क्या सरकार का खजाना हुआ खाली.?जोगी कांग्रेस नेताओं का आरोप-चुनाव में कर्ज से मोबाइल बांटने की तैयारी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक स्थिति दयनीय है। सरकार दिवालिया होने के कगार पर है। रमन सिंह सरकार कर्ज में डूबी हुई है। जनता कांग्रेस नेताओं ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि सरकार के पास कर्मचारियों अधिकारियों और शिक्षाकर्मियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार ने आरबीआई से 500 करोड़ रुपया लोन मांगा है । इससे सरकार आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

                      जनता कांग्रेस ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि छत्तीसगढ़ हजारों करोड़ों का लोन के कर्ज तले पहले से ही दबा हुआ है। छत्तीसगढ़ रमन सिंह सरकार आर्थिक रूप से कर्ज में डूबाी हुई है। बावजूद इसके सिर्फ युवाओं को लुभाने के लिए 50 लाख मोबाइल टेबलेट बांटने का लक्ष्य रखा गया है। पाण्डेय और भंसाली ने बताया कि मई महीने के 11 तारीख से सरकार मोबाइल और टेबलेट बांटने का लक्ष्य रखा है। समझने वाली बात है कि आखिर छत्तीसगढ़ सरकार के पास कहां से धन आएगा। दोनो नेताओं ने बताया कि  सरकार छत्तीसगढ़ की जनता के साथ छलावा कर रही है।

                   जनता, छात्रों और बेरोजगार युवकों को बेवकूफ बनाने का कार्य किया जा रहा है। मोबाइल बांटने से पहले क्या सरकार ने ध्यान दिया कि टावरों की क्या स्थिति है। बेहतर होता कि मोबाइल बाटने से राज्य सरकार मोबाइल टावरों की स्थिति ठीक कर लेती। क्योंकि अभी भी प्रदेश में पर्याप्त संख्या में  टॉवर नही है। जब तक अलग से टावरों की संख्या बढाया नहीं जाएगा,मोबाइल बांचने  का कोई औचित्य नहीं होगा।

       जनता कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मोबाइल केवल चुनाव को देखते हुए बांटा जा रहा है। सरकार समझ रही है कि जनता भाजपा सरकार से नाराज है। जनाकरी यह भी है कि रमन सरकार अपना खुद का सॉफ्टवेयर लगाकर मोबाइल बांटने वाली है। जाहिर सी बात है कि सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार सारे मोबाइलों का नंबर और डाटा अपने पास सुरक्षित रखते हुए प्रचार का कार्य करेगी। ऐसा करना निजता का उल्लंघन होगा। बहुत ही निंदनीय काम है। जनता के पैसे का दुरुपयोग है। अगर देना ही है तो छत्तीसगढ़ रमन सरकार  बेरोजगारों को रोजगार दे। मोबाइल बांटकर लालीपाप देकर लोगों को बरगलना ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस इसका विरोध करेगी। यह बातें प्रदेश प्रवक्ता मनीशंकर पान्डे ने कहीं।

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