राष्ट्रीय संगोष्ठीः क्या तीसरा विश्वयुद्द पानी के लिए होगा..मंत्री ने जताई चिंता..तालाब के बिना जीवित नहीं रहेंगी नदियां

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—कोनी बिलासपुर स्थित पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के 14 वेंं स्थापना दिवस पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निकाय मंत्री अमर अग्रवाल ने किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अमर अग्रवाल ने कहा कि बहुत जल्द ही सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय की देश में विशिष्ट पहचान होगी। अपने भाषण के दौरान अमर ने पानी के घटते जलस्तर पर चिंता जाहिर की..साथ ही कहा कि यदि तीसरा विश्वयुद्द पानी को लेकर हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। इस दौरान कारक्रम को विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.वंश गोपाल ने भी संबोधित किया।

             
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                             कोनी स्थित  सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय में आज से जल संरक्षण समय की मांग विषय पर दो दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.वंशगोपाल ने बताया कि दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बिलासपुर के चार विश्वविद्यालय पंडित सुन्दरलाल शर्मा
(मुक्त) विश्वविद्यालय, गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर विश्वविद्यालय और डाॅ.सी.वी.रमन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है।

          संगोष्ठी का प्रारंभ प्रारंभ सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। वंशगोपाल ने कहा कि जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरुरत है। आने वाले समय में सभी विश्वविद्यालय सामाजिक सरोकार नाता रखने वालों को मिलकर काम करने की जरूरत है। अपनी छोटी-छोटी आदतों
को बदले की आज बहुत आवश्यकता है।

               कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निकाय मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय जल्द ही राष्ट्रीय  और पटल पर अपनी पहचान बनाएगा। विश्वविद्यालयों का कार्य ही  होता है कि वो शोध करना।  पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय इस दिशा में बेहतर काम कर रहा है। पानी भविष्य की बड़ी चुनौती है । आश्चर्य नहीं होगा कि यदि तीसरा विश्वयुद्ध को लेकर हो। बिलासपुर तालाबों का शहर रहा है। अमर ने पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र को याद किया। उन्होने कहा कि आज भी भरे है तालाब। उन्हें पुर्नजीवित किये बिना नदियों को पुर्नजीवन नहीं मिल सकता।  इसके लिए हमें नीति बनाने की
आवश्यकता है। भावी पीढ़ी के लिए अगर हम कोई बेहतरीन तोहफा देना चाहते है तो वो जल संरक्षण ही होगा।

                                  गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो . अंजिला गुप्ता ने कहा कि जल पंचतत्वों में से एक है। वैदिक काल से इसका महत्व बताया जाता रहा है। इजराइल जैसे देश से हमें पानी का ‘संरक्षण सीखना चाहिए। ड्रीप इरीगेशन के जरिये उन्होने पूरे विश्व को संदेश दिया है। विशिष्ट अतिथि बिलासपुर विश्वविद्यालय  कुलपति प्रो. गौरीदत्त शर्मा ने कहा कि गंगा से भी अधिक पवित्र नदी नर्माद है।  जो विश्व के कंठ से उत्पन्न हुई है। जल के बिना
जीवन असंभव है। जीव की उत्पत्ति और सभ्यताओं का विकास जल से ही हुआ है।

                                   विशिष्ट अतिथि कुलपति, सी व्ही. रमन विश्वविद्यालय  प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय के सिलेबस में जल संरक्षण को शामिल किया जाना चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों से ही यह कार्य शुरु करना होगा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता  प्रों. शर्मा, यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस एंड टेक्नालाॅजी ने कहा कि नार्थ ईस्ट में ब्रम्हपुत्र से बेहतर उदाहरण नहीं हों सकता। माजूली द्वीप इसका बेहतरीन उदाहरण है। वहाँ एक व्यक्ति की पहल से एक ‘मैन मेड फारेस्ट’ बनाया गया जो विश्व के लिए एक उदाहरण है।

                    कार्यक्रम में स्वागत भाषण एवं धन्यवाद  कुलसचिव डाॅ. राजकुमार सचदेव ने किया। मंच संचालन डाॅ. रुपेन्द्र राव ने किया।

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