सिम्स कर्मचारी भर्ती घोटाला…जांच पड़ताल करने पहुंची SIT…टीम में सचिव स्तर के कर्मचारी शामिल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानि सिम्स में भर्ती घोटाले की जांच करने पांच सदस्यीय विशेष टीम बिलासपुर पहुंच गयी है। विशेष जांच टीम में सचिव स्तर के कर्मचारी भी शामिल हैं। टीम के सदस्यों ने सिम्स पहुंचकर सभी दस्तावेजों को कब्जे मे लिया है। 2012-13 में वर्ग तीन और चार में हुए भर्ती घोटाले को लेकर जरूरी पूछताछ भी की जा रही है। मालूम हो कि सिम्स में करीब 300 पदों की भर्ती को लेकर लगातार शिकायत आ रही थी। मामला लोकायुक्त में भी है। शासन के निर्देश पर भर्ती घोटाले को लेकर पांच सदस्यी विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। एसआईटी गठन के बाद पहली बार टीम के सदस्य बिलासपुर स्थित सिम्स पहुंचे हैं।

             
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                            मालूम हो कि साल 2012-13 में सिम्स में वर्ग तीन और चार पदों की कुल 250 पद पर भर्ती हुई। भर्ती प्रक्रिया के दौरान सिम्स प्रबंधन ने 50 पद के लिए अलग से विज्ञापन निकाला। कुल 300 पदों के लिए सिम्स में भर्तियां हुई। भर्ती के दौरान नियम,शर्तों की जमकर धज्जियां उड़ाई गयीं। इस दौरान ना तो भर्ती कमेटी का गठन किया गया। ना ही योग्यता के अनुसार कर्मचारियों का चुनाव ही किया गया। खासतौर पर संविदा पर काम करने वालों और स्थानीय लोगों को भी भर्तियों से दूर रखा गया। मामले को लेकर संविदा कर्मचारी और स्तानीय लोगों ने जमकर धरना प्रदर्शन के साथ विरोध प्रदर्शन किया। कलेक्टर से लेकर मंत्री तक शिकायत पहुंची। दबाव के बाद  स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन ने जांच टीम का गठन किया। जांच टीम ने खुलासा किया कि तीन सौ पदों पर की गयी भर्तियों में भारी भ्रष्टाचार का खेल हुआ है। नियमो और शर्तों को ताक पर रखकर अपनों को नौकरी बांटी गयी है। बावजूद इसके किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।

                भर्ती घोटाला का मामला लोकायुक्त तक पहुचा। लोकायुक्त ने जांच के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट पेस कर बताया कि भर्ती में जमकर घोटाला हुआ है। मामला अब भी लोकायुक्त में चल रहा है…सिम्स प्रबंधन लगातार पेशी पर है। भर्ती घोटाला उजागर के बाद शिकायत कर्ताओं के दबाव और लोकायुक्त रिपोर्ट के आधार पर शासन ने सिम्स में कर्मचारी भर्ती घोटाला जांच को लेकर पांच सदस्यीय टीम का गठन किया। टीम का गठन 9 मार्च को किया गया है। गठन के बाद पहली बार भर्ती घोटाला की जांच करने एसआईटी की टीम सिम्स पहुंची। पांच सदस्यीय टीम में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव आर.के.टण्डन, दीपक अग्रवाल,बसंत महेश्वरी समेत दो अन्य सदस्य शामिल हैं।

                             साल 2012-13 में भर्ती के समय सिम्स अधीक्षक डॉ.मोहन्ती थे। भर्ती के कुछ सालों बाद करीब एक से डेढ़ साल पहले डॉ.मोहन्ती की मौत गयी। तात्कालीन समय प्रभावित आवेदकों और संविदा  कर्मचारियों ने कलेक्टर से लेकर शासन तक शिकायत की थी कि भर्ती में जमकर लेनदेन हुआ है। सिम्स के डाक्टरों ने अपने रिश्तेदारों को नियम कानून को ताक पर रखकर नौकरी दी है। योग्यता नहीं होने के बाद भी मोटी रकम लेकर लोगों को सत्यनारायण प्रसाद की तरह नौकरी बांटी गयी। मामले में लोगों की शिकायत को लोकायुक्त ने सही पाया।

           सूत्रों की माने तो टीम के सदस्य सिम्स अधीक्षक, एमएस समेत सभी कर्मचारियों से लगातार पूछताछ कर रहे हैं। भर्ती के समय जमा दस्तावेजों को बरामद किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि एसआटी टीम शिकायत करने वालों से पूछताछ करेगी। भर्ती किए गए सभी 300 कर्मचारियों  को रिकार्ड जमा करने को कहा है।

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