शिक्षा कर्मियों को उम्मीद …. 1 मई की मीटिंग मे होगी संविलयन की घोषणा…अब आश्वासन नहीं,संविलियन व शिक्षक का सम्मान चाहिए …..नहीं तो जारी रहेगा संघर्ष

Chief Editor
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रायपुर । शिक्षा कर्मियों की समस्याओँ और माँगों पर विचार करने के लिए मुख्यसचिव की अध्यक्षता में गठित की गई हाईपॉवर समेटी की बैठक 1 मई को रखी गई है। जिसमें चर्चा के लिए छत्तीसगढ़ के सभी शिक्षा कर्मी संगठनों के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। इस मीटिंग को लेकर आम शिक्षा कर्मियों में काफी जिज्ञासा है और उम्मीदें भी हैं। शिक्षा कर्मी संगठन के नेताओँ ने भी इसे लेकर अपनी प्रतिक्रियाएँ जाहिर की हैं। जिसमें बैठक के सकारात्मक रहने की उम्मीद भी जताई गई है । साथ ही भरोसा जताया  गया है कि इस बैठक में शिक्षा कर्मियों के संविलयन का फैसला हो जाएगा और यह बैठक अँतिम होगी ।

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शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि    कहते है उम्मीद पर दुनिया कायम है,,बिल्कुल इसी तरह प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार  शिक्षा कर्मियो की उम्मीद भी इस बात पर कायम है कि कमेटी समय सीमा में संविलियन का प्रस्ताव करेगी।अब अपने वादो पर सरकार खरा उतरती है या फिर वही इंतजार की घुट्टी पिलाती है,,ये तो वक्त बताएगा ।  20-22 वर्षो के संघर्ष को विराम मिलेगा या संघर्ष करने फिर विवश होंगे, ।ये भी तय होगा । लंबे संघर्ष के इस यात्रा मे सेवा स्थायित्व के इंतजार करते करते कईयो की सेवानिवृत्ति हो गई व कईयो का संघर्ष मे अपना जीवन समाप्त हो गया । पर आज भी वो मुकाम न जाने कहां पर है।  सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति ने ये सब अब तक कराया है  । सभी परिस्थितियो की संपूर्ण जवाबदारी से यह सरकार बच नही सकती  । उन्होने आगे कहा कि मांगो के निराकरण पर बनी कमेटी ने लगातार अपना समय बढाया,,उम्मीद की निगाहे रखे शिक्षा कर्मियो ने विरोध के साथ अपने इंतजार को और मजबूत कर धैर्य रखा   विश्वास इस सरकार से बंधा हुआ अब भी है,,राजस्थान के दौरे से तथ्यात्मक अध्ययन उपरांत लौटी टीम, कमेटी को रिपोर्ट सौंपेगी  और उसमे सेे संविलियन बाहर निकलेगी,,यही विश्वास अब भी है।

शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि लंबे संघर्ष ने शिक्षा कर्मियो के इच्छाशक्ति को भी प्रबल किया है,,ये संकल्प अब सभी को है कि संविलियन से कम किसी भी कीमत पर मंजूर नही  । अब कोई आश्वासन नही,,संविलियन व शिक्षक का संपूर्ण सम्मान चाहिए,,ये 1 लाख 80 हजार शिक्षा कर्मियो का नया स्लोगन है। अपने मातृ प्रदेश मे घोषणा व अन्य राज्यो मे बनाए गए व्यवस्था के आधार पर  संविलियन के लिए केवल सरकार को अपनी इच्छाशक्ति मजबूत करने की आवश्यकता है,,और सरकार सीधे संविलियन की घोषणा कर आदेश कर मिशाल दे । उन्होने  कहा कि  2012-13 के  34 दिवसीय ऐतिहासिक संघर्ष व 2016-17 के 15 दिवसीय संघर्ष को धरातल पर सूत्रपात करने वाले मोर्चा व संघर्ष के सहभागी 180000 शिक्षा कर्मियो ने सरकार को अब अंतिम अवसर देने का मन बनाया है,,मोर्चा ने खुला अल्टीमेटम दे दिया है कि अब जल्द अंतिम निर्णय हो,, यदि देगें संविलियन तो करेंगे सम्मान,,नही तो होगा प्रतिकार,,।अधिकारियो के साथ संघ की उक्त दिवस की बैठक निर्णयात्मक व अंतिम बैठक साबित हो,,ये मोर्चा ने मांग रखी है।

शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग मे संविलियन को अनदेखा न करे सरकार—विकास सिंह 
नवीन शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष व शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश संचालक विकास सिंह राजपूत ने कहा है की विगत 2012 से 1017 तक लगातार शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के सहयोगी संगठन संविलियन की मांग को लेकर सरकार व शासन प्रशासन के विरुद्ध आवाज बुलन्द किये हुए है और शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले 15 दिनों के चले आंदोलन के बाद व पांचो संचालको के बनाये रणनीति के कारण आज पूरे प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार शिक्षाकर्मियों की स्कूल शिक्षा विभाग मे संविलियन की बात चल रही है  ।
प्रदेश संचालक विकास सिंह राजपूत ने कहा की 15 दिनों के आंदोलन के दौरान कुछ जयचन्दों को छोड़कर प्रदेश के 179000  शिक्षाकर्मी शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले आंदोलनरत थे और मोर्चा के बनाये गये रणनीति पर आज भी एकजुट है। कुछ जयचन्दों को छोड़ दिया जाय तो आज भी सभी शिक्षाकर्मियों का विश्वास शिक्षक पंचायत नगरीय मोर्चा पर बना हुआ है  । इसका महत्वपूर्ण कारण है प्रदेश के शिक्षाकर्मियों की छोटी – छोटी समस्याओ को भी पूरे प्रखरता के साथ मोर्चा मे शामिल संगठन उठाते आ रहे है । साथ ही संविलियन की मांग को लेकर आंदोलन कर शासन – प्रशासन पर मोर्चा द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा है  । योजनाबद्ध रणनीति के तहत,मोर्चा संचालक विकास सिंह राजपूत ने आगे कहा की शिक्षाकर्मियों का आक्रोश चरम पर है  । अब शिक्षाकर्मियों के संविलियन पर सरकार को जल्दी ही निर्णय ले लेना चाहिए ।
शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रमुख मांग समस्त शिक्षाकर्मियों के स्कूल शिक्षा विभाग मे संविलियन को सरकार अनदेखा न कर वेतन विसंगति मे सुधार कर आठ वर्ष का बन्धन समाप्त करते हुए समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग मे करते हुए शासकीय कर्मचारियो की तरह समस्त सुविधा प्रदान करे । आज तथाकथित संगठन के द्वारा मुख्यमंत्री  से मुलाकात करने सम्बन्धी खबरे चलाई जा रही   । जिससे कुछ खास फर्क नही पड़ने वाला है क्योकि मुख्यमंत्री काफी सुलझे हुए है और संविलियन जैसे बड़े मुद्दे पर शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा को विश्वास व साथ मे लेकर निर्णय लेंगे   । जो शिक्षाकर्मियों के एकजुटता को तोड़ने की कोशिश कर रहे है । विभाजनकारी संघो व लोगों से जो हड़ताल के दौरान स्कूल जाकर अपने साथियो के साथ छल कर रहे थे  । ऐसे संघ व लोगों से दूरी बनाकर रखेंगे । शिक्षाकर्मियों के वेतन विसंगति मे सुधार व संविलियन सिर्फ और सिर्फ मोर्चा व मोर्चा को साथ देने वाले 179000 शिक्षाकर्मियों के कारण सम्भव होगा।
संविलयन की घोषणा पर जगह-जगह करेंगे सीएम का स्वागत- कमलेश्वर सिंह
  छत्तीसगढ़ व्यख्याता(पं)संघ के प्रान्ताध्यक्ष एवम्  एकता मंच के संचालक  कमलेश्वर सिंह ने कहा कि शिक्षा कर्मियो का महासम्मेलन आयोजित  कर यदि  संविलयन ,सातवां वेतनमान एवम् समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर वेतन पुनरीक्षण कर वेतन विसंगति  दूर करने की घोषणा करने पर मुख्यमन्त्री का विकास यात्रा के दौरान जगह जगह स्वागत और अभिनंदन   किया जायेगा   ।मुख्यमन्त्री  यदि किसी भी संघ के बेनर तले महासम्मेलन में उपस्थित होकर शिक्षा कर्मियो का स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षक के पद पर संविलयन करने ,1.1.2016 से  सातवां वेतनमान देने तथा  इससे पूर्व समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर वेतन निर्धारण करने ,दो स्तरीय क्रमोन्नत वेतनमान में उच्चतर वेतनमान देने की घोषणा करती है तो विकास यात्रा के दौरान उनका ब्लाक ,जिला ,सम्भाग स्तर पर जगह जगह स्वागत और अभिनंदन किया जायेगा ।
उन्होंने  ऐसे तथाकथित संघठनो द्वरा यह कहे जाने की निंदा की है कि मोर्चा के अतरिक्त किसी अन्य संघठन के बेनर तले आयोजित महासमनेलन में संविलयन की घोषणा विरोध करेगा । सरकार संविलयन की घोषणा किसके बेनर तले कर रही है यह महत्व नही रखता बल्कि हमारी 20 वर्ष पुरानी मांग पूरी हो यह महत्व रखती है ।उन्होने  आम शिक्षा कर्मियो से अपील की है  कि यदि सरकार हमारी मांग पूरी करती है तो संघवाद और वर्गवाद से ऊपर उठकर सरकार के इस कदम का स्वागत और अभिनंदन करना चाहिए ।यदि किसी भी संघ के बेनर तले  महासम्मेलन आयोजित की जाती है तो बढ़ चढ़कर भाग लेवें ।

 

 

 

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