अध्यापकों ने फिर किया जंग का एलान..नरवरिया ने बताया..शिक्षकों पर भारी पड़ गयी नेताओं की दोस्ती

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर/भोपाल– मध्यप्रदेश के शिक्षाकर्मियों ने एक बार फिर हड़ताल का एलान किया है। पहले की तुलना में इस बार शिक्षाकर्मियों में कुछ ज्यादा ही आक्रोश है। शिक्षाकर्मियों का मानना है कि पौने तीन लाख अध्यापकों के साथ सरकार ने धोखाधड़ी की है। 29 मई को कैबीनेट में लाया गया संविलियन प्रस्ताव आधा अधूरा है। क्योंकि पेश किए प्रस्ताव और 21 जनवरी को सीएम हाऊस में हुई घोषणा में जमीन-आसमान का अंतर है। अध्यापक संघर्ष समिति नेता एसएस नरवरिया ने प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मियों को आर पार की लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा है।
                               मध्यप्रदेश अध्यापक संघर्ष समिति के नेता एचएस नरवरिया ने बताया कि 29 मई का संविलियन प्रस्ताव शिक्षकों के साथ अब तक का सबसे बड़ा सरकारी धोखा है। नरवरिया अनुसार शिक्षकों को वरिष्ठता के साथ शिक्षकों को समान वेतन, सेवा शर्तों और पदनाम समेत संविलियन दिया जाना था। लेकिन सरकार ने कैबिनेट में पेश किए गए प्रस्ताव में जुलाई 2018 से नया कैडर बनाकर दिया गया तोहफा प्रदेश के पौने तीन लाख अध्यापकों के साथ मजाक किया है। सरकार ने जनवरी 2016 से मिलने वाले सातवें वेतनमान को जुलाई 2018 से देकर 30 महीने का लगभग 2 से 3 लाख रुपए न देकर अध्यापकों का बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान किया है। छठवें वेतनमान का भी अब तक ठीक ठीक निर्धारण नहीं हुआ है। एरियर का पता ही नहीं है। सितंबर 2013 से मिलने वाला छठवां वेतनमान अब तक नहीं मिला है।  सरकार ने संविलियन के बहाने नया कैडर बनाकर अध्यापकों का आर्थिक नुकसान किया है।   वरिष्ठता को भी समाप्त किया जा रहा है। इसीलिए संविलियन  आधा अधूरा है, जिससे अध्यापकों में नाराजगी है और आंदोलन के रास्ते पर जाने का मन बना लिया है।
                   नरवरिया ने बताया कि पांच महीने से संविलियन का इंतजार कर रहे अध्यापक 29 मई तक उम्मीद में थे कि 22 साल का अन्याय खत्म हो जाएगा। कैबीनेट प्रस्ताव के बाद खुशियां मनाने की तैयारी में थे। लेकिन नरोत्तम मिश्रा की प्रेस कांफ्रेंस सुनने के बाद अध्यापकों की खुशियां काफूर हो गयी है। समूचा अध्यापक समुदाय ठगा महसूस कर रहा है। शिक्षकों को न समान वेतन मिला, न पदनाम मिला और न ही ट्रांसफर, अनुकंपा और पेंशन जैसी सेवाशर्तों को मंजूर ही किया गया। सरकार के संविलियन प्रस्ताव से अध्यापकों को आर्थिक नुकसान तो हुआ ही। साथ में 1 जुलाई 2018 से नया कैडर बनाकर 20-22 साल की वरिष्ठता को भी खत्म कर दिया है।
               नरवरिया के अनुसार शिक्षकों के समान वेतनऔर सेवा शर्तों का वादा मुख्यमंत्री ने 21 जनवरी को सीएम हाऊस में हजारों अध्यापकों की मौजूदगी में किया था। वादे को वित्तमंत्री जयंत मलैया ने बजट भाषण में भी दोहराया था। सरकार की तरफ से बार-बार बंधाई गई उम्मीदों के कारण बीते पांच महीने में अध्यापकों ने मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों का हजारों बार स्वागत सत्कार किया। इस उम्मीद में कि 20-22 साल का अन्याय खत्म हो रहा है।
                अध्यापक संघर्ष समित्ति नेता एच एन नरवरिया ने और समस्त संघो के नेताओ ने  संविलियन को अध्यापकों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध करने की बात कही। नरवरिया ने कहा कि  अध्यापक नेताओं में सरकार के साथ दोस्ती  गांठने की बढ़ती प्रवृत्ति ने ही अध्यापकों को नुकसान पहुंचाया है। भाषण में की गई घोषणा पर ही स्वागत सत्कार के लिए आतुर नेताओं ने न तो अध्यापकों के नुकसान की चिंता की और न ही मिलने वाले लाभ की परवाह।  स्पष्ट है कि संगठनों के नेता सिर्फ मंत्रियों से दोस्ती करने के लिए ही संगठन चला रहे हैं। जिससे अध्यापकों का हित नहीं होने वाला। अध्यापक नेताओं ने कहा कि जिले के अध्यापक शीघ्र ही बैठककर सरकार की ओर से किए गए धो्खे के खिलाफ आवाज उठाएंगे, जिसकी ठोस रणनीति बनाकर आंदोलन का ऐलान किया जाएगा।
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