छत्तीसगढ़ की माँगों के लेकर PM को पत्र देने जा रहे अजीत जोगी समर्थकों सहित दिल्ली में गिरफ्तार …

Chief Editor
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नई दिल्ली । छत्तीसगढ़ की माँगों को लेकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने पार्टी सुप्रीमों अजीत जोगी की अगुआई में प्रधानमंत्री निवास तक मौन जुलूस निकाल कर ज्ञापन दिया।जहाँ पुलिस ने सभी को गिरफ़्तार कर लिया। अजीत जोगी  ने पत्र में जिन सात सूत्रीय मांगों का उल्लेख किया है , उनमें किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए देने और छत्तीसगढ़ की भर्तियों में स्थानीय बेरोजगारों को 90 फीसदी आरक्षण दोने की माँग प्रमुख है।
       अजीत जोगी ने पत्र मेँ लिखा है कि  2013 के वादे अनुसार के किसानों को 2100 रुपये समर्थन मूल्य और बक़ाया ३ साल का 300 रुपए  बोनस दिया जाए। जब भाजपा शासित महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में ऋण माफी की जा सकती है तो छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार न किया जाए। किसान आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए तत्काल ऋण माफ भी किया जाना चाहिए।
 छत्तीसगढ़ सरकार की आउटसोर्सिंग नीति पर तत्काल रोक लगाई जाए। स्थानीय भर्तियों में छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को 90% आरक्षण मिले। साथ ही कपड़ा धुलाई, दूध सप्लाई, मछली पालन आदि पाराम्परिक कार्य एवं जाति वर्ग से संबंधित ठेके दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद और गुजरात की कंपनियों को न देकर छत्तीसगढ़ के धोबी समाज, यादव समाज एवं केंवट समाज के लोगों को दिये जायें।
 छत्तीसगढ़ के 40 हज़ार परिवारों एवं संरक्षित जनजातियों को नष्ट कर रहे पोलावरम बांध के कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए। प्रभावित क्षेत्र में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में सर्वप्रथम जनसुनवाई कराई जाए, उनको बोलने का अवसर दिया जाए और उनको सुना जाए।नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण पर रोक लगाए केंद्र सरकार। निजीकरण का निर्णय बस्तर के लोगों के साथ धोखा है। बस्तरिया युवाओं को एनएमडीसी नगरनार संयंत्र में रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।महानदी, इंद्रावती और कनहर नदियों से संबंधित अंतरराज्यीय समझौतों में छत्तीसगढ़ के साथ हो रहे अहित को रोका जाए। इन नदियों के पानी पर पहला अधिकार छत्तीसगढ़ के किसानों का है। छत्तीसगढ़ की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था उत्पादन आधारित है जबकि जीएसटी केवल उपभोग पर देय है। इससे छत्तीसगढ़ को हो रहे सालाना 25 हज़ार करोड़ रुपए  के नुक्सान की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाए।
छत्तीसगढ़ की 35 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी/ अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत है। उनको सरकार द्वारा अवैधानिक तरीक़े से डीलमिली, नगरनार, घाटबर्रा आदि जगह उनके घरों और ज़मीन से जिस प्रकार बेदख़ल करा जा रहा है, उसका सीधा परिणाम ‘पत्थरगढ़ी’ आंदोलन है। सुदूर अंचलों के लोगों के अस्तित्व पर मँडराते ख़तरे तथा नक्सल समस्या के विकराल रूप को देखते हुए, छत्तीसगढ़ राज्य को “विशेष राज्य” का दर्जा दिया जाए ताकि छत्तीसगढ़ दूसरे विकसित राज्यों के समानांतर विकास कर सके।ज्ञापन देने वालों में धरमजीत सिंह ज,अमित जोगी ज,देवव्रत सिंह ,अनिल टाह ,ज्वाला प्रसाद , नितिन भंसाली,समीर अहमद,संतोष दुबे,विश्वम्भर गुलहरे,मनिशंकर पांडेय,गजेंद्र श्रीवास्तव,विकास दुबे,विक्रांत तिवारी,चित्रकांत श्रीवास,सहित कई सौ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

 


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