जब तहसीलदार को ग्रामीणों ने घेर लिया..काम नहीं आया वारंट….पुलिस बल के साथ खाली लौटा महकमा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—बिलासपुर से लगे दोमुहानी गांव में बेदखली वारंट लेकर तहसीलदार के साथ पूरी पुलिस फोर्स पहुंची। मामला निजी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा हटाने को लेकर था। लेकिन प्रशासन की एक नहीं चली। इस दौरान तहसीलदार और ग्रामीणों के बीच जमकर बाद विवाद हुआ। स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि दूसरी पार्टी के पास जमीन की मालिकाना हक के कागजात है तो दिखाएं। क्योंकि हमारे पास भी दस्तावेज हैं। यदि हम कही गलत होते हैं तो जमीन घर बार सब छोड़ देंगे।

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                      पन्द्रह दिनों बाद एक बार फिर तहसील प्रशासन पुलिस बल के साथ ग्राम पंचायत दोमुहानी पहुंचा। तहसीलदार के हाथ में ग्रामीणों को राजीव अग्रवाल की जमीन से बेदखली का वारंट भी था। लेकिन ग्रामीणों ने जमीन खाली करने से इंकार कर दिया। स्थानीय रसूखदारों के साथ तहसीलदार और पुलिस अधिकारियों की बैठक भी हुई। लेकिन नतीजा कुछ हासिल नहीं  हुआ। ग्रामीणों ने जमीन खाली करने से दो टूक इंकार कर दिया।

              तहसीलदार देवी सिंह उइके ने इस दौरान लोगों को समझाने का भरपूर प्रयास किया। सरकारी कामकाज में दखलदांजी करने वालों पर कार्रवाई की भी धमकी दी। बावजूद इसके ग्रामीमों ने जमीन खाली करना तो दूर बल्कि स्पष्ट कर दिया कि यदि राजीव अग्रवाल के पास दस्तावेज हों तो आकर दिखाए। पर्दे के पीछे से रहकर रसूख का प्रयोग ना करें।

                     मौके पर मौजूद जमीन पर काबिज सुनील ने बताया कि हम लोग यहां सन 1927 से रहते हैं। प्रभावित सभी लोगों के पास तहसील प्रशासन से जारी दस्तावेज भी हैं। यदि शासन को लगता है कि कि काबिज जमीन राजीव अग्रवाल की है तो वह भी दस्तावेज लेकर समाने लाए। सुनील ने बताया कि भूईयां से लेकर तमाम दस्तावेज कह रहे हैं कि जमीन यहां रहने वालों की है। केवल नक्शे में बांटांकन नहीं होने की सूरत में अन्य दस्तावेजों को मानने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

                            सुनील ने कहा कि जुलाई में तहसीलदार सीमांकन करते हैं। किसी भी ग्रामीण को इसकी जानकारी नहीं है। कुछ दिनों बाद तहसीदार नोटिस जारी कर जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हैं। हम लोगों ने तहसीलदार देवी सिंह उइके को दस्तावेज भी दिखाया। लेकिन उन्होने बेदखली का वारंट जारी कर दिया। इतना ही नहीं मामले में मंत्रालय से पत्र कलेक्टर को आया। जांच टीम का गठन कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा गया। लेकिन ना तो जांच टीम बनी और ना ही मंत्रालय को वस्तु स्थिति की जानकारी ही दी गयी।

                     राजीव अग्रवाल रसूखदार परिवार से हैं। शासन के दबाव  से जमीन खाली करवाना चाहता है। ऐसा हम हरगिज नहीं होने देंगे। जबकि हम लोगों ने आयुक्त कोर्ट में तहसील प्रशासन के आदेश के खिलाफ अपील की है। इसके पहले निर्णय हो तहसील प्रशासन जमीन खाली खाली करवाने आ गया। 15 दिन पहले भी ऐसा ही किया गया था।

              बेदखली वारंट के साथ पहुंचे तहसीलदार,पटवारी और पुलिस का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। ग्रामीणों ने कहा कि जान चली जाए लेकिन अपनी जमीन का एक टुक़ड़ा भी नही छोडेंगे। यदि सामने वाली पार्टी के पास उचित कागजात है तो सबके सामने लेकर आएं। हमारे पास भी कागजात हैं। पुष्टि हो जाएगी कि जमीन का असली मालिक कौन है।यदि हम गलत साबित होते हैं तो जमीन छोड़ देंगे।

                        तहसीलदार ने बताया कि सीमांकन रिपोर्ट के अनुसार जमीन राजीव अग्रवाल की है। जमीन खाली करना ही होगा। नाराज ग्रामीण सुक्रिता गोयल ने कहा कि राजीव अग्रवाल की जमीन का फिर से सीमांकन किया जाए। यदि जमीन होगी निकाल आएगी। लेकिन हम अपनी  जमीन खाली नहीं करने वाले। हमारे पास भी रिकार्ड है। भू-अभिलेख शाखा में नाम भी दर्ज है। रिकार्ड के साथ पिछले 80 साल से काबिज हैं।

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