विद्यार्थी की सत्य परक लेखन शैली और समाजिक सदभावना की आज देश को बहुत ही जरूरत है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय पत्रकार लेखनी के साथ विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सामंजस्यता स्थापित करना जानते थे। आज की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। यह बातें गणेश शंकर विद्यार्थी की पुण्य तिथि पर आयोजित  एक परिचर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राज गोस्वामी ने कही।

                        गणेश शंकर विद्यार्थी की पुण्य तिथि पर आयोजित परिचर्चा के दौरान राज गोस्वामी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी ने 25 मार्च 1931 को अपने प्राणों की आहुति दी । विद्यार्थी जी को अपना आदर्श बताते हुए गोस्वामी ने कहा कि आज साहित्य के साथ पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। तब ही हमारी पत्रकार धर्म को सही दिशा मिलेगी। आज का युवा पत्रकारिता के मापदंडों को भूलकर सोशल मीडिया और आरटीआई को हथियार बना लिया है। निश्चित रूप से यह पत्रकारिता के भविष्य के लिए घातक है ।

                                      वरिष्ठ पत्रकार के.के.शर्मा ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी की लेखनी से प्रभावित होकर शहीद भगत सिंह स्वतंत्रता-संग्राम के सेनानी बने।  बलवंत सिंह के छद्म नाम से समाचार पत्रों में लेखन किया। शर्मा ने बताया कि आज पत्रकारों को लोकमान्य तिलक व गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे महापुरूषों को आदर्श बनाने की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है।

                      प्रदेश उपाध्यक्ष ठाकुर बलदेव सिंह ने कहा कि महापुरुषों को आदर्श मानकर लेखन कार्य करें। इसके बाद ही गणेश शंकर विद्यार्थी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी । वरिष्ठ पत्रकार अनुप पाठक , उमेश सोनी , विनोद सिंह ठाकुर , अजय शर्मा, उत्तम तिवारी, संतोष कुमार सोनी , विजय दीक्षित समेत श्यामलाल रजक ने गणेश शंकर विद्यार्थी की जीवन पर प्रकाश डाला। सभी ने विद्यार्थी के सिद्धांतों को आत्मसात कर निर्भीक और समाजिक समरसता के साथ  पत्रकारिता करने की बात कही । कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ किया गया।

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