….कहां गया आबकारी का 14 लाख…7 महीने बाद भी जांच अधूरी…कहीं गबन में अधिकारी बाबू और दारोगा तो शामिल नहीं..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— नवम्बर 2017 में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आज तक आबकारी विभाग का 14 लाख किसकी जेब में है…पुलिस पकड़ नहीं पायी है। जानकारी मिल रही है कि सरकंडा पुलिस सीएसएससीएल के एक कर्मचारी को पकड़कर पूछताछ कर रही है। मामला कहां तक पहुंंचा है..ना तो पुलिस ही कुछ बता रही है और ना ही आबकारी विभाग का कोई कर्मचारी मुंह खोल रहा है। बताया जा रहा है कि यदि कार्रवाई ठीक ठाक हुई तो आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं।

                                मालूम हो कि हर साल वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद आबकारी विभाग में अलग अलग दुकानों से लेकर जिला और संभाग स्तर पर खरीदी बिक्री के साथ बचत स्टाक का हिसाब किताब किया जाता है। राशि खजाने में जमा हो जाती है। स्टाक को लिखित रूप में नए वित्तीय वर्ष में शामिल कर लिया जाता है। लेकिन बिलासपुर जिला आबकारी विभाग ने कुछ दुकानों से पुराना स्टाक तो एकत्रित किया लेकिन रिकार्ड में दर्ज नहीं हुआ। बल्कि तीन चार दुकानों का स्टाक लिंगियाडीह विदेशी शराब दुकान में डम्प कर गुपचुप बेच भी दिया गया।

                                 एक अप्रैल 2017 से नवम्बर के बीच करीब दो तीन दारोगा बदले गए। सभी के इशारे पर पुराने स्टाक को लिंगियाडीह विदेशी शराब दुकान से बेचा जाता रहा। रूपए सरकार के खजाने में जाने की वजाय अधिकारियों के जेब में पहुंचता रहा। इसी बीच एक दारोगा ने सहायक आयुक्त को वस्तुस्थिति से अवगत कराया।  इस बीच मामले में शामिल कुछ दारोगा और बाबू ने आनन फानन में कुछ रूपए खजाने में डाल तो दिया। लेकिन 14 लाख रूपयों का कोई हिसाब किताब नहीं दिया। बाद में जिला प्रशासन के निर्देश पर करीब 14 लाख रूपए को लेकर सरकंडा थाने में गबन की शिकायत हुई। मामले में तह तक जाने को कहा गया।

           सूत्रों की मानें तो लिंगियाडीह शराब दुकान से करीब पुराने स्टाक  से 29 लाख रूपए की शराब बेची गयी। जिसकी जानकारी स्टाक में भी दर्ज नहीं है। जिला प्रशासन के निर्देश के बाद नवम्बर महीने में 14 लाख रूपए गबन का मामला दर्ज किया गया। सात महीने बाद पुलिस ने सीएमएससीएल के एक कर्मचारी को हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। क्या पूछताछ हो रही है फिलहाल इसे गोपनीय रखा गया है। लेकिन पुलिस का कहना है कि 14 लाख रूपए गबन करने वाले आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा।

                           सूत्रों की माने तो पूछताछ में 14 लाख रूपए गबन मामले में आबकारी महकमें के दो एक बाबू और कुछ दारोगा का नाम आ रहा है। खबर यह भी है कि 14 लाख रूपए गबन मामले की आग में विभाग के आलाधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं। शक की सूई कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।

राशि जमा करने का नियम

                    जैसे की नियम है कि शराब दुकान में कितनी शराब की बिक्री हुई। इसकी जानकारी रोज देनी होती है। इसी तरह साल में खपत और बचत का भी हिसाब देना होता है। शराब की आमद, खपत बिक्री की जानकारी शासन को देनी होती है। बावजूद इसके विभाग के दारोगा,बाबू और आलाधिकारियों ने दो तीन दुकानों का बचत स्टाक लिंगियाडीह विदेशी शराब दुकान में स्टोर किया। लेकिन बचत को रजिस्टर में दर्ज नहीं किया।  इसके बाद बचत स्टाक की बिक्री को जेब में डालते रहे।शिकायत के बाद कुछ लाख रूपए जमा तो किये गए लेकिन 14 लाख रूपयों का अभी तक हिसाब नहीं मिला। इसका बंटवारा किसने किया है। जांच पड़ताल सरकंडा पुलिस कर रही है।

                सवाल उठता है कि क्या पुलिस के हाथ जांच पड़ताल के बाद बड़े अधिकारियों तक पहुंचेगी। या फिर छोटे कर्मचारियों को ही पकड़कर मामले को रफा दफा कर दिया जाएगा। लोगों को उम्मीद है कि जिस तरह पुलिस कप्तान ने अपने ही विभाग के सेंधमारों पर लगाम कसते हुए ठिकाने लगाया। कुछ ऐसा ही नजारा यदि आबकारी विभाग में भी दिखाई दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

                            जानकारी देते चलें कि प्रदेश में शराब बिक्री का काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के बैनर तले किया जा रहा है।

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