बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म के दोषी को मृत्युदंड का प्रावधान करने की सिफारिश की है। इससे जुड़े पोस्ट को सोशल मीडिया में काफी लाइक्स मिल रहे हैं । साथ ही बड़ी संख्या में लोग इस पर सहमति जताते हुए कमेंट भी कर रहे हैं । लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस तरह के अपराध के दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा दी जानी चाहिए ।
जैसा कि मालूम है कि छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने छत्तीसगढ़ शासन के प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी कार्य विभाग को एक सिफारिशी पत्र लिखा है । जिसमें भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी ) एवं लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 ( पास्को एक्ट ) में आवश्यक संशोधन की सिफारिश की गई है । इस पत्र में कहा गया है कि आईपीसी एवं पास्को एक्ट के प्रावधान अनुसार 12 वर्ष से के उम्र तक के बच्चों के साथ दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास का प्रावधान है । अभी हाल ही में हरियाणा सरकार ने 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के अपराध को अत्यधिक गंभीर अपराध मानते हुए दुष्कर्म के दोषी के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान किया है । छत्तीसगढ़ राज्य में भी 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के अपराध बढ़ते जा रहे हैं । अतः आईपीसी और पास्को एक्ट में आवश्यक संशोधन कर हरियाणा सरकार की तरह 12 वर्ष या इससे कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के अपराध के लिए दोषी को मृत्युदंड दिए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए । ताकि इस प्रकार के अपराध की घटनाओं में कमी आ सके । इस पत्र के साथ संशोधन का प्रारूप भी भेजा गया है । यह सिफारिश छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पांडे के अनुमोदन के आधार पर भएजी गई है।
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पांडे ने इस संबंध में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जारी किया है । जिसमें 12 वर्ष से छोटी बालिकाओं से दुष्कर्म के अपराधी को मृत्युदंड या फांसी के अनुशंसा के बारे में जानकारी दी है दी गई है । साथ ही यह उम्मीद भी जताई गई है कि लोग इससे सहमत होंगे । सोशल मीडिया पर इसे लेकर बड़ी संख्या में लोगों की प्रतिक्रिया आई है । लोगों ने इसे बड़ी संख्या में लाइक किया है । साथ ही अपनी सहमति जताते हुए इस पर कमेंट भी किए हैं । यह पोस्ट कई लोगों द्वारा शेयर भी की गई है । लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में यहां तक लिखा है कि ऐसे मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए । सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया को देखते हुए माना जा रहा है कि इस तरह की घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए लोग मर्माहत हैं और ऐसे मामलों में कड़ी से कड़ी सजा के पक्षधर हैं ।