MP में समान कार्य- समान वेतन को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं….” CM वादा निभाओ सम्मेलन ” करेंगे अध्यापक..

Chief Editor
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भोपाल । मध्यप्रदेश में संविलयन के बाद भी तरह-तरह की विसंगतियों का सामना कर रहे अध्यापकों का आंदोलन भले ही समाप्त हो गया है। लेकिन इस मामले में सरकार की ओर से जिस तरह वायदा खिलाफी की जाती रही है, उससे आक्रोश और आँदोलन की चिंगारी अभी भी पूरी तरह से नहीं बुझी है।समान कार्य- समान वेतन का माला भी अभी स्पष्ट नहीं हुआ है।  इसे लेकर प्रतिक्रिया आ रही है कि पहले की तरह इस बार भी आश्वासन पर टालमटोल किया जा कता है। लिहाजा अध्यापकों से आंदोलन के लिए तैयार रहने की अपील की जा रही है।
अध्यापक संघर्ष समिति के नेता रमेश पाटिल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि अध्यापक आन्दोलन मध्यप्रदेश के बैनर पर प्रदेश के शोषित पीडि़त अध्यापको ने बडी संख्या मे वर्षो बाद यादगार-ए-शाहजहानी पार्क भोपाल मे 24 जून को जबर्दस्त एकता का प्रदर्शन कर मध्यप्रदेश की सत्ता को संकेत दे दिया था कि अध्यापको मे असंतोष की ज्वाला धधक रही है।  25 जून से वायरल संक्षेपिका के विरोध मे आमरण अनशन की शुरुआत हुई  । ताकि आदेश के पहले इसमे सुधार हो सके।शाम होते होते इस स्थान पर अनशन अनुमति का समय समाप्त हो गया और पुलिस प्रशासन ने आमरण अनशन समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया गया।देर रात मैदान को जबरन खाली कर दिया गया। शासन द्वारा भोपाल मे कही पर भी आमरण अनशन को जारी रखने की अनुमति प्रदान नही की गई।आमरण अनशन पर बैठे साथियो ने पुनः 26 जून को शाहजहानी पार्क मे बगैर अनुमति के कब्जा जमाया तथा आमरण अनशन को निरन्तर बनाये रखा।
       उन्होने बताया कि   इस आन्दोलन का आयोजक राज्य अध्यापक मध्यप्रदेश था। छः अध्यापक संगठनो एवं अध्यापक संघर्ष समिति का इस आन्दोलन को समर्थन था।चूंकि आयोजक संघ के नेता  जगदीश यादव ने बार-बार अहसास दिलाया कि मै आयोजक हूँ और आप समर्थक है इसलिए आयोजन का संचालन मेरे अनुसार होगा।अध्यापक हित को देखते हुए समर्थक अध्यापक संघो एवं अध्यापक संघर्ष समिति ने मान-सम्मान की अपेक्षा ना कर इस कठोर शर्त को भी मान लिया।  26 जून को जगदीश यादव अपने संघ के रणनीतिकारो के साथ  मुख्यमंत्री से मिलकर आये और अनशन स्थल पर शाम को सूचना दी कि  मुख्यमंत्री  और उनके निज प्रमुख  सचिव  श्री वर्णवाल से किन मुद्दो पर सहमति हुई।उनके बताये अनुसार पदनाम मे परिवर्तन किया जाएगा।राज्य शासन के कर्मचारियो का दर्जा मिलेगा।नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता मिलेगी।शिक्षा विभाग की शिक्षक संवर्ग को दी जा रही सेवा शर्ते लागू होगी।अनूसूचित जाति विभाग मे अंतर निकाय संविलियन की अडचन दूर होगी तथा ps/ms की अंतरनिकाय संविलियन प्रक्रिया भी शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी।अनुकंपा नियुक्ति की कुछ कठोर बाध्यताए समाप्त की जाएगी।इसके साथ ही  जगदीश यादव ने अनशन समाप्ति की घोषणा कर दी।
     रमेश पाटिल ने कहा कि   अध्यापको के जीवन की जटिलताए दूर हो इसलिए जिन साथियो ने दो दिन भूखे रहकर अनशन से अध्यापको की उम्मीद को जगाया उनका मध्यप्रदेश का अध्यापक जगत आभारी है।लेकिन अपनी आदतानुसार  मुख्यमंत्री  वादे से पलटते है और आयोजक संघ अध्यापको को बताये अनुसार अधिकार दिला पाने मे असफल रहा तो अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश इस बार अपने अधिकारो के लिए भोपाल मे ” CM वादा निभाओ सम्मेलन ” जुलाई माह मे करेगी और समान विचारधारा के अध्यापको संघो को आमंत्रित करेगी। जिसके  मुख्य अतिथि  कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष,पीसीसी मध्यप्रदेश एवं सांसद छिन्दवाडा होगे।इसी प्रकार के आयोजन संभाग या जिला स्तर पर निरन्तर आयोजित किये जाएगे।मीडिया के माध्यम से अध्यापको को बहुत कुछ दे दिया है का भ्रमजाल सरकार द्वारा फैला रखा है को पहले भोपाल मे सम्मेलन आयोजित कर और बाद मे विभिन्न क्षेत्रो मे आयोजित कर तोडा जाएगा।अध्यापक संघर्ष समिति की कुछ और प्रमुख मांग है जिस पर आयोजक संघ ने जानकारी नही दी व स्पष्ट नही किया वह है “समान कार्य के समान वेतन” का 04 सितम्बर 2013 के आदेश का क्रियान्वयन कर मय एरियर्स भूगतान, सातवा वेतनमान जनवरी 2016 मय एरियर्स भूगतान और नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता का क्या आशय है?अध्यापक संघर्ष समिति शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरूजी नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता चाहती है।इन  नियुक्ति दिनांक के आधार पर शिक्षा विभाग के समस्त लाभ मिले यह सबसे प्रमुख मांग है।
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