शिक्षाकर्मी संविलयन:वीरेंद्र दुबे बोले-कुछ लोगों को करना पड़ेगा 9 साल इंतजार,प्रक्रिया अव्यावहारिक

Shri Mi
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Shikshakarmi,virendra dubeyरायपुर।1 जुलाई 2018 को 8 वर्ष पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मियों का संविलियन की घोषणा की गई है जिस की प्रक्रिया तेजी से प्रारंभ हो गई है। संविलियन की इस प्रक्रिया में 8 वर्ष से कम के दायरे में आने वाले शिक्षाकर्मियों के संविलियन की प्रक्रिया अव्यवहारिक प्रतीत हो रही है। कुछ शिक्षाकर्मियों का जून में आदेश होने के पश्चात 1 जुलाई और 2 जुलाई को जिन्होंने जॉइनिंग किया उन्हें भी संविलियन प्रक्रिया से अलग कर दिया गया।1 दिन की चूक के कारण उन्हें वर्ष भर इंतजार करना पड़ेगा जो की बहुत ही अव्यवहारिक है। बलरामपुर सरगुजा जगदलपुर बस्तर अंबिकापुर रायगढ़ दुर्ग बेमेतरा बालोद कोरबा जिले के बहुत से शिक्षाकर्मी जिनकी जॉइनिंग जुलाई माह में हुई है। उन्हें 1 वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा इससे मुख्यमंत्री की 8 वर्ष पर शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा का वादा पूरा होता प्रतीत नहीं होता है।

क्योंकि ऐसे शिक्षाकर्मियों को पूरे 1 साल इंतजार करना पड़ेगा अर्थात उन्हें 9 साल में संविलियन प्राप्त होगा, जिसका हम विरोध करते है। 2010 के अलावा शेष बचे लोगो को केवल 6 महीने इंतज़ार करना है। केवल 2010 वालो को 1 साल इंतज़ार करना पड़ रहा है।ऐसा भेदभाव अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। इस विषय पर रायपुर में जल्द ही एक बड़ी बैठक का आयोजन किया जाएगा।

कल एक निजी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में शालेय शिक्षाकर्मी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने प्रदेश के मुखिया से संविलियन प्रक्रिया पर प्रश्न पूछा और व्यवहारिक दिक्कतों के बारे में उन्हें बताया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि संविलियन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। संविलियन एक बड़ा प्रशासनिक फैसला था और हमने संविलियन का द्वार खोल दिया है।

जैसे-जैसे शिक्षाकर्मियों के 8 वर्ष पूरे होते जाएंगे उन शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन होता रहेगा।जिस पर वीरेंद्र दुबे ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ शिक्षाकर्मियों को 8 वर्ष के बजाय 9 वर्ष इंतजार करना पड़ रहा है।जिला पंचायतों की लापरवाही के कारण उन शिक्षाकर्मियों को आदेश देने में विलंब हुआ।जिसके कारण वे संविलियन से वंचित हो जा रहे हैं और उन्हें पूरे साल का इंतजार करना पड़ रहा है।

संविलियन प्रक्रिया को व्यवहारिक बनाते हुए पुनरीक्षित वेतनमान की तरह ही जैसे ही उनका 8 वर्ष पूर्ण होता है वैसे ही शिक्षाकर्मियों को संविलियन का लाभ दिया जाना चाहिए।
वीरेंद्र दुबे ने अनुकंपा नियुक्ति के विषय पर भी मुख्यमंत्री से सवाल किया जिस पर मुख्यमंत्री ने इस विषय पर विचार करने की बात कही।

वीरेंद्र दुबे ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है की ऐसी अव्यवहारिक दिक्कतों को दूर करते हुए सभी शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया जाए।सहायक शिक्षक पंचायत की वेतन विसंगतियां हैं उन्हें दूर की जाए , पद नाम के साथ एलबी शब्द को हटाया जाए तथा स्थानांतरण से आए शिक्षाकर्मियों की वरिष्ठता समाप्त ना की जाए संविलियन पश्चात यदि कोई शिक्षाकर्मी स्थानांतरण प्राप्त करता है। तो शिक्षा विभाग के नियमानुसार उनकी वरिष्ठता समाप्त हो लेकिन संविलियन के पूर्व ऐसे नियम को हमारे ऊपर न थोपा जाए।

नेहा सिंह कोरबा पुनीत राम खूटे , मनीषा दुबे, रायगढ़ सुनीता धनकर,जितेंद्र कुमार राठौड़, सुरेन्द्र कुमार साहू, निहारिका तिवारी हरिशंकर, संतोष, कविता गायकवाड, चंपेश्वर साहू, राकेश शर्मा, रामा अग्निहोत्री, दिनेश साहू दुर्गेश नंदिनी, रोहित पांडे, वीरसेन नागवंशी, तृप्ति अग्रवाल रायगढ़, रोहित, प्रकाश शर्मा, इमरान, हेमलता कौशिक, नीलकमल, शमिता,राजू लाल, एम डी चंद्रा प्रणिता अनुष्का, प्रतिमा बागडे, अनीता, सीमा ,आशा तिवारी रंजना कातरो, चंद्रहास साहू बालोद, जैसे सैकड़ों शिक्षक जिला पंचायतों की गलती के कारण संविलियन से वंचित हो रहे है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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