लौटेंगे अनिवार्य सेवामुक्त कर्मचारी…? प्रस्ताव पास होने से पहले फूटा मंत्रियों का गुस्सा..कहा..जोड़ना था तो हटाया क्यों..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर, अम्बिकापुर, दुर्ग ,जगदलपुर,ट्रांजिट हॉस्टल,chhattisgarh,pwdरायपुर—जबरदस्ती रिटायर किए गए अधिकारियों-कर्मचारियों को जल्द ही सेवा का दुबारा मौका मिलेगा। के केस में सरकार ने पाला बदल लिया है। कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि अनिवार्य सेवा निवृत अधिकारियों-कर्मचारियों को बहाल किया जाएगा। जबरदस्ती रिटायर्ड किए गए अधिकारियों कर्मचारियों के आवेदनों पर विचार करने के लिए तीन स्तरों पर समिति का गठन किया जाएगा।  सीएम रमन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक के दौरान अनिवार्य सेवानिवृत कर्मचारियों को लेकर मंत्रियों के बीच जमकर बहस भी हुई।

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                                   मालूम हो कि विभिन्न विभागों के लगभग प्रदेश में 2 सौ से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों को सेवामुक्त कर दिया गया है। सरकार ने 50 साल की आयु और 20 साल की सेवा पूरी कर चुके खराब सर्विस रिकॉर्ड वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को रिटायर करने का फैसला लिया था। फैसले के खिलाफ प्रभावितों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब तलब भी किया है। शुक्रवार को कैबिनेट ने प्रभावित अधिकारियों-कर्मचारियों के आवेदनों पर विचार का निर्णय लेते हुए समिति की अनुशंसा की है। समिति तीन स्तरों पर अनिवार्य सेवा निवृत कर्मचारियों के आवेदन पर विचार करेगी।

कैबिनेट बैठक में फूटा गुस्सा

             रमन कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने अनिवार्य सेवानिवृत को लेकर जमकर गुस्सा उतारा। बैठक में जैसे ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले में अपीलीय समिति गठन का प्रस्ताव सामने आया तो मंत्री अपने गुस्से को काबून नहीं कर सके।

                          नाराज कुछ मंत्रियों ने सामान्य प्रशासन विभाग सचिव और मुख्य सचिव की तरफ देखते हुए तीखे सवाल दागे। मंत्रियों ने कहा कि जब साल 2017 में कैबिनेट ने संशोधन के बाद अपीली समिति के प्रावधान  को हटा दिया गया है तो दोबारा समिति बनाने की जरूरत क्या है। जब प्रावधान को जोड़ा ही जाना था तो हटाया क्यों गया। इस बात को लेकर मंत्रियों ने जमकर गुस्सा उतारा। विवाद इतना बढ़ गया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

47 पुलिसकर्मी प्रभावित

                            मालूम हो कि राज्य शासन ने 47 पुलिसकर्मियों को कमजोर परफॉर्मेंस के बाद सेवा से हटा दिया था। अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने को लेकर जमकर विरोध भी हुआ। आरोप यह भी लगाया गया कि आदिवासी समाज को टारगेट करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गयी है। कई पुलिसकर्मियों ने  सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जबकि तत्कालीन समय कई मंत्रियों ने पुलिसकर्मियों को हटाए जाने के फैसले का विरोध किया था।

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