नदी पर राजनीति और नदी से कमाई…मरणासन्न हुई अरपा

Shri Mi

(प्राण चड्ढा)ज्यों ज्यों इलाज किया मर्ज बढ़ता गया, जी हां,ये मुहावरा यूँ ही नहीं बना, कम से कम अरपा नदी को बचाने अब तक जितने प्रयास हुए उनसे मुझे यही हासिल लग रहा है।इसमें नदी पूजन, दैनिक अखबारों के एक दिनी या चंद दिनी अभियान, मंन्त्रीजी के नदी किनारे नदी को बचाने का संकल्प अभियान, के साथ बिलासा कला मंच, का अरपा बचाने का अभियान जिसमें चार साल से मैं भी शिरकत करता हूँ।अब अरपा नदी पर भैसाझार बैराज करोड़ों रुपये की लागत से बन कर लगभग बन कर तैयार है, इस बैराज की नहरों का काम किया जा रहा है। बैराज के दोनों तरफ अरपा लगभग सूखी है। इस साल या अगले किसीं साल बैराज में पानी रोका गया और खेती के लिए पानी दिया गया जो बिलासपुर शहर और आसपास के इलाके के भूजल स्रोत कम रिचार्ज हो सकेगें नतीजतन जो पानी का संकट मई में है वह अप्रैल या उससे पहले जल स्रोतों के नीचे होने से उभर आएगा।अरपा की उदगम् स्थली अमरपुर है, जिसे मिट्टी पाट कर दफन कर दिया गया है। कुछ उसे खोड्री बताने लगे हैं। इस तरफ पेंड्रा के बुद्धिजीवियों का सालों से चल रहा संघर्ष जाने कब परवान चढ़ेगा। बिना सोचे कल की उदगम् स्थली के करीब पानी के लिए बड़े पम्प लगाने वाले अब जा चुके है और इस समस्या से अब लोग रूबरू हो रहे हैं।

अब पुराने खूंटाघाट से बिलासपुर शहर के लिए पानी लाने की योजना में करीब तीन सौ करोड़ लगेंगे। 26 किमी दूर से पानी लाना और फिल्टरेशन प्लांट लगा कर नागरिकों को पानी दिया जाएगा। जबकि इस बांध का पानी सिंचाई के लिए टेल एरिया तक बमुश्किल पहुंचता है।ये नौबत क्यों आयी,जो खूटाघाट में अब आशा की किरण दिख रही है।

ये विकट परिस्थिति है कि पर्यावरण बचाने के लिए कहने को सत्तासीन विकास विरोधी मानते हैं। उनका चश्मा केवल अफ़सरनो के बुने ख्वाबों को देखता है। जो बजट से जुड़े होते हैं। फिर आज सपना दिखा कर जब सत्तासीन तो हुआ जा सकता है,तब जनता की सहूलियत गौण हो जाती है।नदी सबकी मां है, पर तत्कालिक जरूर को पूरा करने की सोच ने कल की नहीं सोची पेंड्रा हो या बिलासपुर सब ने यही किया है और रहे हैं, नदी से रेत का उत्खनन,उसके किनार के पेड़ों को कटाई, नदी को कचरे की मालगाड़ी बना दिया। नदी पर राजनीति, नदी से कमाई, की वजह नदी आज मरणासन्न हो गई है।

क्या इस तरह नदियों का इलाज होगा? नदी अब बाहरी अधिकारियों को सत्ता के हाथों लूट रही है। जो अरपा के पुत्र है जो इसे बचने दिल से चाह रखते है उनमें इस जटिल होती समस्या को हल करने का सामर्थ नहीं,उनके प्रयास जुदा- जुदा है जो कारगर नहीं हो पाते। जब तक सब मिल-जुल राजनीतिक लाभ का परित्याग नहीं करते,सत्ता और जानकार नागरिक समन्वित सही दिशा तय कर प्रयास नहीं करते ये मर्ज लाइलाज बना रहेगा।आने वाली पीढ़ी हमें दुख झेलेगी और इस पीढ़ी को लानत भेजेगी।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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