संविलयन से नाखुश MP के अध्यापक आंदोलन की राह पर..आमरण अनशन शुरू

Shri Mi
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भोपाल।मध्यप्रदेश के संविदा अध्यापकों का संविलियन हो चुका है। पर मध्यप्रदेश के अध्यापक प्रदेश में हुए इस संविलियन से खुश नही है। ये खुशियां अब आंदोलन में बदल गई है।क्योंकि प्रदेश के अध्यापक इसे विसंगति पूर्ण संविलियन मानते है।जिसे लेकर प्रदेश के अध्यापकों ज्ञापन रैली, धरना प्रदर्शन अनशन के बाद अब आमरण अनशन तक पहुँच गये है।अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश के अध्यापक नेता रमेश पाटिल ने बताया कि मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश की कमान संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने अध्यापकों के लिए आश्वासनों का ढेर लगा दिया था।अध्यापको से बडे भाई का आत्मीय सम्बन्ध बना लिया था

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मध्यप्रदेश का अध्यापक आश्वस्त था कि मुख्यमंत्री अपने आश्वासनों पर एक न एक दिन अवश्य खरा उतरेंगे और अध्यापको को शोषण से मुक्ति देगे।उन्होंने बताया कि 21 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आंदोलनरत अध्यापकों को अपने घर बुलाकर घोषणा की आज से सब अध्यापक शिक्षक कहलाएंगे तथा अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसी को दोहराते हुए 14 मई 2018 को मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन द्वारा बोर्ड परीक्षाओ का परिणाम घोषित करते समय सार्वजनिक रूप से कहा गया कि अब मध्यप्रदेश में एक ही विभाग और एक ही कैडर होगा। केवल शिक्षा विभाग होगा एवं उसके सब कर्मचारी होंगे।
रमेश पाटिल ने बताया कि 29 मई 2018 को जब यह मामला मंत्रीमंडल के समक्ष आया तो अध्यापक जगत में खुशी व्याप्त थी कि शायद आज हमारे शोषण का अंत हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि मंत्रीमंडल का निर्णय आते ही अध्यापकों के सुनहरे सपनों पर वज्रपात हुआ। संक्षेपिका से ज्ञात हुआ कि पुरानी सेवा अध्यापकों से छीन कर नई नियुक्तियां दिए जाने का षड्यंत्र रचा गया है।नया विभाग और नया कैडर बना दिया गया है। सेवा शर्तें और वेतनमान रहस्यमय बनाए रखा गया है। सातवां वेतनमान भी वादे के अनुसार नहीं दिया जा रहा है। छठवें वेतनमान की विसंगति को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।बूढापे और भविष्य की चिंता नही कि गई है। हमारे साथ एक प्रकार का छल हुआ है। बताया गया कुछ और दिया गया कुछ और ही है।

अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश के अध्यापक नेता हीरानंद नरवरिया ने बताया कि संक्षेपिका के वायरल होने से जो असंतोष उभरा उसकी परिणीति “अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश” के बैनर पर विभिन्न संघों एवं संघर्ष समिति के संयुक्त प्रयास से आंदोलन के रूप में 24 मई को भोपाल के यादगार-ए-शाहजहानी पार्क हुई।

उन्होंने बताया कि विभिन्न संघों के नेताओं द्वारा वायरल संक्षेपिका से अध्यापक संवर्ग को होने वाले नुकसान का विश्लेषण दिन भर मंच से हजारो आन्दोलन मे सहभागी अध्यापको को करके समझाया गया।इस आंदोलन के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हजारों की संख्या में अध्यापक शाम को विधानसभा को घेरने निकल पड़े। पुलिस द्वारा रास्ते मे रोक लिया गया।

नाराज अध्यापकों ने नीलम पार्क के पास सड़क पर बैठकर चक्का जाम कर दिया गया। बाद में प्रशासन को ज्ञापन देकर आक्रोशित अध्यापक पुनः शाहजहानी पार्क लौटे और आगे की संघर्ष की रणनीति पर मंथन किया।नरवरिया ने बताया कि 25 जून से अपने निर्धारित कार्यक्रमानुसार यादगार-ए-शाहजहानी पार्क पर आमरण अनशन शुरु हो चुका है।संभाग, जिला और विकासखंड स्तरीय आंदोलन की रणनीति बनाई जा चुकी है ताकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा आज तक दिए गए झूठे आश्वासनो का जनता जनार्दन के बीच पहुंच कर पर्दाफाश किया जा सके।मध्यप्रदेश का अध्यापक पूर्ण अधिकार संपन्न हुए बिना अपने कदम वापस खींचने को तैयार नहीं है।

उन्होंने ने बताया कि अध्यापक संघो एवं संघर्ष समिति के नेतृत्व ने चेतावनी दी है कि यदि आंदोलन को तोड़ने का षड्यंत्र रचा गया तो इसके दुष्परिणाम भुगतने के लिए भी सत्ताधारी दल तैयार रहें।विधान सभा चुनाव नजदीक है।अध्यापको ने चेताया की 2.37 लाख अध्यापको को नाराज कर सत्ता सुख का सपना देखना सत्ताधारी दल के लिए आसान नही होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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