शिक्षा कर्मियों के संविलयन में कोई संवैधानिक समस्या नहीं…. कमलेश्वर सिंह बोले- यह सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था है

Chief Editor
6 Min Read
रायपुर । शिक्षा कर्मियों के संविलयन की मांग को लेकर हलचल मची हुई है। इस सिलसिले में सरकार ने मुख्यसचिव की अध्यक्षता में एक एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है। कमेटी ने प्रदेश के सभी शिक्षा कर्मी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बातचीत के लिए 1 मई को बैठक बुलाई है। अब सवाल यह है कि असल में अड़चन कहां पर है। इस पर cgwall.com की ओर से अलग-अलग संगठनों के पदाधिकारियों की राय लेकर यह समझने की कोशिश शुरू की गई है कि आखिर अड़चन किस जगह पर है।इस सिलसिलें में  छत्तीसगढ़ व्याख्याता पंचायत संघ के प्रांताध्यक्ष और एकता मंच के संचालक  कमलेश्वर सिंह का कहना है कि   तत्कालीन म.प्र. शासन पंचायत एवम् ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल दिनांक 13 अक्टूबर 1997 को राज्य सरकार ने म.प्र. पंचायत राज  अधिनियम 1993 (क्रमांक 1सन् 1994) की धारा 53 के साथ पठत धारा 95 की उपधारा (1) दुवारा प्रदत्त शक्तियो को प्रयोग में लाते हुए अधिनियम की धारा 95 की उपधारा (3)दुवारा आपेक्षित किये गए अनुसार म.प्र.पंचायत शिक्षा कर्मी (भर्ती तथा सेवा की शर्ते ) नियम 1997 प्रकाशित कर नियम बनाया है ।

Join Our WhatsApp Group Join Now

Read More-IPS अफसरों के तबादले,सुंदरराज डीआईजी नक्सल ऑपरेशन,डांगी दंतेवाड़ा के डीआईजी

भारत की सविधान में 73 वां एवम् 74 वां  संशोधन में पंचायत राज व्यवस्था लागू करने और उन्हें शक्ति सम्पन्न बनाने के लिए 29 विषयो को पंचायत राज के अधीन लाने का प्रावधान है परन्तु अब तक केवल शिक्षा विभाग के शिक्षको की सेवा पंचायत राज को सौपा है ।म.प्र.स्कूल शिक्षा  विभाग दुवारा पत्र क्रमांक एफ -44/65/85/20/2/94 दिनांक 16/19 अगस्त 1994 को स्कूल शिक्षा विभाग के आधीन चल रहे समस्त स्कूल जनपद एवम् जिला पंचायत के अधीन करने और स्कूल का संचालन का पूर्ण दायित्व जिला / जनपद पंचायत को सौपा गया है जो कि  छत्तीसगढ़ में भी प्रचलित है।
     कमलेश्वर सिंह ने कहा कि किसी विभाग में कर्मचारियों की नियुक्ति का  अधिकारों का प्रत्ययोजन करना राज्य सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था है ना कि संवैधानिक  ।इस आदेश के तहत स्कूल शिक्षा विभाग के चतुर्थ श्रेणी से लेकर उप संचालक लोकशिक्षण तथा उसके कार्यालय का समस्त अमला पंचायत के अधीन किया गया था   ।  परन्तु अधिकारियो के विरोध के बाद केवल शिक्षक सवर्ग यथा सहायक शिक्षक,शिक्षक,व्यख्याता के पदों को पंचायत राज संस्था को रिक्त पद पर शिक्षा कर्मी के रूप में सीधी भर्ती करने का निर्णय लिया गया ।जबकि वर्तमान में लिपिक ,चतुर्थ श्रेणी के पदों को शिक्षा विभाग नियुक्त कर रहा है ।
     तत्कालीन म.प्र.सरकार ने पंचायत राज संस्था द्वरा महिला विकास कर्मी ,स्वास्थ कर्मी उद्यानिकी कर्मी ,कला कर्मी ,सहायक विकास कर्मी ,कृषि विस्तार कर्मी आदि की नियुक्ति हेतु असाधरण राजपत्र प्रकाशित कर भर्ती नियम बनाये थे  ।   परन्तु इस पर अमल नही हुआ और इन विभागों में राज्य शासन द्वारा शासकीय पद पर नियमित नियुक्ति कर रही है  ।  राजनितिक कारणों से शिक्षा विभाग को जन प्रतिनिधियो के नियंत्रण में रखने के लिए शिक्षा कर्मी योजना लागू किया गया ।
   राज्य सरकार ने अपने ही आदेश क्रमांक 3621/एस /एसई/94 भोपाल दिनांक 30 जुलाई 1994 के बिंदु क्रमांक 07 में स्पष्ट किया है कि यह नियुक्ति शासकीय शिक्षक संवर्ग के पद विरुद्ध शिक्षा कर्मी 03,शिक्षा कर्मी 02,शिक्षा कर्मी 01 की नियुक्ति की जाती है  ।  यदि तीनो वर्ग के शिक्षा कर्मी लगातार पांच वर्ष तक सन्तोष जनक सेवा कर लेते है तो उन्हें रिक्त पद के विरुद्ध शासकीय शिक्षक के पदों पर नियमित नियुक्ति देने पर विचार कर सकती है ।
    अतः शिक्षक पंचायत /नगरीय निकाय  सवर्ग को स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षक सवर्ग यथा सहायक शिक्षक ,शिक्षक,एवम् व्यख्याता पद संविलयन किये जाने पर कोई संवैधानिक समस्या नही है ।कमलेश्वर सिंह का कहना है कि यह केवल राजनितिक इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है ।हमारी शासन प्रणाली संसदीय शासन प्रणाली है मन्त्रिमण्डल भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के  द्वारा प्रदत्त शक्तियो को प्रयोग में लाते हुए शिक्षक(पं/ननि)संवर्ग कर्मचारियों को स्कूल शिक्षा विभाग में सविलियन करने का निर्णय ले सकती है ।जब सरकार वर्तमान में भी सहायक वि.ख.शिक्षा अधिकारी ,विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी ,लिपिक ,चतुर्थ श्रेणी ,प्राचार्य ,उप संचालक  सहायक संचालक स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन रखा है तो शिक्षक (पं/ननि)संवर्ग को क्यों नही ।
उन्होने कहा कि 73  वां सविधान सशोधन के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओ को शसक्त बनाने और स्वशासन इकाई के रूप में विकसित करने के लिए राज्य शासन को स्कूल शिक्षा विभाग के क्षेत्र में क्रियान्वित करने के लिए के लिए नए कदम उठाने के लिए निर्देश मात्र है ।अतः राज्य शासन जिस प्रकार राज्य के अन्य विभागों में शासकीय पदों पर नियमित नियुक्ति दी जा रही है तो स्कूल शिक्षा विभाग में वर्तमान में कार्यरत शिक्षक (पं/ननि)को  सविलियन कर सकती है ।राज्य सरकार शिक्षक संवर्ग (नियमित पद)की नियुक्ति एवम् सेवा की शर्ते बनाने का अधिकार अपने पास रखना चाहिए ।
close