जंगल में लूटतंत्र (शिक्षा2)

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शिक्षा संस्थान में जामवंत ने एक उच्च अधिकारी प्रो. z.x. चूहा से मुलाकात की। उन्होंने उसे झांसा देने के लिए कहा- मि. चूहा, ये सिंहजी फलां नगर के सेठ हैं। ये यहां कुछ आवश्यक कार्य से आए हैं। नगर सेठ सुनते ही चूहे के चेहरे की चमक बढ़ गई। उसने मैनेजमेंट गुरु की तरह बड़े सम्मान से उन्हें बैठाया, दो चार वाक्य अंग्रेजी के फेंके, फिर अपने आपको अति व्यस्त प्रदर्शित करते हुए कहा- बताइए, क्या आवश्यक कार्य है इन्हें ?…


जामवंत ने कहा- मि. चूहा, ये सिंहजी बड़े कारोबारी है, इनका परिवार भी बहुत बड़ा है। हर साल ये करोड़ों रुपए कमाते हैं, परन्तु अन्य करोड़पतियों की तरह हमेशा ये भी अस्वस्थ रहते हैं, परिवार के सदस्यों का भी स्वास्थ्य खराब होता ही रहता है। आजकल के डाक्टर लुटेरे हो गए हैं, जरा सी छींक आने पर वे हजारों रुपए लूट लेते हैं, इसलिए ये अपनी सिंहनी के नवागत (जन्म लेने वाले) शावक को डाक्टर बनाना चाहते हैं। 

इनका विचार है कि घर में डाक्टर रहेगा, तो उचित चिकित्सा होगी और रुपए भी बचेंगे। अधिकारी ने कहा काम हो जाएगा, किंतु इनका वह शावक सही उम्र में ही डाक्टर बन पाएगा, उससे पहले नहीं। उसे डाक्टर बनाने के लिए सबसे पहले यहां एडवांस बुकिंग करानी होगी, फिर यहां तक प्रापर चैनल से आना पड़ेगा।


प्रो. चूहा ने जामवंत को एक प्रसिद्ध पब्लिक स्कूल का पता बताकर कहा पहले शावक को उक्त स्कूल में पढ़ाना होगा, फिर कोचिंग संस्थान का नाम बताकर कहा उसे यहां दाखिल करना होगा। कोचिंग पूरी होने के बाद शावक को इस संस्थान में मैनेजमेंट कोटे से एडमिशन दिया जाएगा, इसके लिए 40 लाख रुपए देने होंगे। फिर वह पढ़े या नहीं, पांच साल बाद डिग्री दे दी जाएगी। 

मंत्री के पूछने पर प्रो. चूहा ने बताया यहां 40 लाख रुपए में मेडिकल, 30 लाख रुपए में एमबीए, 20 लाख रुपए में इंजीनियरिंग, 5 लाख रुपए में एलएलबी की डिग्री दी जाती है। 5 लाख रुपए खर्च करने पर घर बैठे पीएचडी की सुविधा दी जाती है। 5 लाख रुपए देकर कोई भी शान से अपने नाम के सामने डा. लिख सकता है। रसूखदारों में इस डा. की अधिक डिमांड है। थोक में डा. की खरीदी पर छूट भी दी जाती है।

प्रोफेसर ने बताया उनके संस्थान में 2 से 3 लाख रुपए खर्च करने पर किसी भी तरह का डिप्लोमा किया जा सकता है। एक लाख रुपए में ग्रेजुएशन और डेढ़ लाख रुपए में पीजी की डिग्री दी जाती है, लेकिन बच्चे को डिग्री या डिप्लोमा के लिए अध्ययन का अभिनय करना पड़ता है। उसे यूनिफार्म में संस्थान तक आना पड़ता है, भले यहां वह अध्ययन छोड़ इश्क लड़ाता रहे। निश्चित समय में भुगतान के आधार पर डिग्री दे दी जाती है। 

यह सब सुनकर गंभीरता का चोला धारण किए सिंह से रहा नहीं गया। तमतमाते हुए उसने कहा- यह तो अपराध है, आप लोग बिना पढ़ाए जिसे डाक्टर बनाकर समाज में परोसेंगे, वह न जाने कितनों को मारेगा, फिर जो इतने रुपए खर्च कर डिग्री खरीदेगा, वह समाज में लूट तो मचाएगा ही। 

सिंह की बातें सुनकर प्रो. z.x. चूहा ने निर्विकार भाव से कहा- हमें इन सब बातों से मतलब नहीं है, हम धंधा कर रहे हैं, धर्म कर्म नहीं। हमें सभी को हिस्सा देना पड़ता है। हम लेंगे नहीं तो दूसरे लुटेरों को देंगे कैसे। 


सिंह ने कहा- वह इस काले कारनामे का पर्दाफाश कर देगा, जवाब में प्रो. चूहा ने कहा- हमें कुछ नहीं होगा, हमने सभी को मैनेज कर रखा है। भन्नाया सिंह संस्थान से बाहर निकला, उसने जंगल मीडिया के जर्नलिस्ट कौवों की प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, गरज गरजकर डिग्रियों के व्यापार का खुलासा किया।

राजा को उम्मीद थी कि पल भर में समाचार आग की तरह फैल जाएगा, चूहों के कारनामों की जांच शुरू हो जाएगी और वे जेल में बंद कर दिए जाएंगे। प्रेस कांफ्रेंस में कौवों ने डिग्री के व्यापारियों पर भारी नाराजगी जताई, कहा ऐसे व्यापारियों को फांसी के फंदे पर लटका देना चाहिए….. प्रेसवार्ता समाप्त हुई…….कौवे उड़ गए, कांव कांव कोई नहीं कर पाया, उनकी आवाज कंठ पर ही रोक दी गई….

( क्रमशः )

( आगे है पुलिस थाने में फंसे राजा और मंत्री )

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