भोपाल।अध्यापक संविदा शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अरविंद दीक्षित के नेतृत्व में उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ में मध्यप्रदेश के स्कूलों में लागू किए गए ई – अटेंडेंस सिस्टम को चुनौती देते हुए एक याचिका पेश की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने मध्यप्रदेश की भौगोलिक ,सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों के साथ ही ई- अटेंडेंस में आने वाली व्यवहारिक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए तथा पिछले 23 मार्च को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को याचिका कर्ता द्वारा भेजे गये रेप्रजेंटेशन का जबाव आने तक ई- अटेंडेन्स पर रोक लगा दी है।शासन को जबाव प्रस्तुत करने हेतु दो माह का समय प्रदान किया गया है|अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रांतीय सदस्य रमेश पाटिल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ज्ञात हो कि अरविंद दीक्षित सहित दस अध्यापकों ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर कर ई- अटेंडेन्स को चुनौती दी थी।
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साथ ही एम शिक्षा मित्र एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज किये जाने में आने वाली व्यवहारिक परेशानियों से अवगत कराने एवं इसकी बाध्यता को समाप्त किये जाने हेतु 23 बिंदुओं का पत्रप्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन के साथ – साथ श्आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल को लिखा था |ज्ञात हो कि ई अटेंडेन्स को लेकर मध्य प्रदेश के शिक्षको में काफी रोष था प्रदेश के शिक्षक संघो ने कई ज्ञापनों,रैली प्रदर्शन हुए शिक्षको के बड़े पैमाने पर होते हुए उसके बाद इस योजना को सरकार ने वापस लिया।
अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रान्तीय सदस्य रमेश पाटिल ने बताया कि अध्यापक संघर्ष समिति इस ई अटेंडेन्स का लगातार विरोध करती रही है। ग्वालियर खंडपीठ का यह निर्णय काफी हर्ष का विषय है। शासन शिक्षकों पर जबरदस्ती एम मित्र एप थोप रहा था। हम तकनीक के विरोध में नहीं है। शासन पहले दूसरे विभागों में तो लगाएं।अध्यापक अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं । अध्यापकों के ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं हो ना चाहिए अध्यापक दबाव में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे सकता है।