भोपाल। रविवार को गाँधी भवन भोपाल में विभिन्न कर्मचारी संगठनों और अध्यापक संघों की बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें इस बात को लेकर भी चर्चा रही कि रविवार की सुबह कर्मचारी संघो के बीच मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा कि गई कि ई-अटेंडेंस व्यवस्था समाप्त की जा रही है । यह अल्प समय मे संभव हो पाया कर्मचारियो की अभूतपूर्व एकता से। सभी कर्मचारी संगठन बधाई के पात्र है कि समयानुकूल शिक्षक-अध्यापको की अवमानना कराती इस व्यवस्था का पूरजोर विरोध हुआ। सुखद परिणाम सामने है। लेकिन सचेत भी रहने की आवश्यकता है यह ई-अटेन्डेन्स का जिन्न चुनाव बाद फिर खडा होगा। ई-अटेन्डेन्स के सामूहिक विरोध से मिली सफलता एक सबक भी है कि हर अन्याय को एकता से पराजित किया जा सकता है।तत्पश्चात ई-अटेन्डेन्स विरोध, शिक्षा विभाग मे संविलियन के स्वरूप एवं विसंगति रहित आदेश न होने की स्थिति मे 1 मई मजदूर दिवस को भोपाल मे प्रस्तावित आयोजन पर चर्चा की गई।
डाउनलोड करें CGWALL News App और रहें हर खबर से अपडेट
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cgwall
बैठक की शुरुआत 1 जनवरी 2004 से अध्यादेश के जरिए नियमित पेंशन बंद कर कर्मचारियो अधिकारियो के भविष्य और बुढापे को तबाह करने वाले “काले कानून” की भर्त्सना से हुई। 1अप्रैल को “काला दिवस” के रूप मे मनाया गया और नियमित पेंशन की मांग 1अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियो-अधिकारियो को लागू करने की माँग कि गई। अध्यापक संघर्ष समिति एवं सहभागी अध्यापक संघो ने नियमित पेंशन को वर्तमान संघर्ष का प्रमुख मुद्दा निरुपित किया।अध्यापक संघर्ष समिति द्वारा शासन को चेतावनी दी गई कि हर स्थिति मे 21 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा “अध्यापको का शिक्षा विभाग मे संविलियन” को अमलीजामा दिया जाए और विसंगति रहित आदेश अप्रैल मे हर हालात मे जारी किया जाए।
हमसे facebook पर जुड़े- www.facebook.com/cgwallweb
twitter- www.twitter.com/cg_wall
अध्यापक संघर्ष समिति ने अपनी मांगो से शासन को स्मरण कराया कि अंतरिम राहत राशि लागू आदेश दिनांक से मय एरिअर छठवां वेतनमान और राज्य शासन के कर्मचारियो की तरह 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान मय एरिअर दिया जाए। अध्यापक संवर्ग के पुराने अनुकंपा नियुक्ति के अभी तक के समस्त प्रकरणो पर शिक्षा विभाग के नियमानुसार विचार कर उत्पीडित परिवार के सदस्यो को मानवीय आधार पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। अनुकंपा नियुक्ति के पदो का विस्तार किया जाए। वर्तमान अंतरनिकाय संविलियन के आदेश शीघ्र प्रसारित किये जाए और मई मे बंधनरहित स्थानांतरण नीति लागू कर “घर वापसी” का अवसर इच्छुक को दिया जाए। CCL अवकाश की व्यवहारिक परेशानी को दूर कर बहनो के लिए सुलभ बनाई जाए। इस बैठक मे सबसे अधिक शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरूजी नियुक्ति दिनांक से “वरिष्ठता” पर बल दिया गया । भले ही वह कागजी वरिष्ठता (Paper seniority ) ही क्यो न हो। क्योकि शासन की मंशा अभी तक की सेवा को हजम करने की पूर्व अनुभव के आधार पर प्रतीत हो रही है। 1 मई के प्रस्तावित आन्दोलन मे विभिन्न अध्यापक संगठनो, कर्मचारी संगठनो एवं विभिन्न विचारधाराओ के राजनीतिक नेतृत्व के साथ विभिन्न प्रांतो के पैरा शिक्षको की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी।
अध्यापक संघर्ष समिति 15 अप्रैल को पुनः भोपाल मे बैठक करेगी । शिक्षा विभाग मे संविलियन की प्रक्रिया की प्रगति से रूबरू होगी । अध्यापक संघर्ष समिति ने अध्यापक साथियो को सचेत व सावधान रहने के लिए आगाह करते हुए कहा है कि अध्यापको के ऐसे नेता जो जनभावना की अवहेलना कर निजी स्वार्थ और शासन के प्रवक्ता का बेशर्मी से प्रदर्शन कर रहे है उनका बहिष्कार करे । क्योंकि एक बार फिर ये अध्यापको का सौदा करने के लिए उतावले प्रतीत हो रहे है। समिति का मानना है कि किसी भी संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भीड का बहुत महत्व होता है। भीड बढाने के लिए घर से बाहर निकल संघर्ष के मैदान मे कूदना पड़ता है, सहयोग देना पढता है, आत्म उत्सर्ग करना पड़ता है। जो भी उपार्जित करने की चाह रखते है उसमे स्वयं के श्रम की भागीदारी सुनिश्चित करनी पडती है अन्यथा आपके घर बैठे कितने ही बढ़िया सद्विचार क्यो न हो? विसंगति और पराजय हमेशा सामने खडी रहती है।